औरत का असली धर्म – शनाया अहम् Moral Stories in Hindi

ये क्या अनाप शनाप पका के रख दिया तुमने , एकदम बकवास।  

न घर से कोई ख़ास दहेज़ लायी न ही खाना पकाने और ससुराल वालों को खुश रखने का तरीक़ा सीख कर आई। 

सारा दिन बस इसे सिखाते रहो, जो इसकी माँ सीखा के भेजती तो आज हमें सीखाना न पड़ता। 

अपने रूप के जाल में हमारे भोले भाले बेटे को फंसा लिया।  हमने भी सोचा की सरकारी अधिकारी की बेटी है , कोई कमी न करेंगे , पर हम तो ग़लत साबित हो गए , कमी ही कमी है। 

ये वो तीर बाण थे जो एक महीने पहले इस घर में ब्याह के आई निकिता के लिए उसके ससुराल वालों के मुंह से निकल रहे थे।  सास ननद सब उसे कोस रहे थे।  निकिता के लिए ये सब असहनीय था, लेकिन फिर भी वो खामोश थी। 

निकिता की शादी को अभी एक महीना ही हुआ था  , इस एक महीने तो मायके आना जाना या फिर ससुराल में ही रिश्तेदारों का मिलने आना , इसमें वक़्त का पता नहीं लगा लेकिन जैसे जैसे शादी को दिन गुजरने लगे वैसे वैसे निकिता के ससुराल और उसके पति का सच और  क्रूरता उसके सामने आने लगी।  शादी से पहले मीठे मीठे शब्द बोलने वाले उसके पति और ससुराल वालों का असली चेहरा निकिता के सामने रोज़ाना आने लगा।  निकिता को रोज़ कभी कम दहेज़ लाने के लिए तो कभी खाना बनाने से लेकर घर के काम के लिए ताने और गालियां दी जाने लगी।  हालाँकि निकिता के पिता ने निकिता की शादी में दिल खोलकर खर्च किया और ससुराल वालों के लिए लेनदेन का पूरा ध्यान रखा , अपनी सरकारी नौकरी के चलते उन्होंने जो भी जमा पूंजी बचाई थी वो सब अपनी इकलौती बेटी निकिता की शादी में लगा दी , लेकिन निकिता के ससुराल वालों को अभी भी कमी लग रही थी ,

निकिता खाना बहुत अच्छा बनाती थी, उसे खाने के शो में कई अवार्ड भी मिले थे लेकिन फिर भी निकिता को परेशान करने के लिए उसके खाने में कमियां निकाली जाती , उसे जली कटी सुनाई जाती लेकिन अपने माँ पिता के दिए संस्कारों की वजह से निकिता चुपचाप सब बर्दाश्त करती जाती। 

यहां तक तो ठीक था लेकिन निकिता उस वक़्त अपने आंसू न रोक पाई जब उसके पति ने भी उसे उलाहने देने शुरू कर दिये। 

रवि निकिता का पति, जिससे निकिता ने प्यार किया था , दोनों कॉलेज में मिले थे और वही एक दूसरे को दिल दे बैठे थे।  कॉलेज के बाद रवि की नौकरी लग गई और दोनों ने घरवालों की मर्ज़ी मिलने के बाद शादी कर ली।  

आज निकिता की शादी के एक महीने बाद ही ये सब शुरू हो गया , निकिता यही सब सोच सोच कर रोये जा रही थी कि सारी ज़िंदगी इन तानों के बीच कैसे गुज़रेगी , उसने पहले तो सोचा की अपनी माँ से बात करे लेकिन फिर उसे लगा कि माँ पिता जी दुखी हो जायेंगे ,वैसे भी पिता जी काफी दिन से बीमार चल रहे है ऐसे में उन्हें ये सब बताना ठीक नहीं होगा।  फिर निकिता के दिल ने कहा कि रवि से बात की जाये क्योंकि रवि उससे प्यार करता है और इसी प्यार को उसने शादी का रिश्ता दिया है , रवि सुबह ही ऑफिस चला जाता है , रात को देर से आता है तो उसे कुछ भी नहीं पता कि उसके जाने के बाद ये लोग मेरे साथ कैसे बर्ताव करते है । 

आज रवि से ही बात करती हूँ और उसे यहां के हालात का बताती हूँ , रवि मेरी बात ज़रूर सुनेंगे और मेरा मान सम्मान इस घर में बरक़रार रखेंगे। 

