अब समझौता नहीं – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

रात के खाने के बाद सब लोग  अपने-अपने कमरों में जा चुके थे। घर की दीवारों पर पसरी खामोशी ने जैसे अंजलि के भीतर के तूफान को और उकसा दिया था। वह छत पर चली आई। सिर के ऊपर आकाश, बिखरी हुई चाँदनी,v और एक ऐसा अकेलापन… जो उसकी आत्मा की परछाई जैसा था। अंजलि … Read more

दरारों – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

बारिश की बूँदें खिड़की के कांच पर थिरक रही थीं, जैसे किसी पुराने गीत की धुन हो। सुमन खिड़की के पास बैठी थी, चाय का प्याला सामने रखा था, लेकिन उसकी नज़रें कहीं  और थीं। उसी घर में जहाँ कभी बच्चों की किलकारियाँ गूँजती थीं, अब चुप्पियों की चादर तनी हुई थी। विनय जी, सेवानिवृत्त … Read more

 मेरी आत्मा को दुखी कर तुम सुखी नहीं रह सकती हो – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

शहर की एक पॉश सोसाइटी में अर्जुन अपने परिवार के साथ एक आलीशान बंगले में रहता था। चमचमाती फर्श, वॉइस कंट्रोल लाइट्स, होम थिएटर, स्मार्ट किचन—घर में हर सुविधा मौजूद थी। पर इस आधुनिकता के बीच घर के एक कोने में चुपचाप रहते थे अर्जुन के माता-पिता—रमा और सविता। रमा अब 75 के हो गए … Read more

औलाद के मोह के कारण वह सब सह रही थी – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

दुर्गा – नाम ही नहीं, उसका स्वभाव भी वैसा ही था। पढ़ी-लिखी, आत्मनिर्भर सोच की महिला। बचपन से ही किसी पर बोझ बनना नहीं सीखा था। स्कूल में जब किसी दोस्त के पास फीस भरने के पैसे नहीं होते, तो वह अपनी गुल्लक तोड़ देती। उसके लिए दूसरों का दर्द बाँटना कोई अहसान नहीं, इंसानियत … Read more

आंसू बन गए मोती – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

रात के सन्नाटे में घड़ी की टिक-टिक की आवाज़ कमरे की खामोशी को और गहरा कर रही थी। बिस्तर पर लेटी वृद्धा सावित्री देवी की आंखों में नमी थी। उनकी कांपती उंगलियां एक पुरानी तस्वीर को सहला रही थीं, जिसमें उनका पूरा परिवार हंसते हुए दिख रहा था। लेकिन वह हंसी अब कहीं खो गई … Read more

आंसू बन गए मोती – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

गाँव के एक छोटे से घर में मोहन अपनी पत्नी सुनीता और दो बच्चों, रोहित और पायल, के साथ रहता था। मोहन एक किसान था, लेकिन सालों से सूखा पड़ने के कारण उसकी फसलें बर्बाद हो रही थीं। आमदनी कम होने के कारण घर चलाना मुश्किल होता जा रहा था। सुनीता एक समझदार और सहनशील … Read more

“अगला जन्म किसने देखा?” – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

जूही ने खिड़की के बाहर झाँकते हुए गहरी सांस ली। हल्की ठंडी हवा उसके चेहरे से टकराई, पर मन में उठते सवालों की गर्मी कम नहीं हुई। उसने मन ही मन सोचा—क्यों जन्मों की आस लगाए बैठे हैं हम? जब ये जीवन हमारे पास है, तो उसी में खुशियां क्यों न तलाशें? संबंधों की चमक … Read more

मन के रिश्ते – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

अरे सान्या रूम में इतना अंधेरा क्यों कर रखा है रूम की खिड़कियों से पर्दे हटाती हुई मम्मी बोली। जब जीवन में ही अंधेरा हो तो …. मम्मी ने पास में बैठ कर चद्दर समेटते हुए समझाया ” पता है तुम्हारी प्रोब्लम क्या है ? तुम हर कार्य को अपने अकॉर्डिंग चाहती हो बेटा हर … Read more

इतने जतनो से तुम्हे पाला पोसा और कल की आई छोकरी के लिए तुम हमको छोड़ कर जा रहे हो? – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

मम्मी अभी तक सोई नहीं? अनु ने पूछा राधिका तकिए को पलंग के सिरहाने लगा बैठ गई और बोली ” नहीं अभी का नींद आखों में घुलती है,? दिनभर तो छोटे मोटे काम ही तो करती हु थकान नहीं होती तो नींद भी अकड़ दिखाती है। अनु मुस्कुराकर पास ही बैठ गया और मम्मी के … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

सीधे सीधे चलते चलते अचानक रोड चारों दिशाओं में बंटने लगी। इधर देखा उधर देखा कोई साइन नजर ही नहीं आया। उतर दिशा की ओर बड़ी बड़ी बिल्डिंगे खड़ी थी जिसके गलियारे एकदम शांत थे। बालकनी से कुछ कुछ बच्चे झाक रहे थे पर आवाज उनकी भी नहीं आ रही थी। किसी किसी बालकनी से … Read more

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