अपनी तेरह साल की बेटी के साथ हुई बर्बरता को देखकर आज रीना उस घड़ी को कोस रही थी जब उसने परिवार को छोड़कर अकेले रहने का फैंसला लिया था। आज उसे अपने पति की बात याद आ रही थी मगर अब सबकुछ खत्म हो चुका था पछताने के अलावा उसके पास कोई चारा नही बचा था। वो हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाकर सबसे माफी मांग रही थी मगर उसका गुनाह माफी के लायक नही था।
रीना और रेखा दोनों जुड़वा बहने थी दोनों ही पढ़ी लिखी होने के साथ साथ सारे कामों में निपुण थी। दोनों की शादी की उम्र हुई तो घरवालो ने रिश्ता तलाशना शुरू किया। इत्तेफाक से उन्हें एक ऐसे घर से रिश्ता मिला जो दोनों भाई भी जुड़वा थे। एक ही घर मे दोनों बहनें जाएंगी हमेशा एकसाथ रहेंगी ये सोचकर वो दोनों बहुत खुश थी परिवार को भी इस बात का सुकून था कि उनकी बेटियों को अच्छा घर अच्छे पति मिल गए मानो उनकी मन की मुराद पूरी हो गई थी। रीना का रिश्ता संजीब से तो रेखा का मनोज से तय हो गया। दोनों की शादी धूमधाम से हुई दोनों ने ससुराल में आकर सारा काम सँभाल लिया। ससुराल में उनका काफी बड़ा परिवार था जिसमे दादी सास, सास ससुर छोटी ननद चाचा ससुर चाची सास और उनके दो बच्चे श्रुति और शिबम थे। भरा पूरा परिवार बरसों से एकसाथ रहता था।
यहां रेखा को उन सबके साथ रहना बहुत पसंद था क्योंकि हंसी ठिठोली में कब समय गुजर जाता कुछ पता ही नही चलता और काम भी मिल बांटकर कर लेते तो चुटकियों में हो जाता। मगर रीना को ये बात बिल्कुल पसंद नही थी उसका हमेशा से सपना था कि उसका छोटा सा घर हो जिसमें वो अपने पति और बच्चों के साथ समय मर्जी के साथ गुजार सके। सास ससुर की कोई रोकटोक न हो हर बक्त घूंघट में रहना भी उसे अखरता था।
जैसे कैसे चार साल गुजर गए दोनों बहनों को दो दो बच्चे हुए। रीना के एक लड़का एक लड़की हुई जिनके नाम ऋषव और निधि रखे। अब रीना अपने पति को अलग होने के लिए मजबूर करने लगी उसका पति कुछ दिन और रुकने का बहाना बनाकर टालता रहा। वो उसे हमेशा कहता कि एकसाथ रहने से न सिर्फ खर्चा कम होता है बल्कि एक दूसरे के सुख दुख में कोई न कोई पास रहता है।रिश्तों की मर्यादाएं सीमाएं बनी रहती हैं और बच्चों को एक ऐसा माहौल मिलता है
यहां उन्हें हर कदम पर सीखने को मिलता है अच्छे बुरे की पहचान होती है।मगर रीना पर इन सब बातों का कोई असर न होता। एक दिन रीना दोपहर को कमरे में सोई हुई थी कि अचानक उसका ससुर अंदर आकर बोला कि बेटा चाय बना दो बस रीना को जैसे बहाना मिल गया था वो अपने ससुर को कहने लगी कि आप मेरे कमरे में सीधा कैसे आ गये आप चाय के बहाने क्या देखने आते हो मुझे पता है आपकी नियत में खोट है उसका ससुर उसे बेटा बेटा करके माफी मांगता रहा मगर रीना लगातर बातें सुनाती रही। शाम को जैसे ही उसका पति आया तो रीना ने बड़ा चढ़ाकर उसके कान भर दिए और अपने ससुर पर गलत नियत का इल्जाम लगा दिया।
