औरत के मन की व्यथा – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

शोभना आज फिर जल्दी, जल्दी घर के कामों को निपटाने में लगी हुईं थीं। उसके पति विकास ने हंसते हुए कहा क्या बात है आजकल तो आप अनुशासित जीवन जीने लगीं है मैडम??आज कल तुम मेरे आफिस जाने से पहले ही अपना सारा काम समाप्त कर लेती हो फिर पूरे दिन क्या करतीं हो?दिन में तो तुम्हें सोने की आदत है नहीं??

कोई नया शौक फिर पाल लिया है क्या?? अगर इस बार तुम्हारी समाज सेवा के कारण कोई मुसीबत आई तो तुम अकेले ही उसे साल्व करना मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं करूंगा विकास ने अपने मन की शंका जाहिर की विकास सोच रहा थाकि, कहीं शोभना अपनी अच्छाइयों और सच्ची भावना के कारण फिर न ठगी जाएं

इसलिए वह शोभना के जल्दी काम खत्म करने का कारण जानना चाहता था।शोभना ने मुस्कुराते हुए कहा तुम स्वयं पता लगाओ तो मैं जानू!! मैं कैसे जान सकता हूं कि, तुम्हारे मन में इस वक्त क्या ख़ुराफ़ात चल रही है विकास ने चिढ़ाते हुए जवाब दिया।शोभना ने हंसते हुए कहा अच्छा जी तो मैं खुराफ़ाती हूं??हां!!

मैंने तो यहीं सुना है कि, खाली दिमाग शैतान का घर होता है।हमारे बेटे के बाहर जाने के बाद से हमारी मैडम जी बिल्कुल खाली हो गई हैं।शोभना ने मुस्कुराते हुए गर्व से कहा नहीं पतिदेव जी इस समय शोभना मैडम के पास खाली वक्त बिल्कुल नहीं है क्योंकि इस समय मैं कहानियां लिख रहीं हूं।विकास ने चौंककर ख़ुश होते हुए कहा सच??

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बिल्कुल सच कह रही हुं शोभना ने जवाब दिया।तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ? कहां लिखतीं हो विकास ने पूछा हिन्दी प्रतिलिपि पर इस समय  मैं वहीं कहानियां लिख रहीं हूं। इसलिए मैं अपना काम जल्दी खत्म कर लिखने बैठ जाती हूं शोभना ने मुस्कुराते हुए विकास की शंका का समाधान कर दिया।

इसमें कैसी कहानियां लिखतीं हो?? विकास ने पूछा ज्यादातर मैं औरतों, के जीवन से संबन्धित विषयों पर लिखने की कोशिश करतीं हूं उसके मन के भावों को मैं सरल शब्दों में व्यक्त कर एक,कहानी का रूप देने की कोशिश कर रही हूं शोभना ने बताया।तभी उनके घर में काम करने वाली तारा चाची ने पूछा

बहू क्या आप अपनी कहानी में सच्ची बात भी लिखतीं हैं??हां चाची सही घटना पर भी कहानी लिखी जाती है पर उनके नाम बदल दिए जाते हैं शोभना ने बताया।बहू क्या आप मेरे जीवन पर कहानी लिखेंगी तारा चाची ने पूछा हां क्यों नहीं क्या आपके जीवन की ऐसी कोई घटना है चाची?? शोभना ने पूछा “मेरा पूरा जीवन ही घटनाओं से घिरा रहा है बहू”

तारा चाची ने जवाब दिया।शोभना तारा चाची को ध्यान से देखते हुए सोचने लगी सदा हंसती रहने वाली चाची के जीवन में ऐसी कौन सी घटनाएं हुई हैं जो वह आज मुझे बताना चाहतीं हैं।ठीक है चाची आप अपना काम ख़त्म कर मुझे अपनी कहानी सुनाइए मैं आपके जीवन पर कहानी जरूर लिखूंगी यह सुनकर तारा चाची खुश हो गई

