कुछ सुना तुमने, पड़ोस वाले आरव को उससे ज्यादा योग्य और कमाने वाली पत्नी मिली है?
शीला ने अपने बेटे आयुष से कहा तो वो चौंक गया।
अच्छा!मिल आई आप उनसे..पिछले हफ्ते ही तो लौटे हैं वो लोग बंगलौर से विवाह करके।
और सुना है कि बहू बहुत पारंगत है हर काम में, आरव की मां तारीफों के पुल बांध रही थीं उसके।
सास अगर खुद तारीफ करे अपने मुंह से तो जरूर कोई विशेष खूबी होगी ही..आयुष हंसा। वैसे असली
रिजल्ट तो महीने दो महीने बाद ही आता है।
मैंने भी देखा था कैसे सुघड़ता से सबके लिए चाय नाश्ता बना कर लाई थी फटाफट, भले ही उस दिन छुट्टी
थी उसकी पर आरव की मां कह रही थीं कि इसने तो आते ही सारे घर का काम सम्भाल लिया,अब
निश्चिंतता से तीर्थ जाऊंगी मैं तो।
वाह!फिर तो आंटी की लॉटरी लग गई,आरव मिलेगा तो उसको बधाई मैं भी दूंगा। आयुष बोला।
कोई तीन महीने बाद आयुष ने अपनी मां को बताया..आज आरव बहुत दुखी था ,कहता था कि उसके घर में
हर वक्त महाभारत ही होती रहती है काम काज को लेकर।
अरे! तो बहू ने अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिए?शीला बोली।
नहीं..आरव कह रहा था कि वो अच्छे से सब कुछ संभाले हुए थी पर इससे घर वालों की आदतें ही बिगड़
गई,सबको हर चीज हाथ में ही चाहिए थी,बेचारी सुबह पांच बजे उठकर सारा खाना,नाश्ता बनाती ,भागदौड़
करते ऑफिस जाती और थकी हारी शाम को फिर जुट जाती लेकिन उस पर भी,उससे अगर किसी दिन जरा
सी ढील हो जाए तो आरव की मां बहनें उसे ताने सुना देती बस वो एक दिन फट पड़ी।
क्या कहा उसने? शीला बड़े उत्साह और जिज्ञासा से सब सुन रही थीं, दूसरों के फटे में सबको बहुत मजा
आता है न।
वो बोली..आप लोगों को बहू नहीं,चलता फिरता रोबोट चाहिए था।
क्या गलत कहा बेचारी ने? कोई भी होता तो यही कहता…शीला बोली। जाऊंगी अब किसी दिन हाल चाल
पूछने आरव कि मां के,बड़ा अहंकार दिखा रही थीं जब कमाऊ बहू घर में आई थी,अब पूछूंगी कि क्या मिजाज
हैं?
आपको क्या पड़ी मां?वो इनके घर का मसला है।आयुष बोला।
और फिर अगले महीने एक दिन शीला मुंह लटकाएं थीं और आयुष को बता रही थीं…
आरव की पत्नी तो सचमुच बहुत होशियार निकली…उसने सारे घर को साध लिया फिर से।
अच्छा..आयुष हंसते हुए बोला,आप मिल आई और क्या देखा वहां, बता ही दीजिए नहीं तो पेट में दर्द हुआ
रहेगा आपके।
बेटा! उसने एक स्मार्ट होम सिस्टम इंस्टाल किया है घर में जो सही समय पर सबके लिए चाय बना देता
है,आरव के मां बाप का कब दवा का टाइम है,याद दिला देता है और भी कई काम करता है,साथ ही उसने
आरव की मां और बहिनों से कहा..
अगर मैं वर्किंग हूं तो जाहिर है आप लोगों को मेरे साथ हाथ बंटाना ही पड़ेगा, मैं भी मनुष्य हूं,मेरी भी कुछ
भावनाएं हैं, मैं थकती भी हूं,मुझे आराम भी चाहिए..मुझे आप मशीन न समझें,कल को आप दोनो दीदियों को
भी किसी पराए घर जाना होगा तो यही सब समस्याएं मिलेंगी।
तो वो सब मान गए?बुरा नहीं मानी?आयुष ने आश्चर्य से पूछा।
मानते नहीं भी तो कैसे, बहू ने शर्त रखी थी कि या तो आप सब मेरी बात माने या वो अपने पति आरव को
लेकर कहीं दूसरे घर शिफ्ट हो जाएगी।बात उसकी सही थी इसलिए आरव की मम्मी भी बिना नानुकर किए
मान गई।
अरे कमाल है!आरव की पत्नी तो वाकई में बहुत स्मार्ट है, वो रोबोट नहीं है एक चलता फिरता इंसान है जिसमें
दिल, दिमाग, भावनाएं सब हैं, काश! सारे लोग ये बात समझ जाएं फिर समाज,परिवारों में कितनी खुशहाली
बढ़ जाएगी।
डॉक्टर संगीता अग्रवाल
वैशाली, गाजियाबाद
#आप लोगों को बहू नहीं, चलता फिरता रोबोट चाहिए था