आराधना स्कूल के लिए तैयार हो रही थी। तैयार होते हुए उसने पूछा, “माँ टिफिन दे दो समय हो चला है!”
पर मां का कोई जवाब नहीं आया।
वो कमरे से बाहर निकल कर देखती है, कि मां सो रही है। उसने आवाज लगाया, तो उसकी माँ धीरे से बोली, “बेटा, आज सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा है, आज रहने दे, स्कूल मत जा,तेरे भाई का जाना जरूरी है, और पिताजी के लिए नाश्ता भी तैयार करना है!”
आराधन ने कहा “आज मेरा जाना जरूरी है,आज केमेस्ट्री प्रैक्टिकल है!”कहते हुए वो रुवासी हो गई।
चुपचाप अंदर जाकर यूनिफार्म चेंज करती है, और नाश्ता बनाने चली गई।उसने भाई को स्कूल भेज दिया। पिताजी को ऑफिस भेज दिया, तब तक बगल वाली आंटी उसकी मां से मिलने आईं।
मां के पास बैठा कर बोली, “आप बैठो मैं चाय बना कर लातीं हूं!”
“अरे शोभा क्या हुआ ज्यादा तबीयत खराब है क्या?”
“मुझे राशि ने बताया कि, “अराधना आज स्कूल नहीं जा रही, उसकी मां की तबीयत ठीक नहीं है,इसलिए मैं देखने चली आई!”
आराधना की मां ने कहा, “नहीं बहना इतनी ज्यादा खराब तो नहीं है,ठीक है वैसे, सुबह भी उतनी ज्यादा तकलीफ नहीं थी, पर क्या करूं,आराधना को घर के काम भी तो सिखाने हैं…आखिर उसे पराए घर जाना है…पढ़ाई लिखाई तो बस ऐसे ही चलता रहेगा..थोड़ा बहुत सीख जाए,पर घर के काम भी तो आने चाहिए, मैं ठीक हूं,ऐसे तो वो कुछ करती नहीं, मैंने सोचा इसी बहाने कुछ काम ही सीख लेगी घर के, कम से कम दूसरे के घर में जाएगी तो तकलीफ तो ना होगी!”
तब पड़ोसन ने कहा, अरे आजकल तो लड़कियां बहुत आगे निकल गईं हैं, ये क्या बोल रही हो बहन,..मैं तो राशि को कहती हूं…पहले तू पढ़ाई में ध्यान लगा, काम काज तो बाद में भी तू सीख जाएगी!”
दोनों की बातें आराधना सुन रही थी। आंखों में आंसू भर आए।
और चाय रखते हुए बोली, “हां आंटी, आप सही कह रहीं हैं राशि ने मुझे सब बताया है, पर मां को मेरी भविष्य की चिंता है….और आप राशि का भविष्य संवार रहीं है!”
उसकी मां आराधना को देख नजरें नीची कर ली।
तब पड़ोसन ने समझाते हुए कहा, देख शोभा भविष्य की चिंता है, तो इसे आगे पढ़ने दे…और बढ़ने दे…घर के कामकाज तो ये सीख ही लेगी!”
आराधना गौर से अपनी मां को देखने लगी।
स्वरचित अनामिका मिश्रा
झारखंड जमशेदपुर