और कितनी परीक्षा दूंगी.. – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

“ये क्या रूचि, दूध गैस पर रख, तुम यहाँ मोबाइल पर गप्पे मार रही हो, सारा दूध जल गया,”कनक ने कहा तो रूचि का मुँह फूल गया…, ये सास और ससुराल दोनों ही आफत है, एक मिनट भी चैन नहीं…,भुनभूनाते हुये रसोई की ओर चल दी। रूचि को भुनभूनाते देख कनक जी सोच में डूब … Read more

दूसरों में नहीं खुद में खुशियाँ ढूढ़ें… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

पार्क में घूमते रजनी की निगाहें बेंच पर बैठी अपने में गुम महिला पर पड़ी…,कानों से इयरफोन हटा कर उसने गौर से देखा चेहरा कुछ पहचाना सा लगा, दिमाग पर जोर डाला,पर कुछ याद नहीं आया…., रजनी अपना वाक पूरा कर उस महिला के बारे में सोचते घर की ओर चली गई….। घर में भी … Read more

एक छोटी सी ख़्वाहिश – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

सुबह की भगादौड़ी के बाद सुमन ने अपने लिये एक कप चाय बना,बालकनी में रखें झूले पर आकर बैठ गई, आज मन थोड़ा उदास था, दिन भर काम में लगे रहने पर भी उसके कामों की कोई कीमत नहीं… जो घर में बैठे लैपटॉप पर काम करते, मोटी सैलरी पाते, सिर्फ उनके काम की ही … Read more

नुकसान सबक दे जाता तो प्यार का नफा भी कराता – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“माँ, आप सब के लिये सहज सुलभ हो कर,…सबको मनमानी करने का मौका दे,अपना नुकसान ही करती है …, क्या फायदा, इतने मददगार बनने का, छोटा -बड़ा कोई भी आपको कुछ भी कह देता, आप किसी को भी ना क्यों नहीं बोलती..”बेटी तन्वी ने माँ सुमन को समझाने के लिये कहा..। “बेटा, नफा -नुकसान तो … Read more

सिर्फ लेन – देन से रिश्ते नहीं बनते.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मान्या घर के काम खत्म कर बैठी थी कि मोबाइल बज उठा। देखा बड़ी बहन महिका का कॉल था। “हाँ दीदी, कैसी हो बड़े दिनों बाद कॉल की…”मान्या ने खुशी से चहकते हुये बोला। “अरे मैंने नहीं किया तो तूने कौन सा फोन कर लिया, हमेशा मैं ही फोन करती हूँ “महिका थोड़े नाराजगी वाले … Read more

काली साड़ी – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“तुमको क्या लगता हैं, ये रंग तुम पर अच्छा लगेगा, एक तो रंग भी काला ऊपर से काली साड़ी, उफ़ कौन समझाये इसे…” ऊषा जी ने सर पर हाथ मारते हुये रति को कहा। काली साड़ी में लिपटी सलोनी सी रति, ये सुन शर्मसार हो गई।चुपचाप अपने कमरे में वापस आ, साड़ी बदल ली। ये … Read more

छोटी बहू – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

” विगत का सोचती हूँ तो एक सलाम खुद के लिये बनता है, “पीछे कुछ आवाजें अभी भी कानों में शोर मचाती हैं। “हमारी ही किस्मत खराब थी जो ऐसी बालिका वधु से पाला पड़ा, माँ ने कुछ सिखाया नहीं, और मुझे इस बहू के आने से भी आराम नहीं, ऊपर से बच्चों की तरह … Read more

खोल दो पंखो को – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

कुछ दिनों से रोहित देख रहे थे मीता अक्सर खोई -खोई सी एकटक सामने देखती रहती, उसका वजन भी कम हो रहा था, उसके चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने वाली सदाबहार मुस्कुराहट की जगह एक खामोशी फैली हुई है, किसी काम में उसका मन नहीं लगता, कभी सब्जी जल जाती तो कभी दूध उफन कर गिर … Read more

तू डाल-डाल मैं पात-पात.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“क्या राज है अंजू, तू सास -ससुर के साथ रहती है, फिर भी सोसाइटी के हर एक्टिविटीज में भाग लेती है। सजी संवरी भी रहती,कैसे मैनेज करती है तू, हमें भी वो राज जानना है।”नीला ने अंजू से पूछा। “कुछ नहीं यार, बस दिमाग से काम लेती हूँ, वो लोग भी खुश और मै भी … Read more

बहू और बेटी खिलखिलाती ही अच्छी लगती है – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

ऑफिस में नये साल पर मॉल में खुले नये रेस्टोरेंट में लंच होना तय किया गया,साल का पहला दिन, सुबह सबको मुबारकवाद देने में गुजरा और दोपहर में लंच के लिये ऑफिस के कुलीग के संग सुधाकर जी भी मॉल पहुंचे। पार्टी के दौरान सुधाकर जी क़ी नजरें कोने में बैठे लाल रंग क़ी जैकेट … Read more

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