प्रायश्चित – सुनीता माथुर : Moral Stories in Hindi

उमा को आज संकेत की बहुत ज्यादा याद आ रही थी कि मैंने—— संकेत के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, वह बच्चा मासूम था, कितना प्यार करता था, और मैं अपने बच्चों के मोह में उसको दूर करती रही——- और एक दिन किसी और को दे दिया—— आज संकेत हमारे घर होता और हमारे घर का डॉक्टर होता मैं हीरे जैसे बच्चे को  पहचान ही नहीं पाई———

उमा बहुत ज्यादा बीमार हो गई थी कोई देखने वाला नहीं था पलंग पर लेटी लेटी जोर-जोर से खास रही थी इतने में उसके पति दयानंद दवा लेकर आते हैं बोलते हैं उमा यह दवा खाओ! अब अपन को देखने वाला तो कोई नहीं है?———- इतने में पीछे से आवाज आती है——– मामा मैं खड़ा हूं आपके सामने आपका डॉक्टर बेटा संकेत—– यह देखकर—–

मामा- मामी दोनों संकेत से चिपक जाते हैं और रोने लगते हैं बेटा हमने तुम्हारी तरफ ध्यान नहीं दिया और उमा भी बोलती है हमें अपनी गलती का “प्रायश्चित” करने दो हमें माफ कर दो—–! नहीं मामी- मामा जी आप तो हमारे पूज्यनीय हैं जो हुआ वह परिस्थिति वश हुआ कोई बात नहीं आज मेरी किस्मत ने मुझे डॉक्टर बना दिया। 

 बेटी सुरभि भी बड़ी हो गई थी और उसकी शादी एक अच्छा लड़का देखकर दूसरे शहर में कर दी सुरभि अपने ससुराल में बहुत खुश थी कभी-कभी मायके आती थी।  बेटा विनय इतना बिगड़ गया खराब संगत के कारण नशा करने लगा और घर में किसी की नहीं सुनता था इसलिए  उसे नशा मुक्ति केंद्र भेजना पड़ा। 

उमा के आंखों में आंसू आ जाते हैं——– और उसे बहुत “पश्चाताप” होने लगता है वह सोचती है अगर मैं संकेत के साथ बुरा व्यवहार नहीं करती—— तो संकेत आज उनके साथ होता! और वह हम दोनों का बहुत ध्यान रखता। मैंने अपनी नन्द के बच्चे  संकेत के साथ गलत किया !— नंद कैंसर से मर गई थीं और उसके पति बहुत ज्यादा पीते थे इस कारण उनका शरीर भी खोखला होता गया और नौकरी छूट गई और एक दिन वह भी मर गए उनका एक ही बेटा था संकेत——

तिरस्कार या प्यार – ऋतु गर्ग

उमा सोचती है कि संकेत कितना छोटा था जब हमारे पास दयानंद जी लेकर आए थे वह आठवीं क्लास में पढ़ता था। दयानंद जी अपनी बहन के न रहने पर और बहनोई का इतना नशा करते हुए देखकर उन्हें संकेत की चिंता होने लगी थी इसलिए उन्हें लगा कि मेरी बहन का बेटा उसको अच्छी परवरिश नहीं मिलेगी और वह अपने बहनोई को——– मना कर अपने साथ अपनी बहन की निशानी को ले आए लेकिन उमा को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया।

दयानंद ने अपनी पत्नी की एक भी नहीं सुनी और उमा से बोले मैं अपनी बहन के बच्चे को पढ़ाऊंगा– लिखाऊंगा अपना भी बेटा संकेत के बराबर ही है 3 महीने का अंतर है दोनों में संकेत 3 महीने बड़ा है। इसलिए संकेत को भी विनय के क्लास में ही और उसी के स्कूल में भर्ती करा दिया!—- आखिर संकेत दयानंद मामा का बहुत लाड़ला था। दयानंद जी ने अपने बच्चों की तरह संकेत को लाड़ प्यार भी किया लेकिन उमा मन ही मन संकेत से चिढ़ने लगी।

