राधा जी के मोबाइल में उनकी नातिन शुभ्रा की सगाई का कार्ड व्हाट्सएप के द्वारा आया था।
शुभ्रा की सगाई का कार्ड देख कर वह समझ रही थी कि उनकी बेटी जया चाहती है कि मायके से उसके संबंध सुधर जाए परंतु वह जानती थी कि अब कोई समझौता नहीं हो सकता।
राधा जी अपनी पुरानी यादों में खो गई। वर्मा जी उनकी बेटी जया और बेटा मनीष , कितना सुखी परिवार था उनका। वर्मा जी ने दोनों बच्चों की शादियां बहुत अच्छे से करी थी । जया की ससुराल में उसके सास ससुर नहीं थे केवल एक ननद थी जो कि अमेरिका में रहती थी। जया के पति बृजेश का प्लास्टिक के फर्नीचर का बहुत अच्छा काम था।
मनीष भी सी.ए था और उसका अपना ऑफिस था।मनीष की पत्नी ऋतु भी बेहद संस्कारी लड़की थी। जया दोनों बच्चों के होने के समय में मायके में ही आई थी। ऋतु ने अपनी ननद का बहुत ख्याल किया था और ऐसे ही जब ऋतु के दोनों बच्चे हुए थे तो जया ने भी अपनी भाभी का
ख्याल रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। इन दोनों के बच्चे भी लगभग एक ही उम्र के थे तो वह भी आपस में बहुत प्यार करते थे। कहीं घूमने जाना हो तो सारा परिवार इकट्ठे ही घूमने जाता था। बृजेश अधिकतर अपने व्यापार की वजह से व्यस्त रहता था तो अधिकतर वह सबके साथ नहीं जा पाता था।
यूं ही हंसी खुशी समय बीत रहा था कि 6 साल पहले वर्मा जी को अचानक स्कूल में दिल का दौरा पड़ा और वह स्कूल मैं ही गिर गए। राधा जी की तो मानों दुनिया ही उजड़ गई हो हालांकि वर्मा जी ने अपनी जिम्मेदारियां तो पूरी कर ही ली थी। अगले दो सालों में उनकी प्रिंसिपल की प्रमोशन और सेवानिवृत्ति होने वाली थी। स्कूल से ही उन्हें जब अस्पताल लेकर गए तो वहां ही उनको मृत घोषित कर दिया गया।
वर्मा जी की मृत्यु के बाद पता चला उन्होंने अपनी वसीयत कर रखी थी जिसमें कि उन्होंने अपने पुत्र और पुत्री को बराबर संपत्ति दी थी। राधा जी के लिए भी बहुत कुछ था और उनकी पेंशन भी थी।
वर्मा जी की इच्छानुसार और संपत्ति तो बंटवारा करने में किसी को कोई एतराज नहीं था परंतु उस बने बने घर में आधे हिस्से को जया को कैसे दिया जा सकता था? यूं भी जया कोई अपना घर छोड़कर यहां थोड़े ही आएगी परंतु फिर भी मनीष ने जया से कहा कि पापा की इच्छानुसार अगर तुम चाहो तो यहां आकर हम सब साथ रह लेंगे परंतु जया
के लिए यह संभव नहीं था। तब तो बात आई गई हो गई बाद में जब बृजेश जी को वसीयत का पता चला तो उन्होंने जया से कहा कि तुम अपने हिस्से में मेरा कुछ फर्नीचर का सामान रखवा लो। मैंने अभी कुछ सामान ज्यादा खरीदा है जिसको स्टोर करने के लिए मेरे पास जगह नहीं है तो मैं एक ट्रक सामान तुम्हारे मायके में भिजवा रहा हूं, अपने हिस्से में उसे एडजस्ट करवा दो।
जया ने घर आकर जब बृजेश जी के सामान की बात बताई तो तब तो ट्रक वहां पर खाली हो ही चुका था जैसे तैसे करके उस समान को एडजस्ट करा और फिर बाद में बृजेश जी इनके घर को स्टोर के जैसे इस्तेमाल करने लगे।
मनीष ने और राधा जी ने कई बार जया को समझाया भी कि तुम इस घर में रहना चाहती हो तो खुशी से रह लो परंतु इस तरह से तो यह घर कूड़ा घर ज्यादा लगने लग गया है और घरों में ऐसे सामान स्टोर भी नहीं किया जा सकता यह सरकारी नियम के विरुद्ध है मनीष ने भी कई बार जया को समझाया।
अब दो चक्की के पाटों के बीच पिसती जया अगर कभी बृजेश जी से कहती तो वह उसे कुछ और समझाते और यहां भाई मनीष कुछ और कहता। अब बच्चे बड़े होने के बाद में व्यापार बढ़ाना
तो जया को भी अच्छा लग रहा था इसलिए अब के जब वह घर आई तो मनीष के कहने पर उसने गुस्से में कह दिया कि आधा हिस्सा तो मेरा है ज्यादा लग रहा है तो बीच से दीवार लगवा दो और हम अपने हिस्से में ही तो रख रहे हैं। राधा जी ने भी जया को समझाया ऐसे घरों के बीच में दीवार थोड़े ही लग सकती है यह तो पूरा घर बना हुआ है। सारे बच्चे साथ रह सकते हैं परंतु अलग-अलग तो दीवार नहीं बनेगी।
एक दिन वास्तव में ही उनके घर में सरकारी रेड पड़ी और घर में व्यापारिक गतिविधियों को देखते हुए उनके कमरे सील कर दिए गए।
बृजेश और जया को लगा कि यह कार्यवाही मनीष ने करवाई है इसके विपरीत मनीष को इस मामले को रफा दफा करने में ही बहुत पैसा और समय खर्च करना पड़ा।
अब दोनों भाई बहन जिनके बीच में बेहद प्यार था एक दीवार सी उठ गई। गुस्साए हुए बृजेश जी ने जया को मना कर उस मकान का आधा हिस्सा बेच दिया। अब मकान के बीचो-बीच दीवार होने से रोशनी और जगह दोनों की तंगी होने लगी। अब दोस्ती तो छोड़ो दोनों भाई बहनों के बीच दुश्मनी गहरा उठी। राधा जी को समझ नहीं आता था
वह क्या करें वह तो वर्मा जी की फोटो के सामने ही रोती रहती थी। परंतु उनका मां का दिल था कभी जया के मोबाइल से व्हाट्सएप में कोई मैसेज आ जाता था तो वह उसका हाल-चाल भी पूछ लेती थी। अब जब उन्होंने अपने मोबाइल में जया की बेटी श्रुति की सगाई का मैसेज देखा तो वह पुरानी यादों में जाने के सिवा और कुछ नहीं कर पा रही थी। वह जानती थी
कि अब कोई समझौता तो हो नहीं सकता। मनीष को तो पता भी नहीं था कि मां अभी जया से बात करती है। मनीष भी इस घर को बेचकर अब कहीं फ्लैट ही ढूंढ रहा है क्योंकि इस तरह के मकान में अब सबका गुजारा भी नहीं हो पा रहा। जया जी केवल यादों में खो रही थी और एक ही बात बड़बड़ा रही थी बेटा अब कोई समझौता नहीं हो सकता।
मधु वशिष्ठ फरीदाबाद हरियाणा
(कोई समझौता अब नहीं प्रतियोगिता के अंतर्गत)