सुनिए जी … टीना को फोन लगाकर होली में आने का कार्यक्रम पूछिए।इस बार तो मेरा नवासा भी आएगा साथ में …उमंग और उत्साह सुमित्रा की आवाज में छलक रहा था।
अभी लगाता हूँ बहुत दिनों से टीना की कोई खबर भी नहीं मिली है कहते हुए सुजीत जी ने फोन लगा दिया।
ना टीना ने ना ही वीरेंद्र ने फोन उठाया ।सुजीत ने समधी जी को लगा लिया।
हेलो हां समधी जी नमस्कार कहां है आप …जरा टीना बेटी से बात करवा दीजिए कहां है मेरी बेटी टीना… सुजीत जी ने जैसे ही मोबाइल पर पूछा दूसरी तरफ सन्नाटा पसर गया था।
हेलो आप बोलते क्यों नहीं आपसे पूछ रहा हूं मैं… तब तक फोन काट दिया गया था।
क्या हुआ जी …. पत्नी सुमित्रा ने पास आकर पूछा।
फोन काट दिए बिना कुछ बताए ।हजार बार लगाने पर तो उठाए थे सुजीत ने कहा।
मेरा तो जी घबरा रहा है।पिंटू कल बता रहा था कि बेटी के साथ फिर से ससुराल में मारपीट हुई है।वह कह रहा था उसे बहुत चोट भी आई है सुमित्रा रोने लग गई।
धीरे बोलो सुमित्रा कहीं कॉलोनी में किसी को पता चल गया तो…. मेरा आत्मसम्मान बना रहने दो।सारी बिरादरी में बात फैल गई तो मैं क्या मुंह दिखाऊंगा….सुजीत ने डपट दिया था।
आपको हमेशा अपने आत्मसम्मान की चिंता रहती है और मेरी बेटी वहां आपके इसी थोथे आत्मसम्मान की आन रखने के लिए अपना आत्मसम्मान दांव पर लगाती रहती है.. उसकी चिंता कौन करेगा..सुमित्रा फट पड़ी आज।
सुमित्रा बात का बतंगड़ क्यों बना रही हो ।आखिर बेटी का ससुराल है वे भी तो अपनी जिम्मेदारी समझते है।हमनें उन्हें अपनी बेटी दे दी है।बेटी के घर में हमारा हस्तक्षेप उचित नहीं है कहीं वे लोग नाराज ना हो जाएं सुजीत बोल उठे।
ये घर उसका नहीं है क्या।अभी भी ससुराल वालों की नाराजगी की चिंता है आपको ।अपनी बेटी उन्हें दी है हमने । इज्जत से रखना पड़ेगा नहीं तो….
सुमित्रा के अंदर तूफान चल रहा था।बेटी दे दी है तो क्या मार डालेंगे।हम चुपचाप देखते रहेंगे।हाथ कैसे उठाया मेरी फूल सी बच्ची पर ।आप डरते है कि गाल बजा कर बेटी के ससुराल वालों की शान जो सारे जहां में अपने बघारी है उसकी पोल खुल जाएगी।आपका दंभ की मेरी बेटी ससुराल में बहुत प्रसन्न है चूर चूर हो जायेगा।लोग आपकी थू थू करेंगे।आपके आत्मसम्मान की धज्जियां बिखर जाएंगी…तो क्या आप बेटी की लाश देखने की प्रतीक्षा कर रहे हैं… गरज उठी थी सुमित्रा।
सुजीत जी एक झटके से खड़े हो गए थे।अकल्पनीय यथार्थ सामने खड़ा हो गया था।
सुमित्रा…! अनाप शनाप बक रही हो।मेरी टीना को कुछ नहीं होगा।मैं अभी जाता हूं।तुम ठीक कह रही हो।मुझे भी गड़बड़ की आशंका हो रही है।तुम चिंता मत करो मैं अभी पिंटू और पीताम्बर के साथ टीना की ससुराल जाता हूं सुजीत ने जल्दी से शर्ट बदलते हुए कहा।
नहीं मैं भी चलूंगी आप लोगो के साथ सुमित्रा खड़ी हो गई।
अरे तुम परेशान हो जाओगी रहने दो।
मेरी बेटी का मामला है …..सुमित्रा दृढ़ थी।
