परिवार – अनिता मंदिलवार “सपना” : Moral Stories in Hindi

     रीना और विवेक की लव मैरिज थी और दोनों में अच्छी अंडरस्टैंडिंग भी थी । बहुत ही खुशहाल जीवन जी रहे थे पर विवेक की माँ और बहन गाँव में रहते थे । विवेक उन्हें हर महीने पैसे भेजा करता था । फोन पर हाल-चाल भी पूछता रहता था । उसे अपने मां और बहन की बहुत फिक्र लगी रहती थी कि मैं गाँव में अकेले रहते हैं । कई बार मां और बहन राधिका से कहा कि शहर आ जाओ पर वे दोनों रीना के व्यवहार के कारण आना नहीं चाहते । रीना विवेक का बहुत ख्याल रखती थी पर उनकी माँ और राधिका को शहर अपने घर पर रखने को कतई तैयार न थी सीधे-सीधे कभी कुछ कहा नहीं पर उसका व्यवहार उनका नाम सुनते ही बदल जाता ।

        इसे विवेक ने भी महसूस किया पर कभी कुछ कहा नहीं । एक दिन विवेक कहता है – रीना माँ और राधिका गाँव में अकेले रहते हैं । जब तक पिताजी थे तो ठीक था सब पर, अब लगता है कि उन्हें शहर बुला लूँ । 

        यह क्या कह रहे हो विवेक हमारी प्राइवेसी का क्या ? हर महीने तो पैसे भेज ही देते हो जिससे उनका गुजारा हो ही जाता है । कुछ खेती है उससे भी कुछ आप होती ही है । 

         वह सब ठीक है रीना पर मुझे बहुत अपराधबोध महसूस होता है ।

      क्यों भला !  ऐसा क्यों लगता है तुम्हें । बेकार में तनाव न लो।।

      धीरे-धीरे समय बीत रहा था । जब रीना को पता चला कि वह माँ बनने वाली है तो उसे खुशी के साथ तनाव भी हुआ कि सब कैसे होगा मैं तो अकेली हूँ ।

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जब यह खुशखबरी गाँव में माँ और राधिका को मिली तो वह फूले  न समायी और शहर जाने की तैयारी करने लगी । शहर में माँ और राधिका ने रीना का इतना ख्याल रखा कि रीना को अपने पुराने सोच पर बहुत ही शर्मिंदा महसूस होने लगा । मैं क्या सोचती थी और इन लोग कितने अच्छे हैं । नौ महीने बाद रीना ने सुंदर से पुत्र को जन्म दिया खुशी-खुशी घर आई अस्पताल से ।  कुछ दिनों बाद माँ और राधिका गाँव जाने लगे ।

      यह क्या माँ जी ? राधिका सामान क्यों बाँध रही है ।

        बहू अब सब अच्छे से हो गया है अब हमें गाँव जाना चाहिए ।

      नहीं माँ जी अब हम आपको जाने नहीं देंगे । अपने पोते को छोड़कर आप कैसे जा सकती हैं । पत्नी तो कब की बन गई थी पर बहू और भाभी तो आज बनी हूँ । आप यह हक मुझसे मत छीनिए । राधिका को यहॉं अच्छे कॉलेज में दाखिला भी दिला देंगे ।

     माँ रीना को गले लगा लेती हैं । बहू तू ठीक ही कह रही है । तुम लोगों के बिना कहीं भी अब अच्छा नहीं लगेगा । अब यही मेरा परिवार है ।

 

अनिता मंदिलवार “सपना” 

व्याख्याता जीवविज्ञान 

अंबिकापुर सरगुजा छत्तीसगढ़ 

#पत्नी तो कब की बन गई थी पर बहू और भाभी तो आज बनी हूँ

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