और जल्दी जल्दी अपना काम समाप्त करने लगीं।थोड़ी देर बाद तारा चाची शोभना के पास आकर बैठ गई फिर पूछा अपने जीवन की बात मैं कहां से शुरू करूं बहू??बचपन से या शादी के बाद से?? चाची ने पूछा “बचपन से शुरू कीजिए चाची, फिर तारा चाची ने जो बताया उसे सुनकर शोभना का हृदय पीड़ा से कराह उठा और आंखों से आंसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा,

फिर शोभना ने चाची के जीवन में घटी घटनाओं को एक कहानी का रूप देने की कोशिश की जो इस प्रकार है,,,,,,,,,तारा चाची ने बताया कि, उनका बचपन गरीबी में बीता उनके घर दोनों वक्त खाना नहीं बनता था। घर में उसके माता-पिता के अतिरिक्त उनकी एक छोटी बहन और एक बड़ा भाई था।तारा के मायके में खाने पहने सभी चीजों का अभाव था

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पर एक चीज भरपूर थी उनके पास वह थी। उनकेे माता पिता और भाई बहन का प्यार उसमें कोई कमी नहीं थी इसलिए अभाव में भी जीवन बहुत सुखमय लगता था।धीरे धीरे तारा बड़ी हो गई उनके माता-पिता को उनकी शादी की चिंता सताने लगी उस समय उनकी उम्र 16 साल की थी

तारा चाची के पिता ने अपने एक रिश्तेदार पर भरोसा करके बिना लड़के के बारे में कोई जानकारी लिए तारा का विवाह कर दिया।तारा हजारों सपने लेकर अपनी ससुराल पहुंच गई पर शादी की पहली रात को ही उनके सभी सपने टूट गए जब उनके पति ने कठोर शब्दों में कहा कि, तुम्हे मेरी भाभी की हर बात बिना जवाब दिए

माननी है।मेरी भाभी आज के बाद घर का कोई काम नहीं करेंगी और कल से बिना उनका पैर दबाए सोना नहीं है।इतना कहकर उनके पति ने एक जानवर की तरह उनके शरीर के साथ, साथ उसकी आत्मा को भी रौंद डाला।तारा हर रात दर्द से तड़पती पर उस जानवर पर कोई असर नहीं होता वह अपने शरीर की प्यास बुझाने के लिए उन्हें दर्द देता

और फिर मुंह फेर कर सो जाता।वह व्यक्ति तारा को जानवरों की तरह पीटता भी था उस घर में उन्हें भर पेट भोजन भी नहीं दिया जाता था।तारा यह अत्याचार सहने के लिए विवश थीं क्योंकि मां बाप की गरीबी और दुनिया का डर उसे पति का अत्याचार सहने के लिए मजबूर किए हुए था।

फिर भी तारा ने आशा का दामन नहीं छोड़ा ऐसे ही उसकी जिंदगी के दिन बीतने लगे उस जीवन में ना प्यार था ना विश्वास और ना ही इंसानियत का कोई समावेश था फिर भी वह उस नीरस जिंदगी को जिए जा रही थी क्योंकि अब उनकी गोद में उनके पति ने 6 बच्चों की सौगात डाल दी थी।उन्हें आज भी विश्वास था

कि एक न एक दिन उनके पति उन्हें अपना प्यार ज़रूर देगे फिर एक दिन तारा का वह विश्वास भी टूट कर बिखर गया जब उन्होंने अपनी जेठानी को अपने पति की बाहों में देखा वह दोनों पकड़े जाने के बाद भी बेशर्मी से हंस रहे थे।पति का यह रूप देखकर तारा स्तब्ध रह गईं उसका विश्वास टूट गया फिर भी उन्हें जीना था

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अपने बच्चों के लिए और उन्होंने बच्चों को ही अपने जीने का सहारा बना लिया और उनकी परवरिश के लिए लोगों के घरों में जूंठे बर्तन साफ करने का काम करने लगी।तारा ने लोकलाज के डर से पति का घर नहीं छोड़ा वहीं रह कर अपने बल पर इस विश्वास के साथ अपने बच्चों की परवरिश करती रही की एक दिन उनके बच्चे उन्हें उनका सम्मान वापस दिलवाएंगे।