अच्छा अच्छा चलो देर मत करो पितबर गाड़ी लेकर आता होगा अब इतनी जल्दी रिजर्वेशन तो मिलेगा नहीं बाई रोड ही निकल चलते हैं.. रास्ते में कुछ खा लेंगे।
अजी मेरे गले से तो पानी का घूंट ना उतरेगा जब तक अपनी बेटी को सही सलामत ना देख लूंगी कहती सुमित्रा झपाटे से दरवाजे पर ताला लगाने लगी।
ये पहली बार नहीं हुआ था।
दामाद वीरेंद्र शादी के पहले तो बहुत शरीफ और समझदार लगा था।बहुत देख समझ कर उन लोगों ने अपनी इकलौती पुत्री उससे ब्याह दी थी।
टीना तो शादी के खिलाफ थी।हमेशा कहती थी पिता जी मुझे शादी के झंझट में नहीं पड़ना।मैं अपना करियर बनाना चाहती हूं ।अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं।आजकल शादी सही में बर्बादी ही होती है।ना जाने लड़का और उसके घर के लोग कैसे होंगे।मुझे तो बहुत डर लगता है।
पगली है तू तो।हर लड़की को स्वाभाविक रूप से यह डर सताता है।अपने मां बाप को छोड़कर अनजाने घर में जाना घबराहट पैदा करता ही है।लेकिन यह तो सदियों की परंपरा है।हर लड़की को शादी के बाद दूसरा घर अपनाना ही पड़ता है सुमित्रा ने रटा रटाया जवाब दे दिया था।
लेकिन मां अगर मैं शादी के बाद भी यहीं आप लोगो के साथ ही रहूं तो…टीना दुखी हो गई थी।
परंपरा के विरुद्ध कोई कुछ नहीं कर सकता।ये सब हमारी पारिवारिक और सामाजिक परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं।बेटी पराया धन है उससे कैसा मोह ।मां बाप का सबसे पुनीत धर्म होता है बेटी के हाथ यथाशीघ्र पीले कर सुयोग्य वर से शादी करना मां के तर्क अकाट्य थे।
शादी विवाह धार्मिक संस्कार होता है।जन्म संस्कार मृत्यु संस्कार के समान ही विवाह संस्कार ध्रुव सत्य है।शादी से कैसा इंकार ।ऐसा तो सोचना भी पाप है मां की जिंदगी के सत्य तो यही थे।
…और अगर सुयोग्य वर ना मिल पाए तो…मुंहलगी टीना बोल उठी।
फिर तो बेटा तेरी किस्मत है।कहते हैं जोड़ियां तो ऊपर से ही बन कर आतीं हैं।बेटियां तो अपनी किस्मत साथ लेकर पैदा होती हैं मां ने संजीदा होकर कहा मानो खुद अपनी किस्मत को याद कर रही हो।
मतलब अगर मेरा होने वाला पति खराब स्वभाव का है मुझसे झगड़ा करता है तो इसमें गलती मेरी किस्मत की है टीना ने तर्क किया।
मेरी बेटी की किस्मत इतनी खराब नहीं है ..ऐसा क्यों सोचती है अभी से।बहुत ज्यादा ही बोलने की आदत है तुझे।बेटा लड़कियों को ही समझौते करने पड़ते हैं सब कुछ अपने मन का कहां मिल पाता है मां ने समझाया था।
अगर मेरा पति या मेरे ससुराल वाले मुझे मारेंगे पीटेंगे तो मैं क्या करूंगी मां टीना ने पूछ लिया।
मां अवाक हो गई थी …. क्यों मारेंगे मेरी लाडो बेटी को मेरी बेटी तो लाखों में एक है … कहती मां का गला भर आया था।
कुछ प्रश्न शायद अनुत्तरित ही रह जाते हैं।जिनके उत्तर समय खुद दे देता है।
अच्छा घर वर देख वीरेंद्र के साथ टीना की शादी शानदार ढंग से सुमित्रा और सुजीत ने संपन्न कर दी थी।लेकिन थोड़े ही दिनों बाद असलियत सामने आ गई थी कि दामाद की आदतें बहुत खराब हैं।वह टीना के साथ छोटी छोटी बातों पर लड़ाई करता है धमकी देता है।
