सुदृढ़ संस्कार – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 ‘कितना बदल गया है उनका बेटा ? उनकी परवरिश कैसे फेल हो सकती है ? पिता की बीमारी की तनिक सी विपत्ति आते ही बेटे को सिखाए आदर्श और जीवन-मूल्य इतने कमजोर कैसे पड़ गये ? संभवतः हमारे दिए संस्कारों में ही कोई कमी रह गई होगी ? क्या पिता के जीवन को धन से … Read more

मी टाइम – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

राधिका तुम अपना सारा ‘मी टाइम'(अपना समय) इस लिखने-लिखाने में ही गंवा देती हो। घर से बाहर निकलकर भी दुनिया देखो। किसी ‘किट्टी पार्टी’ या ‘क्लब’ की सदस्य ही बन जाओ। यदि कहो, तो मैं तुम्हें ‘रेड क्रास सोसायटी’ या इन्हरव्हील क्लब’ की सदस्यता दिलवा दूं, मेरे दो मित्रों की पत्नियां इनकी सदस्य हैं।   ज्ञक्षराधिका … Read more

न भी न ! मैं ‘मैं’ ही ठीक हूं ! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

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  ‘अमिता, मेरी नीली कमीज प्रेस नहीं की? कल सुबह तुम्हें बोलकर घर से निकला था। आज मेरी प्रेजेन्टेशन है।मुझे वही कमीज पहननी थी।पता नहीं तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता है?’    ओह सॉरी,भुवन! दरअसल कल कपड़े प्रेस करने के लिए समय ही नहीं मिल पाया। मैं अभी प्रेस कर देती हूँ।    ‘समय नहीं मिल पाया ?? बाई- … Read more

गुड न्यूज – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

‘दादू! आपके लिए ‘गुड न्यूज’ है। मेरा इंटरव्यू बहुत बढ़िया हुआ और मेरा चयन हो गया है। अभी मैं नियुक्ति-पत्र  लेने के लिए स्कूल में ही रुकी हूँ।’ रिद्धि फोन पर चहक रही थी। ‘शाबाश! मेरी लाडो!’ कहकर उसके दादू कुछ और पूछना चाहते थे कि ‘बाकी सारी बातें घर आकर बताऊंगी।’ कहकर रिद्धि ने … Read more

किचन क्वीन – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 उनकी पोती के जन्मदिन की पार्टी खूब जोरों-शोरों से चल रही थी. कोविड की एहतियात के मद्देनजर उनकी बहू ने अपने पाँच-छः पारिवारिक मित्रों के साथ एक छोटी सी पार्टी का ही आयोजन किया था. अपनी-अपनी पसंद के अनुसार प्लेटों में स्नैक्स लेकर सभी मित्र यहाँ-वहाँ गपशप में मशगूल थे. पुरुष वर्ग अपनी राजनीतिक तथा … Read more

नींव – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

    रोहन ने अत्यन्त तीव्रता पूर्वक बड़े उल्लसित मन से अपने घर‌ में प्रवेश किया और इधर-उधर नजरें घुमाते हुए अपने दादाजी को बरामदे में बैठा न पाकर वह तुरंत लगभग दौड़ता हुआ सा उनके कमरे में जा पहुंचा। दरअसल बरामदे में आ चुकी हल्की-हल्की धूप के कारण इस वक्त दादाजी अपने कमरे में ही समाचार … Read more

अम्मा जी – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  अम्मा जी रुआंसे मन से कार में बैठीं। उनके सीट पर बैठते ही उनकी बेटी भी कार में उनके संग बैठ गई। उसने अम्मा जी की लातों पर कंबल ओढ़ाया और उनके सिर का स्कार्फ माथे की ओर आगे करते हुए पुनः एक बार उनका शॉल ठीक किया, लेकिन इस दौरान अम्माजी का सारा ध्यान … Read more

पढ़ी-लिखी बहू – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

‘अरे कहने को तो बहू पढ़ी-लिखी है, परंतु कितनी बार समझाया इसको कि ये तीखे-तेज मसाले मेरा पेट खराब कर देते हैं। छाती में जलन होने लगती है। जीभ जल जाती है, सो अलग। सुलगती-जलती जीभ से खाने के स्वाद का ही पता नहीं चल पाता’ खाना शुरु करते ही  मनोहर बाबू भुनभुनाने लगे थे। … Read more

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