तारा का पति उन पर चरित्रहीनता का आरोप लगाता और वह यह सब बच्चों के सामने कहता धीरे धीरे बच्चे बड़े होते गए और एक दिन ऐसा भी आया जब तारा के पति कैंसर की बीमारी से ग्रस्त हो गए और उनकी मृत्यु हो गई तारा ने उन की सेवा भी की थी पर उनकी मौत के समय उनकी आंखों से एक बूंद भी आंसू नहीं बहे थे

वह जैसे पत्थर हो गई थी।सब कानाफूसी करने लगे कि यह रो क्यों नहीं रहीं? क्या बात है? कहीं सचमुच तारा का किसी दूसरे व्यक्ति के साथ नाजायज संबंध तो नहीं है।यह बात जब तारा के कान में पड़ी तो उसने बहुत कठोरता से जवाब दिया कि मेरा पति मेरे लिए उसी दिन मर गया था जिस दिन मैंने उसे किसी गैर औरत की बांहों में देखा था

मैं उस दिन बहुत रोई थी अब मुझे रोने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज मेरा पति नहीं मेरे बच्चों का बाप मरा है।तारा का जवाब सुनकर सभी लोग चुप हो गए।बच्चे बड़े हो गए उन्होंने सभी का विवाह किया दो बच्चों की मौत पहले ही हो गई थी।तारा अब भी घरों में काम करतीं थीं एक दिन वह काम से जल्दी लौट आईं

क्योंकि दो घरों के लोग बाहर गए हुए थे।वह घर के दरवाजे पर पहुंचकर अपनी बहू को आवाज लगाने जा रही थी कि, उन्होंन अपनी बहू की आवाज सुनी जो अपने पति से कह रहीं थीं कि लोग ठीक कहते हैं अम्मा जी का चरित्र अच्छा नहीं है यह सुनकर तारा चाची की सांस रूक गई वह सोचने लगी अब उनका बेटा क्या जवाब देगा

उन्हें सुनाई दिया उनका बेटा कह रहा था कि तुम ठीक कह रही हो दीदी लोग भी यही कहती हैं कि अम्मा चरित्रहीन हैं।बहू ने उनके बेटे से कहा तुम यह घर और गांव वाला खेत अपने नाम करा लो कहीं वह अम्मा बेंच ना दे ऐसे लोगों का क्या ठिकाना है??यह सुनते ही तारा चाची वहीं बैठ गई उनकी आंखों से गंगा-जमुना बह निकली कुछ देर रोने के बाद वह उठीं घर के अंदर गई

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और अपने आत्मसम्मान के लिए एक फैसला लिया उन्होंने कुछ सामान को गठरी में बांधा और अपना सब कुछ छोड़कर घर से निकल पड़ी दो चार दिन वह अपनी एक सहेली के घर रहीं फिर उन्होंने किराये का कमरा लेकर अपना नया जीवन शुरू किया क्योंकि जलालत से मिले छप्पन भोग के आगे आत्मसम्मान की सूखी रोटी ज्यादा स्वादिष्ट होती है

तारा चाची ने कहा”।इतना कहकर तारा चाची चुप हो गई और फिर उन्होंने कहा बहू अब मैं आप लोगों की सेवा करके आप लोगों से प्यार और सम्मान पाती हूं अब यही मेरा घर परिवार है।अब मैं सबसे यही कहती हूं हर व्यक्ति के लिए खून के रिश्ते सच्चे नहीं होते किसी किसी को वह बहुत दर्द देते हैं।

लेकिन अब मैं सभी पिछली बातों को भूलने की कोशिश कर रही हूं इसे अपने पूर्व जन्म का कर्म मानकर हंसती रहती हूं।उनकी कहानी सुनकर मैं यह सोचने लगी औरत कब तक लोगों और समाज के डर से प्रताड़ित होती रहेंगी और स्वयं भी अपने आप को प्रताड़ित करेंगी आखिर कब तक,,,,,,

 

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

6/3/2025

#एक फैसला आत्मसम्मान के लिए 

 

यह कहानी सच्ची घटना पर आधारित है पर कहानी के पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं।

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