निकिता शाम को रवि के आने का इंतज़ार करने लगी , रवि को आज ऑफिस से आने में फिर देर हो गई, खाना खाकर रवि सीधे सोने चला गया , निकिता को लगा कि रवि आज बहुत थक गए हैं।  कल रविवार है।  कल सारा दिन रवि घर ही होंगे उनसे कल बात करुँगी। ये सोचते सोचते निकिता ने रसोई साफ़ की और सारा काम निपटाने के बाद अपने कमरे में जा ही रही थी कि सास ने अपने पैर दबाने का हुकूम सुना दिया।  निकिता सास के पैर दबाती रही , रात काफ़ी हो गई थी ,सास तो सो चुकी थी , लेकिन निकिता को जगा रखा था।  

काफ़ी देर बाद जब निकिता से नींद बर्दाश्त नहीं हुई तो वो उठकर अपने कमरे में आकर सो गई। 

अगले दिन निकिता को सुबह घर में सास और ननद के चीखने चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई पड़ी , वो जल्दी से बिस्तर से उठी और बाहर आई। 

उसने देखा सभी की आँखो में उसके लिए अंगारे जल रहे हैं। 

“उठ गई मेमसाब , नींद पूरी न हुई हो तो और सो लीजिये , आपके पिता जी ने आपके साथ जो नौकर चाकर की पूरी फ़ौज भेजी है , घर का काम चाय नाश्ता वो बना लेंगे।” ननद के मुंह से ऐसी बातें सुनकर निकिता की आँखों में आंसू आ गए लेकिन वो सम्भलते हुए बोली कि “वो कल रात मम्मी जी के पैर दबाते दबाते बहुत देर हो गई थी, रात देर से सोई इसलिए आज थोड़ा देर से आँख खुली , मैं अभी सारा काम निपटा लेती हूँ ” . 

इस पर निकिता की सास और भड़क गई और चिल्ला के बोली , मेरे पैर दबाने से अगर तुझे दिक्कत है तो न कर दिया कर , मगर अपने आलसीपन का ठीकरा मेरे सर न मढ़। 

पर मम्मी जी मैं कोई ठीकरा आपके सर नहीं मढ़ रही , जो बात है वही बोली है मैंने। .हालाँकि निकिता ने ये सब शब्द बहुत ही शालीनता के साथ कहे लेकिन इन शब्दों के बाद निकिता के गालों पर अचानक एक ज़ोरदार तमाचा पड़ा ,जिससे निकिता एक दम भोंचक्की रह गई , उसकी आँखों से ज़ार ज़ार आंसू बहने लगे। 

इन आंसुओं की एकमात्र वजह सिर्फ ये थप्पड़ ही नहीं , इसकी बड़ी वजह इस थप्पड़ के लिए हाथ उठाने वाला उसका अपना रवि था, वो रवि जो निकिता के लिए चाँद तारे तोड़कर लाने का दम भरा करता था , जो उसके लिए दीवाना था। जो कई बार कॉलेज में निकिता के लिए उसके आत्म सम्मान के लिए लड़ चुका था।  उसकी यही बातें तो निकिता के दिल में घर कर गई थी और उसने रवि से शादी की थी। क्योंकि वो उसके साथ खुद को सुरक्षित महसूस करती थी।  

आज उसी रवि ने बिना वजह निकिता को सबके सामने थप्पड़ मार कर ज़लील कर दिया , निकिता अभी ये सब समझने की कोशिश ही कर रही थी कि रवि ने निकिता को लगभग गालियां देते हुए माँ से माफ़ी मांगने को कहा.

थप्पड़ भी निकिता ने खाया और माफ़ी भी वो मांगे , ये कहाँ का न्याय है , निकिता सोचने को मजबूर हो गई लेकिन रवि की अंगारा जैसी आँखें और गुस्सा देखकर उसने माफ़ी मांगना ही सही समझा। 

“माँ” मुझे माफ़ कर दीजिये , आगे से ऐसा कभी नहीं होगा।  ये कहकर निकिता रसोई में चली गई. रसोई में काम करते करते निकिता बेतहाशा रोेए जा रही थी और सोचे जा रही थी कि वो तो रवि से आज अपना दुख साझा करने वाली थी , उसे तो यक़ीन था कि रवि उसकी बात समझेगा लेकिन यहां तो रवि भी इन सबके जैसा निकला।  उसने सीधा थप्पड़ ही मार दिया। 

अब तो ये दिन रात का हो गया , रवि कभी न तो निकिता से ढंग से बात करता न ही उसकी बात सुनता , यहां तक कि आये दिन उस पर हाथ उठाने लगा , रवि कई बार निकिता को अपने पापा से पैसे लाने और उसका खुद का बिज़नेस शुरू करवाने के लिए तंग परेशान करने लगा लेकिन निकिता उसकी मार उसकी गालियां सहती रहती लेकिन अपने माँ पिता से कभी कुछ न बताती 