घर मे खूब हंगामा हुआ कुछ ही दिन बाद उसके पति ने बैंक से कर्ज लेकर गांव से दूर जमीन खरीदकर मकान बना लिया अब वो अपने बच्चों और पति के साथ नए घर मे शिफ्ट हो गई। धीरे धीरे सारा बोझ उसके पति पर आ गया बैंक का लोन साथ मे बच्चे भी प्राइवेट स्कूल में जाने लगे तो खर्चे इतने बढ़ गए कि पति को अपनी नौकरी छोड़कर शहर में अच्छी नौकरी के लिए जाना पड़ा। रीना अब अपने बच्चों के साथ उस घर मे रहने लगी बच्चे ज्यों क्यों बड़े होने लगे बे निरंकुश होने लगे न किसी की बात सुनते और न ही किसी का समान करते। हमेशा बदतमीजी से जवाब देते।
उधर रेखा के बच्चे अपने दादा दादी चाचा चाची के साथ रहते और परिवार के लोगो का, बड़ों का आदर कैसे करना है ये सारे संस्कार पाकर होनहार होने के साथ साथ संस्कारी भी थे। रेखा के हर सुखदुख में वो रेखा का पूरा ख्याल रखते। रेखा कभी बीमार होती तो तो उसकी ननद, सास,और चाची सास उसका बच्चों की तरह कजयाल रखतीं कोई काम न करने देतीं। उधर परिवार की रोक टोक और भय के कारण रेखा के बच्चे कभी कोई गलत कदम उठाने से पहले सौ बार सोचते। हमेशा अपने दादा या छोटे दादा के साथ ही स्कूल से जाते आते।
इधर रीना अकेले रहने के कारण ज्यादा समय फोन पे गुजारती थी। उसके पड़ोस में ही समीर नाम के लड़के को सब्जी की दुकान थी। यहां अक्सर रीना सब्जी लेने जाती बातों ही बातों में उस लड़के ने रीना को अपना नम्बर ये कहकर दे दिया कि अगर कभी आप ब्यस्त हों तो मुझे काल कर देना मैं सब्जी खुद ही आपके घर फे आऊंगा। एक बार रीना ने उसे काल किया तो रीना का नम्बर समीर को मिल गया। धीरे धीरे नम्बर से वट्सप फेसबुक पे पहुंच गए समीर उसके फेसबुक पर उसकी तस्बीर पर खूबसूरती की तारीफ में कमेंट करता तो रीना मन ही मन खुश हो जाती।
अब वे दोनों वट्सप पे बात करने लगे उसकी मीठी मीठी बातों में फंसकर कब रीना प्यार में पड़ गई और रास्ता भटक गई पता ही नही चला। पति बाहर रहता था तो अकेलेपन को दूर करने के लिए वो समीर से लम्बी बातें करने लगी समीर उसकी तारीफ करते न थकता तो उसके मन मे लड्डू फूटने लगते। न उसे कोई देखने वाला था न रोकने वाला इसलिए उसे किसी का डर नही था। वो अक्सर बच्चों को स्कूल भेजकर समीर को सब्जी के बहाने अपने घर बुला लेती।
धीरे धीरे वो इतना खुल गई कि बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के बहाने समीर को घर बुलाने लगी वो बच्चों को स्कूल का काम करवाता बच्चे भी उससे घुल मिल गए। अब उस लड़के की नजर उसकी तेरह साल की बेटी पर थी वो पढ़ाने के बहाने उसे गलत तरीके से छूता जिसकी कई बार शिकायत उसकी बेटी ने की मगर रीना पर प्यार का ऐसा भूत सवार था कि उसे लगता कि शायद निधि को समीर का घर आना अच्छा नही लगता इसलिए बिना मतलब शिकायत कर रही है ताकि समीर उनके घर न आए।
समीर की रीना के बेटे ऋषभ से काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी अब दोनो कभी कभार घूमने चले जाते। ऋषभ पन्द्रह साल का हो गया था अभी जवानी में पैर रखा ही था कि वो गलत संगत में पड़ने लगा। बाहर दोस्तो के साथ सिगरेट पीने लगा। उस लड़के को ऋषव के बारे में पता चल गया था अब वो रीना से बोलकर ऋषव को अपने कमरे में ले जाता और दोनों बियर बगैरह पिने लगे थे ऋषव को ये सब अच्छा लगने लगा और अक्सर ही मां से कहकर समीर के साथ उसके कमरे में चला जाता।
