चलिए भाभी… फटाफट से तैयार हो जाइए, आज हम दोनों दिन भर शॉपिंग करेंगे मस्ती करेंगे और शाम को खाना भी बाहर ही खाकर आएंगे, आज हम सब कुछ आपकी पसंद का ही करेंगे! नहीं नहीं दीदी.. आप यह क्या कह रही हो मम्मी जी को पता चल जाएगा तो घर में शामत आ जाएगी आप तो जानते ही हो मम्मी जी मुझे कभी इस तरह से मटरगश्ती करने नहीं जाने देंगे!
अरे भाभी… मैं हूं ना.. आप क्यों चिंता करती हो और मैंने ही आज मम्मी से इन सब की आज्ञा ली है आप तो बस आज बिल्कुल मेरी भाभी की तरह तैयार होना और हां आप आज वह आपका पीला वाला सूट पहन कर चलना! नहीं दीदी सूट की तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकती मम्मी जी तो मुझे बिना सर पर पल्लू बाहर ही नहीं जाने देती और आप सूट की बात कर रही हो…
आज आपको क्या हो गया है आपकी तबीयत तो ठीक है ना? हां बाबा.. मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है! फिर मैं मम्मी जी से पूछ कर आती हूं! राधिका अपनी सास शर्मिला जी के पास डरती हुई गई उसे तो लग रहा था कि जैसे ही वह पूछेगी और उसकी सास तमतमा कर जवाब देगी …हां तू घूमने चली जा और घर का सारा काम मैं करूं, नौकरानी हूं ना इस घर की, फिर भी उसने हिम्मत कर डरते डरते पूछा!
आज पहली बार उसकी सास ने बड़े प्यार से कहा… जा बेटा तू भी रश्मि के साथ आज दिन भर घूमना तेरी पसंद की फिल्म देखकर आना तेरी जो इच्छा हो वहां घूम, तुझे जो पहनना है तू पहन मैं आज तुझे कुछ भी नहीं कहूंगी और आज ही क्या मैं आज के बाद तुझे कभी कुछ नहीं कहूंगी!
मैं अपनी बेटी की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करने दूंगी – सुषमा यादव
राधिका को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था उसे लग रहा था कहीं वह कोई सपना तो नहीं देख रही यह उलटी गंगा कैसे बह रही है! यह सुनने के लिए तो उसके कान ही तरस गए थे, बिन मां की बच्ची राधिका 6 साल पहले इस घर में बहू बनकर आई थी शर्मिला जी उस बिन मां की बच्ची को इसलिए अपने घर की बहू बनाकर लाई थी कि उन्हें लगता था अब तक तो यह अपने मामा मामी के पास जुल्म सहती आई है
तो यह बच्ची कभी आवाज नहीं उठाएगी ऊपर से घर के सारे काम भी करेगी और घर में सिर्फ मेरा ही हुकुम चलेगा और देखने में तो सुंदर है ही तो बेटे को भी कोई दिक्कत नहीं होगी इसलिए शर्मिला जी उसे अपने घर बहू बना कर लाई थी, किंतु एक दिन भी ऐसा नहीं आया होगा जब शर्मिला जी ने उसके सिर पर ममता का हाथ रखा होगा ,
वह अनाथ बच्ची शादी के बाद भी अनाथ ही रही जबकि उसने तो सोचा था ससुराल में जाकर माता-पिता मिलेंगे जो उसे बेटी के जैसे रखेंगे, बाकी सब तो घर में अच्छे थे पर सास को ही वह कम पसंद थी, उसे ताने देना उनका शौक था, कई बार राधिका की इच्छा हुई कि वह कुछ दिनों के लिए चली जाए पर जाए तो कहां जाए ,? मामा मामी तो उसके बोझ से मुक्त हुए थे तो उन पर जाकर कैसे बोझ बन जाए,
खैर राधिका रश्मि के साथ आज सुबह ही बाहर चली गई ,आज शर्मिला जी के पति और बेटे ने जब उनका यह रूप देखा तो दोनों आश्चर्यचकित रह गए तो उनका बेटा गौरव अपनी मां से पूछ बैठा…. मां आज आपको क्या हो गया आपने राधिका को बाहर जाने की इजाजत दे दी आप तो मेरे साथ भी अगर वह जाती है तो आपको पसंद नहीं आता तो आज क्यों?
हां बेटा… तू सही कह रहा है पर कल रात तेरी बड़ी दीदी रश्मि ने मुझे समझाया… मां तुम भाभी के साथ ऐसा क्यों करती हो बेचारी आप के कहे अनुसार चलती है और बदले में सिर्फ आपका प्यार ही तो चाहती है मां भाभी का मायका नहीं है क्या आप उसे मायके की खुशियां नहीं दे सकती? एक बार को सोच कर देखो मां अगर राधिका भाभी की जगह में होती मेरे साथ भी यही सब होता तो आप और मैं क्या करते?
बस बेटा.. तभी मैंने सोच लिया मैं भी अपनी बहू को घुट घुट कर जीते हुए नहीं देखूंगी अब तक 6 साल में मैंने उसके साथ जो किया है यह इस सबका प्रायश्चित है शायद उसके हिस्से की खुशी देकर ही में अपना प्रायश्चित पूरा कर सकूं ! आजसे मेरे लिए रश्मि में और राधिका में कोई अंतर नहीं रहेगा तुम देख लेना!
मां की बातें सुनकर गौरव बेहद प्रसन्न हो गया और अपनी मां के गले लगते हुए बोला… मां आप सच में बहुत अच्छी मां है! अपने बेटे को इतना पसंद देखकर कौन मां खुश नहीं होती ,
उन्हें पता चल गया की बेटे की खुशी उसकी पत्नी की खुशी में है और पत्नी की खुशी उसकी मां के हाथों में है और वह उसे देकर रहेगी और शायद तभी वह सही मयनो में अपने किए हुए कर्मों का प्रायश्चित कर पाएगी!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता (प्रायश्चित)
#प्रायश्चित