टीना के बताने पर सुजीत और सुमित्रा ने टीना को ही समझाइश ज्यादा दी थी।लेकिन अक्सर झगड़े होने पर समधी और समधन से जब भी बात करते तो वे दोनों… मियां बीबी की आपसी लड़ाई है हमारा हस्तक्षेप उचित नहीं है या ये तो सामान्य सी बात है थोड़े दिनों में सब ठीक हो जाएगा आश्वासन देकर बात आई गई कर देते थे।
एक वर्ष बीतते टीना की गोद भर गई।प्यारे से नाती के आगमन से सभी प्रसन्न थे कि अब गृहस्थी की गाड़ी चल पड़ी ।अब आए दिन होने वाले झगड़े खत्म होने का विश्वास सबको हो गया था।
टीना भी अब कुछ नहीं बताती थी।सुमित्रा जी भी कभी इस विषय पर बात नहीं करती थी।उन्हें भी लगने लगा था थोड़ा बहुत लड़ाई झगड़ा तो आजकल सामान्य सी बात है।हमारी टीना भी तो स्वभाव की तेज है।जवाब देने में नहीं चूकती है।
लेकिन कल ….पिंटू जो टीना का चचेरा भाई था बिजनेस के सिलसिले में टीना के शहर गया था उसने आकर बताया कि टीना का पति से झगड़ा हुआ है और मार पीट भी हुई है।
सुनते ही कुशंकाओं से सुजीत और सुमित्रा का जी घबराने लगा था।
तत्काल गाड़ी करके वे चारों टीना के ससुराल पहुंच गए।
दरवाजे पर ताला लगा देख उनके होश उड़ गए।
पड़ोसियों से पूछा तो कोई ढंग से जवाब ही नहीं दे रहा था।
बड़ी मुश्किल से सामने वाले पड़ोसी किसी को अपना नाम ना बताने की शर्त पर ने बताया कि दो तीन दिनों से रोज इनके घर से लड़ाई की तेज आवाजें आती थीं।कल रात में उठा पटक की आवाज आई फिर आज सुबह सभी लोग शायद हॉस्पिटल गए हैं।बहू को काफी चोटें आई हैं उसकी हालत गंभीर है।जब हम लोग उनके पास सहायता के लिए गए तो हम पर नाराज होने लगेकी आप लोगों को दूसरों के फटे में टांग अड़ाने की खूब आदत है।
सुनकर सुजीत जी के तो होश उड़ गए ।
हॉस्पिटल का पता लगाते उन्हें और देर हो गई थी।जब वे सब हॉस्पिटल पहुंचे तो टीना के सास ससुर मुंह छुपाने लगे।
टीना को आईसीयू में भर्ती किया गया था।नाती का रो रो कर बुरा हाल था।सुमित्रा की तो जान ही निकल गई थी।
समधन ने तो सीधे मुंह बात नहीं की। समधी ने बताया कि वीरेंद्र और टीना के बीच बीती रात मार पीट हुई।वीरेंद्र ने गुस्से में टीना को वहीं रखी कुर्सी उठाकर मार दिया जिससे उसके सिर पर चोट लगी और वह बेहोश हो गई थी।रात भर उन लोगों ने किसी को नहीं बताया फिर सुबह होते ही यहां लेकर लाए हैं।
अरे इतना बड़ा भी कोई झगड़ा नहीं हुआ था।आपकी बेटी भी जुबां बहुत तेज है।सहना तो सीखा ही नहीं उसने।वीरेंद्र तो लड़का है गरम खून है उसका आखिर पति है उसकी बात ही नहीं मानती .. बस इसी बात पर वीरेंद्र ने हाथ उठा दिया ठीक तो किया।आपने बेटी को दब कर रहना सिखाया ही नहीं तिल का ताड़ बना दिया घरेलू बात का।अरे ये तो घर घर की बात है … हम सबको परेशान कर दिया देखिए मेरा बेटा बिचारा सुबह से कुछ खाया नहीं इसने… वीरेंद्र की मां ऐसी विकट परिस्थिति में भी गलती मानने की बजाय अपने ही बेटे को सही ठहराने और बहू को अपराधी करार देने पर आमदा थीं।
