*मोह- दुआ-तप* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      कुछ भी करने में असमर्थ,अपने सामने होने वाली संभावित अनहोनी के असहनीय दुःख के अहसास करने को विवश,धर्मेंद्र जी-बस आंखों में पानी लिये घर मे ही निर्मित मंदिर में आंखे बंद किये बैठे रहते।उनकी पत्नी सुधा उन्हें ढाढस बधाने आती और खुद भी वही मंदिर में बैठ सिसकी भरने लगती।     अधिक समय थोड़े ही बीता … Read more

कर्मयोगी – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      विजय देखो अब ये अपने गंगू का बेटा मुन्ना यही हमारे पास रहा करेगा।      पर क्यों पापा? इसका अब कोई नही रहा है।गंगू अपनी पत्नी को सरकारी हॉस्पिटल ले जा रहा था,एक ट्रक की टक्कर से दोनो की मौके पर ही मौत हो गयी, मुन्ना स्कूल गया हुआ था,अब यह तो अनाथ हो गया ना।अब … Read more

*प्रायश्चित* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

       देखो,अजीत मुझे अब अपने बेटे की पढ़ाई के लिये अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचना पड़ेगा,सो अब मेरी जमीन को बैंक से मुक्त करा दो।        वो तो ठीक है,पर सुशील मेरे पास अभी रुपयों की व्यवस्था नही है, इसलिये बैंक से अभी जमीन मुक्त नही हो पायेगी।        पर अब तो तुम्हारा काम काज बढ़िया चल … Read more

*सुकून की परीक्षा* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      मु —  न्ना,जल्दी आ रे देख तो तेरे बाबूजी को क्या हो गया है?जल्दी आ रे।          मम्मी क्या हुआ बाबूजी को?अरे ये तो बेहोश लग रहे हैं।मैं इन्हें अभी हॉस्पिटल लेकर चलता हूँ।मम्मी तुम चिंता न करो,मेरे बाबूजी को कुछ नही होगा।         राम शरण जी ने अपने बेटे शोभित को बड़े अरमानों से पाला था,वे … Read more

सूरज से प्रकाशित रजनी – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      राजो बेहद खुश थी।खुश भी क्यो न हो भला,आखिर उसे उसका प्यार मिल गया था।सूरज को चाहती थी और सूरज से ही उसका ब्याह जो हो गया था।ये बात दीगर है उसकी माँ ही अपनी पड़ौसन से कह रही थी,इस करमजली ने अपने भाग खुद फोड़ लिये हैं।       सम्पन्न वर्ग की रजनी जिसे सब राजो … Read more

*करनी अपनो की* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     भैय्या, आप तो नौकरी में बाहर ही रहते हो,चाचा अब रहे नही,तो इस खेती बाड़ी को कौन देखेगा?       हां-हाँ ये बात तो है,कुछ सोचना तो पड़ेगा।        भैय्या, आप यदि इजाजत दे  तो आपकी जमीन को मैं बो और काट लूंगा।आपकी दोनो बेटियों की शादियों की जिम्मेदारी हमारी।आपके कारण हमारा भी काम चल जायेगा।           रविन्द्र को … Read more

*वट वृक्ष* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     भजनों की स्वर लहरी गूंज रही थी,बधाई हो बधाई के स्वरमय गीत से सभी का हृदय स्पंदित हो रहा था।सभी, करतल ध्वनि से वातावरण को और सुर मय बना रहे थे।         आज ही मैं अपनी ही सोसायटी निवासी नरोत्तम जी जिन्हें मैं अपने पिता तुल्य ही मानता हूं,पर हमारा परस्पर व्यवहार मित्रता जैसा है,के फ्लैट … Read more

अपनत्व भरा अधिकार – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        देखो प्राची, अब सूरज ने तुमसे विवाह कर ही लिया है,और तुम इस घर मे आ ही गयी हो तो एक बात समझ लो मैं तुम्हे बहू मानने वाली नही।          पहले ही दिन अपनी सास शकुंतला जी के मुँह से ये वाक्य सुन प्राची तो अवाक रह गयी,क्या उत्तर दे वह समझ ही नही पा … Read more

परिवर्तन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    अरे,सुमन ये अपने फ्लैट में लाइट क्यों नही है?पूरी सोसाइटी में तो बिजली आ रही है।         वो हम समय से पहले रिचार्ज कराना भूल गये थे ना,इसलिये आज बैलेंस समाप्त हो जाने के कारण बिजली कट गयी है।आज रात अंधेरे में ही काटनी पड़ेगी,सुबह 9 बजे के बाद ही री कनेक्शन हो पायेगा।         क्या——अपनी बिजली … Read more

मेरी बेटी ने ही मुझे जख्म दिया – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

एक दिन रमेश जी को  पता चला कि उनकी बेटी ने कोर्ट में शादी कर ली है। उन्हें यह सुनकर गहरा आघात पहुंचा, लेकिन उन्होंने सोचा कि शायद उसने अपनी खुशी के लिए यह निर्णय लिया होगा। पिता का दिल हर दुख सहन कर सकता है अगर उसे यकीन हो कि उसकी संतान खुश है। … Read more

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