आधुनिक राक्षस – कमलेश राणा

आज मन बहुत उद्विग्न है, ऐसा लग रहा है जैसे दिल को किसी ने मुट्ठी में दबाकर निचोड़ दिया हो,, कोई इंसान इतना निकृष्ट कैसे हो सकता,, यह ख्याल दिल दिमाग से निकल ही नहीं रहा,, आज समझ पा रही हूँ जल से निकली मछली गरम रेत पर तड़पते हुए कैसा महसूस करती होगी,, 

बहुत प्यारी सखी है मेरी, दिल के बहुत करीब, हर सुख दुख की साथी निम्मी,, उसके पति नीरज बहुत भले इंसान है, बहुत मिलनसार, सबसे मिलते ही उनका राम राम सा कहना तो मानो दुश्मन को भी मुरीद बना देता,, मितभाषी जरूर है पर बहुत ही नेकदिल है,, 

एक दिन किसी काम से अलीगढ़ गये बेटे के साथ बाइक से,, बेटे को कॉलेज का कोई काम था तो वह रुक गया वहाँ और वह बस से हाथरस जाने के लिए बस का इंतज़ार करने लगे, कई और सवारी भी खड़ी थी वहाँ,, इतने में एक जीप आकर रुकी और वह हाथरस की सवारी के लिए पुकारने लगा,, 

नीरज उसकी ओर बढ़ गये उनके साथ एक 25-26 साल का लड़का भी बैठ गया,, फिर 3-4 सवारी और एक औरत भी आ गई,, जीप भरते ही गंतव्य की ओर चल पड़ी,, 

थोड़ी देर बाद उन्हें लगा कि वह गलत रास्ते पर जा रहे हैं,, उन्होंने टोका तो एक व्यक्ति ने बहुत ही भद्दे शब्दों में कहा,, चुप बैठ,, उन्हें उसकी टोन अच्छी नहीं लगी पर अजीब सा जरूर लगा,, आखिर उम्रदराज थे,, समझ गये कुछ गड़बड़ है,, आगे चलकर एक मंदिर के सामने जीप रुकी,, एक आदमी प्रसाद चढ़ाने उतर गया,, लौटकर उसने उन्हें प्रसाद दिया खाने को,, 

उसे खाते ही उन्हें चक्कर आने लगे,, भगवान ने उन्हें सद्बुद्धि दी और उन्होंने खिड़की में से धीरे से अपना मोबाइल फेंक दिया क्योंकि आजकल मोबाइल में सारी जानकारियां और एकाउंट डिटेल रहती हैं,, जब उन्हें होश आया तो उन्होंने अपने आप को बाजरे के खेत में पेड़ से बँधा पाया,, 

उनके होश में आते ही वो उनके घरवालों के नम्बर पूछने लगे,, बोले फोन करके पैसे मंगाओ घर से,, 

वो बोले,, भाई मै अनपढ़ आदमी हूँ,, मैं मोबाइल चलाना ही नहीं जानता,, ना ही मुझे किसी का नम्बर याद है,, मेरे घर में कोई नहीं है बस एक बूढ़ी माँ है,, कुछ नहीं है मेरे पास,, छोड़ दो मुझे,, बहुत प्यास लगी है पानी पिला दो,, 




पर उन दुष्टों ने उन्हें एक बूंद पानी तक नहीं दिया,, जब भी पानी मांगते उन्हें नशे का इंजेक्शन लगा देते,, सारे दिन खेत में पेड़ से बांध कर रखते और रात में ट्यूबवेल की अंधेरी कोठरी में डाल देते,, होश में आते ही मारपीट और पानी मांगने पर नस मे नशे का इंजेक्शन,, उन नरपिशाचों ने चार दिन तक उन्हें इस हाल में रखा,, 

अब उन्हें यह अहसास हो गया कि कुछ नहीं मिलेगा इससे,, उस दिन जब वो उन्हें यातना दे रहे थे तो वो बोले मेरी बूढ़ी माँ मर जायेगी अगर मुझे कुछ हो गया तो,, पता नहीं क्या हुआ,,एक आदमी बोला ठीक है,, कहाँ के हो तुम,, उन्होंने बताया,, मुरसान के,, तो वो उन्हें जीप में लाये और मरणासन्न स्थिति में सड़क के किनारे फेंक कर चले गये,, 

इधर परिवार वाले रात दिन एक किये हुए थे उनकी तलाश में,, रिपोर्ट भी दर्ज कराई पर कोई पता नहीं चल रहा था,, मोबाइल स्विच ऑफ जा रहा था,, करें तो क्या करें,, फिर चौथे दिनशाम को सात बजे उनके बेटे के पास किसी का फोन आया,, जल्दी आओ, तुम्हारे पापा को कोई जीप में से फेंक गया है,, बेहोश हैं वो,, आसपास सबको पता तो था ही कि वो लापता है चार दिन से,, 

तुरंत लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे,, थोड़ा होश आया तो उन्होंने सारी बात बताई,, पर लोकेशन की जानकारी नहीं थी उन्हें भी,, निम्मी और बेटा रोये जा रहे थे इतनी यातना क्यों झेली,, बता देते तो बच जाते,, वो बोले,, इसके बाद वो मुझे मार ही देते,, कम से कम तुम लोग तो सुरक्षित हो,, 

दिल्ली ले गये इलाज के लिए पर डॉक्टर भी नहीं समझ पा रहे थे कि कौन सी ड्रग दी है उन्होंने,, अगले दिन पेशाब में खून आने लगा और पूरे शरीर पर सूजन आ गई,, निम्मी पागल हुई जा रही थी,, डॉक्टरों के हाथ जोड़ती,, कैसे भी बचा लो इन्हें,, 

आखिर करवाचौथ को चंद्रोदय से दो घंटे पहले उसकी दुनियां उजड़ गई,, दिन भी कैसा चुना ऊपरवाले ने,, हे प्रभु! ऐसा किसी दुश्मन के साथ भी न हो,,जब अगले दिन उनके अंतिम संस्कार में हम गये तो हर सुहागन के हाथों में मेंहदी, नई चूड़ियाँ और पैरों में महावर था और मेरी सखी

मृत्यु जीवन का शाश्वत नियम है पर बिना किसी गुनाह के जो यातना उन्होंने झेली,, उस कष्ट के बारे में सोच सोच कर मन बहुत विचलित है,, राक्षस मे भी कुछ तो दयाभाव होता होगा, ये कैसे इंसान हैं,, प्रभु वो भी ऐसे ही तड़पें कि मौत की भीख मांगें पर मौत न आये,, 

मैं चाहती तो जगह के नाम बदल सकती थी पर यह सत्य इस प्रयोजन के साथ लिखा है कि जो भी पढ़े वो सावधान हो जाये,, और अगर उस क्षेत्र में कोई ऐसी घटना के बारे में जानकारी हो तो अवश्य बताएं,, 

इनको तो यह सब बताने का मौका भी मिल गया,, दूसरे लड़के की तो डेड बॉडी ईंट भट्टे पर फेंक गये,, उसका तो पता ही नहीं है कौन है कहाँ का है,, 

कमलेश राणा

ग्वालियर

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