चक्रव्यूह – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

पार्क में बैठे वीरेन जी को एहसास भी नहीं था कि अंधेरा घिर आया है, पंक्षी भी अब अपने घौसलों की ओर लौटने लगे हैं, उन्हें भी अब घर  लौटना चाहिए। लेकिन अब उनका मन घर लौटने को नही करता, जब से उनसे उनकी जन्म भूमि अपना कस्बा सुल्तानपुर छूटा है, वे निस्तेज से हो … Read more

संगम पर संगम – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अपने पति के साथ कुंभ नहाने आई मुग्धा अचानक सामने बैठी बुजुर्ग स्त्री को देखकर ठिठक गई, वह सावित्री देवी लग रहीं थी, हां हां वह वही तो है… उसने अपने मन में सोचा ये तो सावित्री देवी ही है जिन्हे मै माताजी कहते नहीं थकती  थी और वह मुझे दुल्हन दुल्हन कहते। मुझे इतना … Read more

आखिरी श्रृंगार – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आज राधा जी की पहली पुण्यतिथि पर पूरा परिवार, घर नाते रिश्तेदार बच्चे सब एकत्रित हैं। चौकी पर रखी श्रीमती राधा सुबोध गर्ग जी की मुस्कुराती हुई फोटो देखकर ऐसा लग रहा है मानो अभी बोल पड़ेंगी। वही राधा जी की तस्वीर के पास उनके पति सुबोध जी बैठे हैं और नीचे की तरफ शून्य … Read more

बाबुल की दहलीज – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

समूचा आकाश उस नन्ही चिड़िया के करुण क्रंदन से गूंज उठा, पक्षियों के पंखों और  चींचीं की ध्वनि मीता के कानों में गूंज उठी जो सुंदर कलरव अभी तक कानों में मिश्री सा घोल रहा था और उसके व्यथित हृदय को वह कुछ शांति दे रहा था,अब  इस ध्वनि मे पक्षियों का भय सुनाई देता … Read more

अनोखा रक्षाबंधन – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आज राखी का दिन है और दोनों बहन भाई मृदुला और शैलेश अस्पताल में एडमिट है। पूरा परिवार भी मृदुला और शैलेश की मम्मी मालाजी और शैलेश की पत्नी नित्या और दोनों बेटियां शगुन और रोली के साथ साथ मृदुला के पति गोविंद जी और मृदुला का बेटा  शिवम भी छुट्टियों में हास्टल से घर … Read more

पापा जल्दी आ जाना – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

रात के 2:00 बजे थे, लेकिन जबसे अवधेश ने अपने बेटे का फोन पर टूटी फूटी  भाषा में आया पत्र पढ़ा है कि पापा जल्दी  आ जाना,अवधेश की आंखों से नींद कोसों दूर थी। सब कुछ ठीक-ठाक ही तो चल रहा था दोनों की जिंदगी में पर, पता नहीं किसकी नजर लग गई, ना जाने … Read more

मार्डन से तो अनपढ़ भले – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आज जब सुनीता देर से काम पर आई तो मैंने उससे पूछा सुनीता आज तू फिर से देर से आई है कल तो तूने कहा था अब टाइम से आया करूंगी, पर तेरा तो रोज-रोज का हो गया है यह रोज-रोज का देर से आने का झंझट अब खत्म कर दे सुनीता । मुझे सुबह-सुबह … Read more

दूरदर्शन वाला प्यार – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

कन्नू ओ कन्नु कहां जा रहा है मायके आई सुषमा ने अपने बेटे कनिष्क को आवाज लगाते हुए पूछा तो कन्नु बोल क्या मां यहां नानी के घर भी आपकी पहरेदारी चलती रहेगी क्या ? गर्मियों की छुट्टियां हैं और यहां लाइट भी कितनी कम आती है कैसे मन लगेगा? मैं बस पड़ोस वाली तन्वी … Read more

अभागन की बेटी – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बहुत-बहुत बधाई हो रोली दीदी, बेटी ने आखिर साबित कर ही दिया कि आप कोई अभागन नहीं और वो कोई अभागन की बेटी नहीं। अरे अभागे तो वे लोग होते हैं जो समाज के डर से अपने हौसलों की उड़ान को रोक देते हैं, और समाज द्वारा बनाई गई झूठी मर्यादाओं के आगे अपने घुटने … Read more

उतरन – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

शगुन ने धीरे से शौर्य का हाथ अपने बाजू पर से हटाया और तकिये के नीचे फंसे अपने लंबे बालों को आहिस्ता आहिस्ता से निकाला, और बेड के पास लगे आदमकद आईने में अपना अक्स निहारने लगी। यूं तो वह काफी सुंदर थी ही ,पर आज वह खुद को बेहद खूबसूरत महसूस कर रही थी। … Read more

error: Content is Copyright protected !!