चिड़िया ने क्या बिगाड़ा था – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

गाँव के बाहर था एक खंडहर। सूना और उजाड़। और कोई नहीं बस, एक चिड़िया रहती थी। उसने तिनके चुन-चुनकर अपना घोंसला बनाया था। गाँव के लोग खंडहर से बचकर चलते थे, लेकिन चिड़िया को कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन एक दिन मुसीबत आ ही तो गई। बारिश का मौसम था। एक मुसाफिर वहाँ तक … Read more

प्रणाम बंद मकान को – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

रत्ना बहुत दिनों से पार्क की चार दीवारी के पास सब्जी का ठेला लगाती आ रही है। ठीक सामने बहुत बड़ा हवेली जैसा मकान है,जो काफी समय से बंद पड़ा है। पहले यहाँ एक बड़ा परिवार रहता था।उसकी मुखिया थीं एक बूढी महिला, जिन्हें सब दादी अम्मा कह कर बुलाते थे। रत्ना को वह छोटी … Read more

हवा और खुशबू की तरह – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

रामदास थक गए थे। सोसाइटी की लिफ्ट ऊपर कहीं अटकी हुई थी, इसलिए लिफ्ट के सामने वाली सीढ़ियों की पैडी पर बैठ गए। तभी कानों में आवाज आई—‘ लीजिये पानी पीजिये। ’ रामदास चौंक गए,देखा—सामने एक बच्चा पानी का गिलास लिए खड़ा है। सचमुच प्यास से गला सूख रहा था। उन्होंने पानी पी लिया फिर … Read more

उदास मिठाई – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

अमित को सुबह की गाड़ी से आगरा जाना था दफ्तर के काम से। जाने से पहले वह पिता के पास विदा लेने गया। उन्होंने अमित के हाथ में एक छोटा सा कागज़ थमा दिया। अमित ने बिना पढ़े जेब में रख लिया। वह सोच रहा था कहीं गाड़ी छूट न जाये पिता ने कहा-‘ मैंने … Read more

error: Content is Copyright protected !!