ये गलती न होगी दुबारा – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मिन्नी जा भाग कर चार कप चाय बना ला “सुमन ने अपनी बेटी मिन्नी से कहा। “मम्मी मै फेल हो जाऊँगी, इस तरह आप काम करवाओगी “मिन्नी चिढ़ कर बोली। पास बैठे सुकेश जी चौंक पड़े.. . बोले “ये बात तो कोई और भी बोला था, कुछ साल पहले…..मुझे छुटकी याद आ गई “।सुकेश जी … Read more

नसीहत जिसने जीना सिखा दिया… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज क्लाइंट की अचानक से मीटिंग होने से रीना को ऑफिस से निकलते रात हो गई, ऑफिस की कार उसे घर तक छोड़ने आई, अपनी बिल्डिंग के नीचे उतरते ही उसे मिसेज वर्मा मिल गई, जो डिनर के बाद वाक कर रही थी,उनके साथ वाक करती सोसाइटी की कुछ और महिलायें भी रीना को देखते … Read more

लाल गाड़ी – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मीना के घर किट्टी थी, गपशप के बाद तम्बोला खेल शुरु ही हुआ था अचानक लीना राधिका से पूछ बैठी         “क्या बात है राधिका, आजकल भाईसाहब देर रात, एक लाल गाड़ी से आते है, सब ठीक है ना,” लीना के होठों पे रहस्यमयी मुस्कान देख, राधिका चिढ़ गई।      किट्टी पार्टी का शोर ये सुन कर … Read more

रिश्तों का बदलाव तब और अब…. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

” समय कितना बदल गया,साथ ही खुशियों के मायने भी “रेवती जी ने उदासी से कहा। “तुम ठीक कह रही हो, पहले हमारी खुशी परिवार के साथ होती थी, पर आज खुशियाँ भी अपना अर्थ बदल दी, प्रतिस्पर्धा इस कदर बढ़ गई इसमें रिश्ते भी डूब जाते हैं, क्योंकि मैं इतना भारी हो जाता, जिसमें … Read more

खुशियों की नई परिभाषा – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज मन बहुत अशांत था। बचपन और माँ बहुत याद आ रही थी । सुनने वाले बोलेंगे पचपन में बचपन क्यों याद आना..। पर शायद हर इंसान के दिल में एक बच्चा छुपा होता है,जब दिल पर चोट पड़ती तो, उसे अपना बचपन और माँ शिद्दत से याद आते । पत्नी के मन की उथल … Read more

एक दिन ये समय भी गुजर जाता है – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

रिया एक सीधी -सादी सी गृहणी थी, पति और दोनों बच्चों में उसकी दुनिया थी। ख्वाब भी छोटे थे तो कोई कसक भी नहीं थी, जो था उतने में ही खुश रहती थी .। कहते है ना सुख एक जगह ठहरता नहीं, अच्छी भली रिया की गृहस्थी में अचानक एक तूफ़ाँ आ गया, जब पता … Read more

पिया का घर अपना लगे – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आखिर कनक की खोज पूरी हो गई, महिका उसे पहली नजर में पसंद आ गई।सबसे बड़ी बात शादी उसी शहर में तय हुई जहाँ कनक रहती थी।बेटे कनिष्क ने भी अपनी पसंदगी की मुहर लगा दी। नियत समय पर कनिष्क और महिका की शादी हो गई। कनक ने बड़े अरमानों से बहू की आरती कर … Read more

मुझे भी चैन से खाने का हक़ है… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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सन्डे की सुबह सबकी फरमाइश पर रमा ने छोले -भठूरे बनाये… सबने चटकारे ले -ले कर खाया। “वाह माँ बहुत टेस्टी छोले -भठूरे बने था, मजा आ गया खा कर “बेटी अंकिता ने माँ की तारीफ करी। पतिदेव ब्रेकफास्ट के बाद टी. वी. पर अपने प्रोग्राम में चिपक गये., बेटी -बेटा अपने मोबाइल में और … Read more

“ना मुझे आपके पैसे चाहिए और ना आपकी प्रॉपर्टी… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“दी, आप के पास कुछ पेपर भेजा है, हस्ताक्षर कर भेज दीजियेगा”मानसी ने रीमा को फोन पर सूचना दी। ” कैसे पेपर भाभी”रीमा ने पूछा. “वो दीदी.. वो बड़ी भाभी ने कहा था, मकान के और गांव की जमीन के पेपर पर आप के हस्ताक्षर ले लें, कहीं बाद में आप हिस्सा ना मांगने लगें … Read more

मै दिखा दूंगी बहू को कैसे रखते है… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

शीला जी एक दबंग महिला थी… सास के रूप में भी थोड़ा कड़क..।   शीला जी की तीन  बहुएँ है.।  जिंदगी ठीक चल रही थी,.. पर बहुओं को हमेशा व्यस्त रखती…. पारंपरिक घर… कितनी भी भूख हो बहुएँ सब को खिलाने के बाद ही खाती थी..। सारा काम करती थी, फिर भी सासुमां की कसौटी … Read more

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