ठगा सा – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

वर्षो से एक ही जूता पहन रहे हमेश बाबू का जूता अब घिस गया था जिसके लिए पत्नी कई बार टोक चुकि थी कि अरे ! नया ले लीजिए पर वो थे कि घसीट रहे थे और आज तो वो ज़िद पर ही अड़ गई कि नही आज तो आपको लेने जाना ही पड़ेगा  चाहे … Read more

चमकते आंसू – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

तखत पर बैठी अम्मा के आंसू  रुक नही रहे हर कोई उनकी आंखों के सामने से चला जा रहा और वो लाचार बेबस असहाय सी वहीं की वहीं पड़ी  कुछ नही कर पा रही ।करें भी कैसे एक तो उम्र का तकाज़ा दूसरे निगोड़ी कई बीमारियों ने  घर बना लिया देह में , वो भी … Read more

आख़िरी मुलाकात – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

सुनो घर चलते हैं वर्षो हुए घर नहीं गए।हर बार छुट्टियों में कही न कही घूमने का प्लान बन जाता है और हम सब पहाड़ों पर चले जाते है तो घर जाना रह ही जाता है कहते हुए ओम नहाने चला गया। जिसे रसोई में नाश्ता बनाती अनु से सुना और सोचने लगी।चलो अच्छा है … Read more

रिटायरमेंट – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

गंभीर बीमारी की वजह से श्याम बाबू दो महीने से नौकरी पर नही जा रहे जिसकी वजह से घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा पर कोई कुछ बोल नही रहा जैसे तैसे रेखा अपने अकेले दम पर गाड़ी खींच रही। अब इसे खीचना नही तो और क्या कहेंगे बीमारी की वजह से रखी रकम भी … Read more

अम्मा – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अम्मा मुस्कुरा रही है पर इसकी मुस्कुराहट के पीछे कई दर्द छिपे हुए हैं क्या? समझ सब रहे हैं पर मौन है। पहल कौन करे जो करे वही लेक्चर सुनने को तैयार रहे फिर तो अम्मा एक न सुनेगी आगा पीछा ऊपर नीचे सब बैठा कर घंटों सुनायेगी इतना कि सारी सिट्टी पिट्टी गुम हो … Read more

दौर – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आज अपने पीछे भागते लोगों को देख सुनैना दंग है हां दंग क्योंकि ये वही लोग हैं जो कभी नज़रे चुराया करते थे ,कभी घर आने को कहूं तो ऐसा न हो कुछ मांगने आज जाऊं लोग कहीं जाने का बहाना बना दिया करते थे और तो और सामने पड़ जाऊं तो लोग कतराके ऐसे … Read more

समझौता – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आज रात भर रेखा को नींद नही आई ये सोच सोच कर कि कल क्या होगा। अभी तक तो वो निश्चित रहती थी कि जो होगा रमेश देख लेंगे और देखते भी थे  यही हक़ीकत है घर से लेकर बाहर तक के सारे काम वो देखते थे। उसे तो सिर्फ़ रसोई और बच्चों  को  देखना … Read more

मुखाग्नि – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू प्रयागराज : Moral Stories in Hindi

जो स्त्री मंगलसूत्र गिरवी रखकर बचाने का प्रयास कर सकती है। वो सोचने वाली बात है कि कितनी कर्तव्य निष्ठ रही होगी  पर ये कौन देखता है  ।दम तोड़ते वक्त वो नही थी तो लोगों ने बात का बतंगड बना दिया। अरे! क्या जरूरत थी उसे घर जाने कि यह जानते हुए भी कि हालत … Read more

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