दयानंद रेलवे में स्टेशन मास्टर थे इसलिए उनकी ड्यूटी अक्सर बाहर लग जाती थी घर में कम ध्यान देते थे इधर उमा अपनी नंद के बेटे संकेत के संग अच्छा व्यवहार नहीं करती——— अपने बेटे विनय को अच्छा-अच्छा खाना देती और संकेत को—— बचा हुआ खाना पकड़ा देती विनय भी संकेत को चिड़ाता रहता उसको पढ़ने नहीं देता था, उसकी किताबें ले लेता था, इससे संकेत बहुत दुःखी रहने लगा

सुरभि दोनो भाइयों से 3 साल बड़ी थी इसलिए वह समझदार थी, दोनों भाइयों को लड़ने नहीं देती थी, दोनों से ही प्यार करती थी—– मामा जब आते तो संकेत उदास दिखाई देता!

पर मामा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। स्कूल के हेड मास्टर—— दयानंद जी को बहुत अच्छे से जानते थे! हेड मास्टर कृष्ण कुमार बहुत ही अच्छे और नेक इंसान थे पर उनके कोई औलाद नहीं थी इसलिए वह स्कूल में बच्चों को बहुत चाहते थे और संकेत को भी बहुत चाहते थे क्योंकि संकेत पढ़ने में बहुत अच्छा था। 

” इज्जत औलाद की ” – सीमा वर्मा

कृष्ण कुमार जी की पत्नी माला भी सभी बच्चों से बहुत प्यार करती जब कृष्ण कुमार जी कमजोर बच्चों को अपने घर बुलाकर फ्री में शिक्षा देते थे तो कृष्ण कुमार की पत्नी माला कभी-कभी उन बच्चों के लिए अच्छा-अच्छा खाने का बनाकर उन्हें खाना भी खिलाती थी!—— ऐसे ही कृष्ण कुमार और उनकी पत्नी के दिन निकलने लगे——— कृष्ण कुमार की पत्नी भी संकेत को बहुत चाहती थी अक्सर कृष्ण कुमार संकेत को होमवर्क करने बुला लेते थे विनय को भी बुलाते थे लेकिन विनय नहीं आता था। 

एक दिन अचानक कृष्ण कुमार क्लास में पढ़ा रहे थे तो देखते हैं——– संकेत की आंखों में आंसू हैं और वह दुःखी मन से खोया खोया सा बैठा है कुछ भी पढ़ाई नहीं कर रहा!———- कुछ दिन तक तो वह यह देखते रहे लेकिन जब भी कृष्ण कुमार जी संकेत से पूछते थे क्या हुआ!——– बेटा तुम्हारा पढ़ने में क्यों नहीं मन लग रहा! वह रोने लगता—

और कुछ भी नहीं बताता था और पढ़ाई भी धीरे-धीरे उसकी खराब होने लगी उसका पढ़ने में मन नहीं लगता था—–संकेत के नंबर भी बहुत कम आने लगे यह देखकर—–

कृष्ण कुमार ने संकेत के मामा दयानंद जी को लेटर भेज दिया कि स्कूल में आकर मिलें दयानंद जी जब घर आए तो उन्होंने देखा की स्कूल के हेड मास्टर कृष्ण कुमार जी क्यों बुला रहे हैं दूसरे दिन दयानंद जी की छुट्टी थी इसलिए वह स्कूल पहुंच गए। 

दयानंद जी ने पूछा क्या बात हो गई कृष्ण कुमार जी आपने कैसे याद किया— अरे क्या बताएं यह आपका संकेत तो पढ़ने में बहुत अच्छा था लेकिन आजकल आंखों में आंसू लिए बैठा रहता है पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता और नंबर भी बहुत कम आने लगे!——– क्या बात है! घर का माहौल सही नहीं है क्या? यह सुनकर दयानंद जी को धक्का लगा!——-

