एक फैसला आत्मसम्मान के लिए – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

आज मै जो हूँ अपनी माँ की बदौलत हूँ..मेरी माँ ने मेरी खातिर किया.. “एक फैसला आत्मसम्मान के लिए”….मेरे लिए किया था उसने फैसला वो मुझे फर्श से अर्श तक पहुँचा कर रहेगी । आज भले ही वो इस दुनिया में नहीं है….. ये दुनिया उन लोगों को सलाम करती है जो अपने बल पर … Read more

बड़ी बहू – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

अरे राधाऽऽऽ ओ बहुरानीऽऽऽ बेटा कहां हो इसके बिना तो हम बिल्कुल अपाहिज से होकर रह गये हैं…थोड़ा गर्म पानी दे दो बिटिया, सुबह से गले में जकड़न सी हो रही है सोच रही गरारे कर गला साफ कर लेती ।  “ हे भगवान ये बैठे बिठाए क्या मुसीबत गले पड़ आई” क्या कल जाना … Read more

विपत्ति में अपने पराये की पहचान – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

भाभी का फोन सुनते ही भावना एक बार तो चक्कर खा गिरते बची । उसकी आंँखों में आँसू बहने लगे । स्मृति पटल पर बीते दिन घूमने लगे। कितना फर्क पड़ गया इन तीन वर्षों में उसकी शादी के एक वर्ष के अन्दर रेल दुर्घटना में माता पिता का स्वर्गवास उसके बाद उनकी बरसी पर … Read more

बेटा कैसा भी हो बहु अच्छी होनी चाहिए – डा बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

समय बदलता सोच भी बदलती लेकिन ममता का स्वरूप कभी नहीं बदलता एक अपनत्व की डोर रिश्ते को कैसे आपस में बांधे रखती है…? आज़ सुबह से ही घर में खुशी का माहौल था रेखा जी के कभी बातें करने,कभी खिलखिलाने की आवाजें पडोसन बेला जी के लिए तो रहस्य का विषय बनी हुई थी। … Read more

वो ममतामयी सास तो मैं ममतामयी बहु – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

ट्रिन ट्रिन ट्रिन काॅलवेल की आवाज सुनकर रमा देवी इटके से उठकर बड़बड़ाती दरवाजे की तरफ लपकी अरे भई कौन है? आ रही हूँ …ऐसा नहीं एक बार बजा दें, स्विच पर हाथ रखा नहीं तब तक नहीं हटाते जब तक कि दरवाजा न खुल जाए।दस काम रहते घर में करने को और ऊपर से … Read more

लालच से इज्जत पर बट्टा लगना तय है – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

नई- नई नौकरी आज रमन को ज्वाइन करना था। माता पिता ने आशीर्वाद दिया और कहा बेटा मन लगाकर ईमानदारी से कार्य करना दादा परदादा काफी इज्जतदार रहें तुम्हारे,उनकी प्रतिष्ठा पर कलंक लगना हमें बर्दाश्त नहीं होगा।  यद्यपि इस नौकरी के लिए काॅम्पीटिशन बहुत ज्यादा था मगर मेहनती होने के कारण रमन ने यूपीएससी परीक्षा … Read more

ढलती सांँझ – डॉ बीना कुण्डलिया  : Moral Stories in Hindi

सुबह होती है शाम होती है…. उम्र यूं ही तमाम होती है…किसी तीर्थ यात्री के मोबाइल से आती गाने की आवाज को सुनकर घाट के एक कोने में टैंट के नीचे बैठी अम्बा बाईजी बुदबुदाती है…सच ही तो है कितना सुन्दर लिखा किसी ने इंसान की जिंदगी “ढलती साँझ” सी ही है…और खुद उसकी अपनी … Read more

किचन किंग – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

अरे वाह भाभी… मजा ही आ गया… बड़ा ही स्वादिष्ट नाश्ता बनाया आपने, जितनी भी तारीफ करो…. कम ही रहेगी,राधव ने अपनी भाभी रूपा के बनाये खाने की तारीफ करते हुए कहा आज तो पेट भर गया मगर नीयत ही नहीं भर रही…. फिर दो कचौड़ियां और अपनी प्लेट में क्या रख… लीं ॽ  पत्नी … Read more

हम वो नहीं जो दूसरे बताते हैं…… – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

माना की आज तनाव भरी एवं व्यस्त जीवन में हास्य का अपना ही महत्व है ‌यह हमें खुश रखने में मदद करता है लेकिन यही मजाक अगर सही तरीके से न किया जाए,या मजाक की आड़ में कटाक्ष ,तो पल भर में सारे खुशनुमा माहौल को बिगाड़कर रख देता है….. काफी समय से मिलना जुलना … Read more

जब यादों के झरोखे ने दी दस्तक – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

 आज सुबह से बाहर तेज बारिश हो रही थी। बादल अपनी गर्जन से आकाश को दहला रहे थे…. ऐसा लगता जैसे भयंकर तूफान आने वाला है। परेशान सी रमा कभी खिड़की के बाहर देखती,कभी कमरे में चहलकदमी करती…बैचेन सी इधर उधर मंडरा रही थी। अचानक हुई रिमझिम से मौसम खुशगवार हो गया था..रमा ने एक … Read more

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