कई बार निकिता की माँ उसे लेने उसके ससुराल भी आई।वो उसकी सास से कहती ” कि बहुत दिन हो गए , कुछ दिनों के लिए निकिता को मायके भेज दीजिये ‘ लेकिन सास अच्छे बनने का ढोंग करती और कहती आपकी बेटी है , आपका हक़ है ले जाने का, कुछ दिन रह आएगी लेकिन आँखों ही आँखों में निकिता को डरा देती जिससे निकिता हर बार अपनी माँ के साथ जाने से इंकार कर देती और कह देती माँ यहां इतना प्यार मिलता है कि नहीं जा सकती यहां से। 

जल्दी ही आऊँगी , माँ भी बेटी को खुश देखकर निश्चिन्त होकर चली जाती। 

ऐसा होते होते एक साल गुज़र गया , निकिता ने एक बेटे को जन्म दिया लेकिन रवि और सास ससुर ननद के बर्ताव में कोई फ़र्क नहीं आया।  उल्टा अब तो निकिता के ऊपर बच्चे की भी सारी ज़िम्मेदारी डाल दी गई ,,

सास ननद यूँ तो बच्चे पर प्यार लुटाती रहती लेकिन उसका एक भी काम करके राज़ी नहीं थी , हर काम के लिए निकिता को आना पड़ता।   एक बच्चे को पूरा दिन संभालना , सारे घर के काम अकेले करना , इन सबमें निकिता बीमार रहने लगी। लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं थी। 

जब निकिता बच्चे के जन्म के बाद भी एक बार भी मायके नहीं आई तो उसकी माँ को कुछ कुछ खटका सा होने लगा और उन्होंने निकिता के पिता जी से कहा कि “सुनिए, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा , निकिता के ससुराल में कुछ तो है जो वो हमसे छुपा रही है , हर बार बहाना बनाकर आने से मना कर देती है , यहां तक कि बच्चा होने के बाद भी नहीं आई , जब भी जाती हूँ,पहले से ज़्यादा कमज़ोर लगती है, अब मुझे फ़िक्र होने लगी है  “

हाँ तुम सही कह रही हो ,कुछ तो बात है , हमें पता लगाना होगा , ऐसा करते हैं, इस बार उन लोगों या निकिता को बिना बताये ही उसके ससुराल चलते हैं , अचानक से जायेंगे तो जो भी सच होगा , हमारे सामने आ जायेगा। 

निकिता के पिता जी बोले। 

लेकिन क्या ऐसे बिन बताये बेटी के ससुराल में जाना ठीक रहेगा।’ निकिता की माँ ने अपनी चिंता ज़ाहिर की। 

हाँ , ये बिलकुल ठीक रहेगा , हमें बिन बताये अचानक ही जाना पड़ेगा, तभी सच सामने आ पायेगा। 

ठीक है तो कल ही चलते हैं , निकिता की माँ ने सहमति दी। 

आज सुबह से निकिता को तेज़ बुखार था , उससे न मुन्ने को संभाला जा रहा था न ही घर के काम ठीक से हो पा रहे थे , उसने रवि से डॉ को दिखाने को कहा तो रवि ने चिल्लाते हुए कहा “अपने बाप से बिज़नेस शुरू करने के पैसे ला दे , डॉ क्या तुझे हॉस्पिटल में ही एडमिट करवा दूंगा “. 

रवि क्या तुमने मेरे पापा से पैसे लेने के लिए ही मुझसे शादी की थी, क्या तुम मुझे प्यार नहीं करते थे। कहते कहते निकिता का गला भर आया। 

हाँ।  मुझे यही भरोसा था कि बाप सरकारी अधिकारी है, खूब पैसे छापे होंगे , एकलौती बेटी है, खूब मिलेगा, अपना बिज़नेस शुरू कर लूंगा और फिर शादी तो कही न कही होनी ही है तो इसी से सही , लेकिन तुम लोगों ने मेरे सारे अरमानों पर पानी फेर दिया।  

रवि के ये शब्द निकिता के कानों में सीसे की तरह गिर रहे थे , इतने में सास ने निकिता के पिता जी को उल्टा सीधा कहना शुरू कर दिया। 

बस मम्मी जी, आज तक आपने मुझ पर सितम ढाये , मुझे मारा , मेरे सारे ज़ेवर छीन लिए , मेरे आगे आप लोगों ने शर्त रखी कि अगर मैं मायके जाऊं तो पैसे लेकर वापस आऊं , मैंने ये सब चुपचाप बर्दाश्त कर लिया लेकिन आज आप मेरे पिता जी को गालियां दे रही हैंतो मैं ये क़तई बर्दाश्त नहीं करुंगी।  मेरे पिता जी ने आज तक अपनी सरकारी नौकरी का फ़ायदा उठाकर एक रुपए की रिश्वत नहीं ली है , क्योंकि वो आप लोगों की तरह लालची नहीं हैं। 