वह अपनी पत्नी उमा का स्वभाव जानते थे उन्हें पता था उनकी पत्नी अपने बच्चों और बहन के बच्चे के संग भेदभाव करती है—— उसके संग अच्छा व्यवहार नहीं करती! शायद इसी का असर था जो संकेत पढ़ाई में पीछे रहने लगा! अरे—— मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया मुझे लगा सब ठीक चल रहा है मैं तो ज्यादातर नौकरी के कारण बाहर रहता हूं अब देखता हूं क्या बात है?

घर प्यारा पर माँ नहीं.. – रश्मि प्रकाश

हेड मास्टर कृष्ण कुमार दयानंद को एक सलाह देते हैं अगर आप चाहें तो—– मैं आपके संकेत को गोद लेना चाहता हूं?—- मेरी पत्नी भी संकेत को बहुत चाहती है हमारा भी कोई बच्चा नहीं है हम अपने बच्चे की तरह परवरिश देंगे पढ़ाएंगे लिखायेंगे!——–

अगर आपकी सहमति हो तो—— हमें भी अपना बेटा मिल जाएगा यह सुनकर दयानंद चुप रह जाते हैं!—– क्योंकि संकेत को वह भी बहुत चाहते थे, अपने दिल से अलग नहीं कर सकते थे, लेकिन उमा के व्यवहार के कारण उन्हें कृष्ण कुमार का प्रस्तव उचित लगा—– उन्होंने कहा मैं सोच कर बताता हूं यह कहकर आंखों में आंसू लिए अपने घर चले जाते हैं। 

 उन्होंने घर जाकर संकेत से कहा बेटा क्या बात है तुम पढ़ते क्यों नहीं हो—– संकेत मामा से चिपट कर रोने लगा बोला मामा—— विनय मेरी सारी किताबें ले लेता है! मुझे होमवर्क नहीं करने देता—– मुझे मारता भी है! और मामी कुछ नहीं कहतीं!— मेरा खाना भी छुड़ा लेता है मैं क्या करूं? यह सुनकर मामा को बहुत गुस्सा आता है कि—- मेरे बहन के बच्चे के संग तुम ऐसा व्यवहार क्यों कर रही हो? जैसा विनय है वैसा ही तो  संकेत है!

दयानंद मामा जी संकेत को अकेले में ले जाकर पूछते हैं बेटा—– अगर कृष्ण कुमार जी तुम्हें गोद ले लें तो तुम

 तैयार हो क्या? यह सुनकर—– संकेत खुश हो जाता है क्योंकि कृष्ण कुमार जी उसे बहुत प्यार करते थे, साथ-ही उनकी पत्नी माला संकेत का अपने बेटे की तरह ध्यान रखती थीं जब भी वह उनके घर जाता था, उसे बहुत प्यार से खाना खिलातीं,  प्यार से बातें करतीं,  यह सब देखकर संकेत उनकी तरफ झुकता जा रहा था! वह तैयार हो जाता है!—– यह सुनकर दयानंद जी को शांति मिलती है और वह अपनी पत्नि को फैसला सुना देते हैं?

संकेत को गोद लेकर कृष्ण कुमार और उनकी पत्नी माला दोनों ही बहुत खुश थे। और पढ़ा लिखा कर उसे डॉक्टर भी बना दिया! आज संकेत को अचानक मामा मामी ने डॉक्टर बना हुआ देखा तो देखते रह गए कि—– संकेत बेटा कितना अच्छा निकला—— उमा को अपनी गलती महसूस हुई और उसकी आंखों से  पश्चाताप के आंसू बहने लगे उमा ने संकेत बेटे से माफी मांग कर अपनी गलती का “प्रायश्चित” किया!  

  सुनीता माथुर 

 मौलिक अप्रकाशित रचना 

 पुणे महाराष्ट्र

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