एक दिन की बात है कि रीना की मां बीमार थी रीना को खवर लेने मायके जाना था वो बच्चों को खाना बनांकर बोल गई कि शाम तक बापिस आ जाएगी उधर उसने समीर को भी जाते हुए बता दिया कि आज वो मायके जा रही है शाम तक आएगी बच्चों का ध्यान रखना। मगर माँ की तबियत ज्यादा खराब होने के कारण वो रात बहीं रुकने वाली थी उसने बाहर जाकर चुपके से समीर से कुछ देर बात की और बताया कि आज वो आ नही पाएगी तो बच्चों को होटल से खाना लेकर खिला देना। समीर की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई थी। उसने होटल से खाना पैक करवाया मेडिकल स्टोर से नींद की गोलियां ली और फिर दारू लेकर बच्चों के पास चला गया।
उसने निधि को नींद की गोली वाला खाना देकर कमरे में जाने को कहा और ऋषव के साथ बैठकर दारू पीने लगा आज पहली बार ऋषव ने दारू पी ऋषव नशे में बेसुध होकर सो गया। मौका पाते ही समीर निधि के कमरे में गया और उसका मुहँ अपने हाथ से दवा दिया ताकि वो शोर न मचा सके। निधि दवाई की बजह से इतनी नींद में थी कि वो विरोध नही कर पाई समीर का हाथ न सिर्फ उसके मुहँ पर था बल्कि निधि की नाक भी हाथ से ढक गई थी सांस न ले पाने के कारण निधि की दम घुटने से मौत हो गई
मगर समीर नशे में इतना पागल था कि उसे इस बात का आभास ही नही हुआ। जब होश आया तो उसने देखा निधि मर चुकी थी वो बहां से भाग निकला। सुबह दस बजे के आसपास जब रीना बापिस आई तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई ऋषव अभी भी नशे की हालत में था और निधि बिस्तर पे मृत पड़ी थी उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए। उसका पति संजीब भी शहर से तत्काल निकल पड़ा कुछ ही घण्टो में वो घर पहुंच गया सारा परिवार भी बहां आ चुका था।
पहले तो अपनी पोल खुलने के डर से रीना इधर उधर के बहाने बनाकर निधि की मौत को हादसा बताने लगी मगर ऋषव ने अपने पापा को समीर के बारे में सब बता दिया। रीना के पति ने पुलिस को फ़ोन किया जब मेडिकल हुआ तो सारी सच्चाई सामने आ गई। पोस्टमार्टम में नींद की गोलियां रेप और मर्डर की पुष्टि हो गई। समीर को जेल भेज दिया गया और संजीब ने रीना को घर से निकाल दिया रीना गिड़गिड़ाकर सबसे माफी मांगती रही मगर उसका गुनाह माफी के लायक नही था उसके बाद संजीब ने वो मकान बेचकर अपना कर्ज उतार दिया पास में
ही एक छोटी सी किरयाने की दुकान खोल ली और अपने बेटे के साथ फिर से अपने परिवार के साथ रहने लगा। मां और बहन के बिना ऋषव बहुत ही उदास रहने लगा कुछ दिन बाद मां बाप और परिवार के समझाने के बाद अपने बेटे ऋषव की खुशी के लिए संजीब रीना को फिर से बापिस घर ले आता है परिबार के लोग रीना को ये एहसास करवाने की पूरी कोशिश करते हैं कि जो कुछ हुआ वो एक बुरा सपना समझकर भूल जाए मगर अंतर्मन की ग्लानि के कारण रीना कभी दोवारा पहले की तरह सिर उठाकर नही जी पाई।
अमित रत्ता
अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश