गलफुल्लो – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

निम्मी बेटा आजा देख थाली लग गई है भूख लगी होगी जिद नहीं करते बेटा जल्दी आ….मां की लगातार आती आवाजों को अनसुनी करती निम्मी अपने कोपभबन से टस से मस नहीं हुई।पहले मुझे नया मोबाइल दिलाओ तभी खाना खाऊंगी गाल फुला कर चिल्ला उठी।अच्छा ठीक है मोबाइल दिला देंगे आज मेरी रानी बिटिया.. अबकी … Read more

प्रतिशोध पिता से – लतिका श्रीवास्तव   : Moral Stories in Hindi

गणपति बप्पा मोरिया….बप्पा को अपने हाथों में अपने कंधों में उठाए स्थापना के लिए घर ले जाते उत्साही भक्तों की बुलंद आवाजे आसमान छू रही थीं पटाखों की तेज आवाजें कान के पर्दे फाड़े दे रहीं थीं उमड़ता हुआ जनसमुदाय विशाल सड़कों को संकरी किए दे रहा था…। लेकिन कैब में बैठे अविनाश के कानों … Read more

कचरे का डिब्बा – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मां देख मैं क्या लाया हूं.. वीनू ने चहकते हुए कहा तो मुनिया बर्तन रगड़ते पलट कर देखने लगी क्या है री इत्ता चहक रहा है देखा तो वीनू के हाथ में एक अधखाया सेब फल था जो सड़ गया था।कहां से लाया किसका जूठा है .. मुनिया हाथ का काम छोड़ कर खड़ी हो … Read more

मुफ्त की मार – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सौरभ की शादी पक्की हो गई  पीयूष के बड़े चाचा का फोन आया था घर में बड़ा उत्साह व्याप्त था शादी में जाना था सबको। पीयूष ने मुझसे कहा सुन आलोक तू भी चल हम लोगो के साथ।यहां अकेला क्या करेगा आखिर सौरभ ने तुझे भी तो निमंत्रित किया है मेरा तो भाई है पर … Read more

छतरी – लतिका श्रीवास्तव   : Moral Stories in Hindi

नहीं …..हमारे खानदान में ऐसा कभी  नहीं हुआ और जब तक मैं जिंदा हूं मैं किसी को ऐसा करने नही दूंगा.. हमेशा की तरह मैंने गुर्रा कर सबको चुप कराने की कोशिश कर दी थी। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग दिखी मुझे ।आज पहली बार अपने घर में अपनी बात का विरोध करने के … Read more

जिद – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मुझे भी किसी हिल स्टेशन पर घुमाने ले चलो मां की दस दिनों से जारी यह जिद समझ से परे थी।पता नहीं अचानक मां पर ये घूमने जाने का भूत कैसे सवार हो गया था लेकिन इस भूत भगाने के चक्कर में पिता जी के सारे तंत्र मंत्र बेकार हुए जा रहे थे। हमेशा की … Read more

अभिनय की कसौटी – लतिका श्रीवास्तव  : Moral Stories in Hindi

आज फिर ढाक के वही तीन पात …नौकरी नहीं …!! कितनी एडियां रगड़ी कितनी मिन्नतें की पर बिना सिफारिश बिना ऊंची पहुंच के आज के जमाने में मुझे कौन नौकरी दे देगा।प्रतिभा है मेरे अंदर आखिर तीन वर्षो तक लगातार  पूरे कॉलेज का बेस्ट एक्टर मुझे ही चयनित किया जाता रहा है स्कूल में भी … Read more

पुलकन – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अरे भई श्रीमती जी कहां हैं आप लीजिए मॉर्निंग टी हाजिर है सुबोध जी ने चाय की केतली टिकोजी सहित लाकर बेड की साइड टेबल पर रख दी। शामली जी  वाश रूम से निकल रहीं थीं…! अरे सॉरी मुझे उठने में देर हो गई मैं बनाती ना आप क्यूं बना लाए कुछ शर्मिंदगी के एहसास … Read more

परिधान – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

.. तुमने कुछ कहा ही नहीं इतनी सुंदर ड्रेस मैने पहनी है …तुम्हारा ध्यान कीधर रहता है सुमेर…. रिया कुछ नाराज हो गई थीऔर आखिरी के शब्दो को कहने की तीव्रता इतनी अधिक थी कि रेस्तरां में कई लोग पलट कर उसकी ओर देखने लगे थे। यह सुंदर ड्रेस उसने कल ही खरीदी थी कल्पना … Read more

अभागी या सुभागी..!! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सब लोग कहते थे निधि तू अभागन है अरे भगवान ने तुझे एक बेटा नहीं दिया तीन तीन लड़कियां है तेरी ऊपर से तेरा पति .. निठल्ला.. बेकार..!! क्या होगा तेरा मुन्नी.. मां भी सिर पर हाथ मार कर कह उठती थी हे ईश्वर मैं बड़ी अभागी हूं मेरी ही बिटिया के साथ सब कुछ … Read more

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