*नीरवता* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    रात्रि की नीरवता में अचानक मोबाइल की घंटी बजना यकायक मन मे एक घबराहट पैदा कर देती है।मन मे शंका पैदा हो जाती है कि कोई बुरा समाचार तो नही सुनना पड़ेगा।ऐसे ही  देर रात में अंशुल के फोन पर घण्टी बजी तो उसने हड़बड़ाकर मोबाइल उठा लिया। उधर से मिश्रा जी बोल रहे थे।मिश्रा … Read more

दस्तक – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    देखो रामू अब तुम बुढियापे भी गये हो और सटिया भी गये हो अब तुमसे कोई काम ढंग से नही होता है।अच्छा है अब  तुम घर बैठो।          छोटे बाबू सारी उम्र तो आप लोगो के साये में गुजार दी,अब कहाँ ठौर है?अब जितनी जिंदगी पड़ी है,यही गुजार दूंगा, बाबू।कोशिश करूंगा अब काम ठीक ढंग से … Read more

जिजीविषा – बालेश्वर गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

  भाईसाहब,आप ही मेरी सहायता कर सकते हैं।प्लीज करेंगे ना मेरी मदद?        भाई बताओ तो बात क्या है?तभी तो पता चलेगा कि मैं क्या कर सकता हूँ?अगर कर सकता हूँ तो क्यों नही करूँगा तुम्हारी सहायता।        मैं कई दिनों से आपसे कहने की हिम्मत जुटा रहा था,पर अब जब पानी सर से गुजरने वाला है तो … Read more

अकेलापन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 अचानक पटाखों की तेज आवाजों से जानकी की आंखे खुल गयी।बड़ी मुश्किल से झपकी लगी थी,अचानक इत्ती रात को पटाखे?भला कोई ऐसा क्यों कर रहा है?इस उम्र में वैसे ही बड़ी मुश्किल से नींद आती है,अब आयी थी तो पटाखों ने तोड़ दी।बड़बड़ाती हुए जानकी उठ कर बॉलकोनी में आकर नीचे झांकने लगी तो देखा  … Read more

*बबूल का पेड़* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   हैलो-हैलो-मैं कुसुम बोल रही हूं।    हाँ-हाँ, बहन जी मैं रमेश हूं, क्या बात है,आप बड़ी घबराई प्रतीत हो रही हैं?        भाईसाहब आप तुरंत आ जाइये,वीरेंद्र जी को शायद हार्ट अटैक आया है,उन्हें होस्पिटल लेकर जाना है।           रमेश जी तुरंत ही अपनी कार निकाल कर बाहर खड़ी की,और पड़ोस में ही रहने वाले वीरेंद्र जी के … Read more

*निकृष्टता* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     वोव-अंकल,आप इस उम्र में भी बड़े हैंडसम लगते हैं।ये नीला सूट अंकल आप पर खूब फब रहा है।       थैंक्यू, बेटा, बैठो प्राची बस आने ही वाली होगी।चाय साय तो चलेगी।       चलेगी-अरे अंकल दौड़ेगी।कहकर सोनम जोर से हंस पड़ी          मुकेश जी ने एक धौल सोनम की पीठ पर जमा कर कहा-हां हाँ बैठ तो।          मुकेश जी … Read more

नीयति का खेल – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    अबोध तीन वर्षीय अनिकेत समझ ही नही पा रहा था,कि उसके साथ ये क्यों हो रहा है?पापा बोले थे कि अन्नू देख ये तेरी नयी मम्मी।मम्मी शब्द सुन अन्नू चौंका, उसे लगा मम्मी आ गयी,पर ये तो कोई और है,इसीलिये उसमें कोई उत्साह नही हुआ।पापा ने अन्नू को फिर समझाया, बेटा पहले वाली मम्मी तो … Read more

*हटना आवरण का* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    शादी तय होते ही मम्मी ने समझाना शुरू कर दिया था कि बेटी हर हाल में तुझे अवनीश के साथ अपनी सास से अलग होना है।अवनीश का दूसरा भाई है तो सास उसके पास रह सकती है।       जब पहली बार मम्मी ने मालिनी को यह समझाया तो उसे बड़ा अजीब सा लगा।उसे लगा था कि … Read more

*निःशब्द त्याग* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  जानकी, तुम?कितने बरस बाद दिखाई दी हो? कहाँ खो गयी थी? नही-नही, मुझे तुमसे यह पूछने का अधिकार नही है,मैं ही कायर निकला, तुम नही खोयी थी,मैंने ही तुम्हे खोया था।       बीती बात छोड़ो रमेश,बताओ तुम कैसे हो?तुम्हारी गृहस्थी कैसी चल रही है?       रमेश और जानकी में होश संभालते ही परस्पर आकर्षण पैदा हो गया … Read more

*उड़ी चेहरे की रौनक* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 सुन रामदीन,देख तू अपना दोस्त है,इसलिये तुझे आगाह करूँ हूँ, तू अपनी छोरी को संभाल।      क्यूँ क्या हुआ रौनक?मेरी कमली ने ऐसा क्या कर दिया है?       अरे, वो अपने मुंशी जी हैं ना,उसके बेटे से वह नैन मटक्का कर रही है।      गलत,मेरी कमली ऐसा कर ही नही सकती,अरे उसे तो अपनी पढ़ाई से ही फुरसत … Read more

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