निकिता से ऐसे जवाब की उम्मीद किसी को नहीं थी , ये सब सुनकर रवि और बाक़ी घरवाले आग बबूला हो गए , रवि ग़ुस्से में उठा और निकिता को मारने के लिए हाथ उठाने वाला ही था कि किसी ने पीछे से उसका हाथ पकड़ लिया और इतनी ज़ोर से झटका की रवि दूर जाकर गिरा।  

ये और कोई नहीं निकिता के पिता थे।  निकिता की माँ ने झट जाकर अपनी बेटी को सीने से लगा लिया।  माँ पिता जी को देखकर आज निकिता के सब्र का बाँध टूट गया और वो फूट फूट कर रोने लगी। 

निकिता के माँ और पिता जी ने निकिता से कहा कि हमें लग ही रहा था कि यहां तेरे साथ कुछ ग़लत हो रहा है , इसलिए सच जानने के लिए अचानक चले आये , और सच सामने आ गया लेकिन बेटी तू ये सब इतने वक़्त से क्यों बर्दाश्त कर रही है , तूने हमसे क्यों नहीं बताया। 

इस पर निकिता अपने आंसूं पोंछते हुए बोली कि “माँ , विदाई के वक़्त आपने ही कहा था कि बेटी अब तेरा ससुराल ही तेरा घर है , पति और ससुराल की बात का मान रखना , उनकी राज़ की बात को छुपाना और ससुराल की बुराई कभी मायके में न करना , यही तेरा धर्म है , तो माँ , मैं बस अपना वो ही धर्म निभा रही थी “

ये सब सुनकर निकिता की माँ बोली, बेटा मैंने तुझे पति और सास ससुर का की बात का मान रखने और ससुराल की बुराई मायके में न करने को तेरा धर्म बताया था , लेकिन पति और सास रुपी जानवरों और उनके द्वारा किये जा रहे अत्याचारों को सहने को तेरा धर्म नहीं बताया था।

ये अन्याय सहना किसी भी पत्नी , बहु या औरत का धर्म नहीं है। 

ये तेरा या किसी भी औरत का धर्म नहीं है बेटा कि वो जानवरों की तरह ससुराल में पीटती रहे , ज़ुलम सहती रहे।  इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना , इस अन्याय को समाज के सामने लाना और इन जैसे लोगों को सबक सीखाना ही हर पत्नी , बहु का धर्म है। 

इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाकर अपना धर्म निभा, ताकि समाज में मिसाल बने और किसी और निकिता के साथ ऐसा न हो , सबको सबक मिले। 

निकिता को माँ की बात समझ आ गई थी , उसने अपने आंसूं पोंछे और अपने बेटे को गोद में उठा लिया। 

इतने में निकिता के पिता जी पुलिस को फ़ोन कर चुके थे , पुलिस के आने पर उन्होंने वो वीडियो भी सुबूत के तौर पर पुलिस के हवाले कर दी जब निकिता पर ज़ुलम किया जा रहा था , तब उसके पिता जी ने चुपके से दरवाज़े की ओट से वो वीडियो बना लिया था। 

पुलिस को देखकर निकिता के सास ससुर और पति के हाथ पैर फूल गए और सभी निकिता से माफ़ी मांगने लगे और उसे उसके पत्नी धर्म और बहु धर्म की दुहाइयाँ देने लगे, 

उनकी ये दुहाइयाँ सुनकर निकिता ने अपनी माँ की कही बात दोहराई कि मेरा पत्नी धर्म और बहु धर्म इंसानों के लिए था , जानवरों के लिए नहीं। 

इतना कहकर निकिता ने इंस्पेक्टर से कहा , इंस्पेक्टर साहब ले जाइये इन्हे , इनसे अगली मुलाकत कोर्ट में होगी। 

आज निकिता की तलाक़ हो चुकी है , उसका पति और ससुराल वाले अभी भी जेल में हैं।  कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें निकिता को अच्छी ख़ासी रकम मुआवज़े के तौर पर देनी पड़ी और उस के भविष्य को भी सुरक्षित करना पड़ा। 

निकिता ने जॉब करनी शुरू कर दी और बहुत ही बेहतरीन तरीके से अपने बेटे की परवरिश कर रही है , जिसमें उसे अपने माता पिता का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। 

आज निकिता को अपना असली धर्म समझ आ गया है कि पति और ससुराल वालों की बात का मान रखो, उनके राज़ उजागर न करो , उनकी बुराइयाँ मायके में न करो ,लेकिन अगर उनका जानवर रुपी चेहरा सामने आये तो एक औरत होने के नाते अपना आत्म सम्मान बचाने का धर्म निभाओ।  चुपचाप ज़ुल्म सह कर अन्याय की भागीदार न बनो। 

यही एक औरत का असली धर्म है। 

लेखिका : शनाया अहम्

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