बहू की हालत गंभीर है इससे उन्हें कोई लेना देना ही नहीं था।
सुमित्रा के दिल में तो आग लग गई थी।पर वह बिना कोई बहस किए सीधे अपनी बेटी के पास आईसीयू में गई।निढाल पड़ी अपनी बेटी को देख उसका दिल दहाड़े मार कर रो पड़ा था।
सिर पर हाथ फिरा कर और उसके कानो में बेटी चिंता मत करना हम लोग आ गए हैं और तुझे अपने साथ लेकर ही जाएंगे कह कर वापिस आ गई थी।
पिंटू और पितांबर जी तो तुरत पुलिस रिपोर्ट करने की बात करने लगे थे।
सिर्फ वीरेंद्र के पिता ही थे जो बहुत दुखी थे और अपने लड़के की इस शर्मनाक घटना पर अफसोस कर रहे थे।
टीना को होश आ गया था।देखते ही अब बीरेंद्र पुलिस के डर से गिरगिट की तरह रंग बदल कर उसके सामने रोने लगा गिड़गिड़ाने लगा माफ़ी मांगने लगा ।”टीना मुझे माफ कर दो पता नहीं उस समय मुझे क्या हो गया था मैं अपने आपे में नहीं था।इस बार माफ कर दो अब ऐसा नहीं होगा।मैं तुम्हारे पैर छूकर कसम खाता हूं… !
इतना बोलने वाली टीना आज खामोश थी एकदम खामोश।उसका सपाट निर्विकार चेहरा देख सुजीत डर गए थे।तुरंत एक फैसला उन्होंने ले लिया था।
उसकी खामोश प्रश्नवाचक नजरें अपने मां पिता की तरफ उठी हुई थीं मानो पूछ रही हो क्या मेरे आपके साथ जाने से आपकी बदनामी नहीं होगी..!मैं यहीं रह लूंगी .. आप लोग चिंता मत कीजिए … घर वापिस चले जाइए।
बिना कहे ही मां पिता सारी व्यथा कथा समझ गए थे।
बात का बतंगड़ ना बनाइए समधन जी ।अरे मियां बीबी के बीच इस तरह की नोंक झोंक होती रहती है।एक पति ही तो अपनी पत्नी पर हाथ उठा पाता है आखिर अधिकार बनता है उसका।पति पत्नी का आपसी मामला है वे निपट लेंगे।बेहतर है आप भी और हम भी उनके व्यक्तिगत जीवन में टांग ना अड़ाएं…. वीरेंद्र की मां ने टीना और सुमित्रा के कुछ बोलने से पहले ही तंज कस दिया।
अपनी हद में रहिए आप समधन जी ।पति को अपनी पत्नी पर हाथ उठाने का अधिकार किसने दे दिया।उसकी पत्नी है वह कोई जानवर नहीं।ये उनका आपसी मामला नहीं है।ये हम सबका मामला है।बेहतर यही है कि पुलिस में आप सबकी रिपोर्ट कर दी जाए और जेल में बंद कर दिया जाए .. नवासे को अपनी गोद में लेते हुए क्रोधित आवाज में सुजीत बोल पड़े ।तेज आवाज से अबोध नवासा बुक्का फाड़ कर रोने लगा।
वीरेंद्र और उसके मां पिता को सांप सूंघ गया।
सुनिए …व्यक्तिगत जीवन ही तो सामाजिक जीवन और संस्कारों को प्रभावित करते हैं…! बात अब आपके और मेरे झूठे सम्मान से बाहर निकल कर मेरी बेटी के आत्मसम्मान के सम्मान की है … चल बेटा हमारे साथ।मुझे अपने झूठे आत्मसम्मान और बदनामी की कोई चिंता नहीं है।तू है तो सब है…
सुमित्रा तेजी से बेटी का समान समेटने लगी और नन्हा नवासा सुजीत की गोदी में मुस्कुरा उठा।
लतिका श्रीवास्तव