बड़ी बहू – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“तुम बड़ी हो तो क्या छोटों पर रौब गाँठोगी,अपने देवर-ननदों और परिवार  का ध्यान रखा करो ।बड़ी बहू का यही कर्तव्य होता है ।” सास सुचित्रा देवी अक्सर प्रमिला को सीख देती रहतीं । “बड़ों को भी तभी आदर मिलता है जब वे छोटों को स्नेह देते हैं ।” पति भुवनेश भी अक्सर प्रमिला से … Read more

टूटते रिश्ते जुड़ने लगे – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

सुहानी एक बहुत ही तेजतर्रार, अपना मतलब निकालने में होशियार रहने वाली लड़की थी । ईर्ष्या करना और दूसरों को नीचा दिखाना भी उसके व्यक्तित्व का एक हिस्सा था ।  कॉलेज में सुहानी साथी सहपाठियों ,सहेलियों से चालाकी से नोट्स हासिल कर लेती थी और रट-रटा कर ठीक-ठाक मार्क्स भी ले आती थी । अर्पिता … Read more

पैसे का गुरूर – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“हमारी बेटी बहुत बड़े घर में ब्याही है । बहुत अमीर हैं वो लोग ।दसियों नौकर-चाकर लगे रहते हैं ।” रुक्मणी अपनी पड़ोसन रजनी को बता रही थी । “अच्छा……जब आए अबकी बार कविता तो मुझसे भी मिलवाना । बहुत गुणी होगी तभी तो बड़े घर में पहुँची है ।” रजनी ने कहा । रजनी … Read more

ढलती साँझ – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“साँझ को तो ढलना ही होता है तो उसके लिए रोना क्या,घबराना क्या ! हम भी तो ढलती साँझ हैं उर्वशी तो क्यों न ढलते-ढलते अपनी लालिमा को सामर्थ्य भर बिखेर जाँय ।” रामेंद्र जी अपनी पत्नी उषा से कह रहे थे । उषा जो अब ज़िंदगी के 62 वें बसंत में थी और रामेंद्र … Read more

पड़ोसियों और परिवार में यही तो अंतर होता है बेटा – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

शादी के 10 साल बाद राहुल का जन्म हुआ था नितिन और सागरिका के यहाँ । दोनों फूले न समाए थे । दादी-दादा,नानी-नाना सबकी आँखों का तारा था राहुल । उसकी हर इच्छा कहते  ही पूरी कर दी जाती थी । राहुल के जन्म के दो साल बाद उसकी बहन नेहा भी आ गई थी … Read more

माँ जी का ख़ौफ़ – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

सुहासिनी की ज़िंदगी में जैसे विधाता ने उसके लिए ठोकरें और अपमान ही लिखा था । ग़रीब पिता विवाह में अपेक्षित दहेज़ नहीं दे पाए थे इसलिए ससुराल में हमेशा सास-ससुर से उपेक्षा और अपमान ही मिला लेकिन पति का व्यवहार उसके प्रति अच्छा था क्योंकि राजीव ने स्वयँ उससे अपनी मर्जी से  विवाह किया … Read more

स्वार्थी संसार – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

विनीता पिछले दस वर्षों से पल्लवी के घर काम करती थी। वह मेहनती और ईमानदार थी, इसलिए पल्लवी का उस पर पूरा विश्वास था। एक दिन सुबह काम के दौरान पल्लवी ने विनीता को उदास देखा। वह जानती थी कि उसकी जिंदगी हमेशा संघर्षों से भरी रही है, इसलिए वह समझ गई कि कुछ न … Read more

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