तनु जल्दी जल्दी कॉलेज जाने को तैयार हुई और घर से बाहर निकल गई ,मां पीछे से आवाज ही देती रह गई नाश्ता तो कर लो ,कुछ खा कर जाया करो घर से , पर तनु के तो कानों को जैसे कुछ सुनाई ही नही दिया , सारे दिन फोन पर टिंग टिंग करते रहना , अपने टेढ़े मेढे मुंह बना कर फोटो लेते रहना , फोन देख कर मुस्कराते रहना यही दिनचर्या थी तनु की , मां ये सब देखती और बात करने का प्रयत्न करती पर बस यही सुनने मिलता , मां आप कुछ नही समझती हो , दोस्तों से कॉलेज प्रोजेक्ट की बात कर रहे है वगरैह वगरैह
तनु जल्दी घर से निकली अगले ही मोड़ पर सैफ उसका इंतजार कर रहा था ,जल्दी से तनु ने अपना मुंह कपड़े से बांधा और बैठ गई सैफ की बाइक पर उसकी कमर मैं हाथ डाल कर और सैफ भी बढ़े इठलाते हुए बाइक तेजी से चलाते हुए निकल गया और फिर सारा दिन दोनो यहां वहां घूमते रहे , बातें करते रहे ,शाम को सैफ तनु को वापिस उसी जगह छोड़ गया ।
तनु का हफ्ते मैं तीन दिन यही दिनचर्या होती थी ,घर से तो वो कॉलेज का कह कर ही निकलती थी पर जाती कहां थी ये उसकी मां को मालूम ही नहीं था । पिता जी रेलवे मैं ड्राइवर थे तनु को पढ़ाने की बढ़ी इच्छा थी उनकी इसके लिए दिन रात मेहनत करते थे ।
तनु का आखिरी साल था कॉलेज का ये जानती थी की घर मैं कोई भी नही मानेगा और पापा तो कभी भी नही ,सैफ दूसरे धर्म से जो था ।
एक दिन शाम को तनु कॉलेज से लौटी तो हिजाब पहनी हुई थी , और सैफ भी उसके साथ था , मां तो गश खाते खाते बची जब उसे तनु ने बताया की उन दोनो ने शादी कर ली और उसे पता था की आप दोनो नही मानोगे तो धर्म भी बदल लिया है , अब तनु तस्मीन हो गई है ।
मां ये सब सुनकर तो अधमरी सी हो गई , किससे रोएं किससे मदद मांगे ,कहां जाए कुछ नही समझ पा रही थी , उसने तनु को बहुत समझाने की कोशिश करी पर तनु पर तो जैसे सैफ के प्यार का जुनून सवार था ।
सैफ तनु को लेकर एक किराए के कमरे पर रहने लगा ,तनु ने पूछा भी की घर क्यों नही ले चल रहे हो ,इससे पहले कभी भी सैफ ने अपनी फैमिली से तनु को कभी भी नही मिलवाया था और तनु ने भी कभी जानने की जहमत नहीं उठाई थी ।
आज चार दिन बाद सैफ ने उससे तैयार होने को बोला और कहा की घर जा रहे है ,तनु जब तैयार हुई तो सैफ ने उसे हिजाब भी पहनने को कहा ,तनु न कहा पर वो तो सिर्फ मां को बताने के लिए था ना ,मैने तो आपसे पहले ही कह दिया था की मैं हिजाब नही पहनुगी । सैफ ने पहली बार घर जा रहे है ये सब बातें करके उसे फुसला लिया और हिजाब पहनने को राजी कर लिया ।
सैफ के साथ तनु जब उसके घर की गली मैं पहुंची तो ना जाने क्यों तनु को अंदर ही अंदर से बहुत घबराहट हो रही थी इतना घुटन भरा इलाका था , बहुत ही ज्यादा कंजेस्टेड और अजीब सा तनाव भरा इलाका , बदबू तो इतनी की तनु को रास्ते मैं ही उल्टियां शुरू हो गई थी । जैसे तैसे तनु घर तक पहुंची तो सैफ ने उसे घर की औरतों के साथ अंदर भेज दिया , सभी उसे तसनीम नाम से ही बुला रही थी ,पर तनु ने ये नाम सिर्फ अपनी मां को बताने के लिए इस्तेमाल किया था ,क्या सैफ ने अपने परिवार को नही बताया की उसका नाम तनु है , वो सैफ से पूछना चाहती थी पर सैफ कहीं भी नही दिखाई दे रहा था ।
तनु ने देखा सैफ का घर के कमरे बहुत छोटे छोटे थे , और अभी वो जानती तो नही थी पर आठ औरतें बार बार उसके आस पास थी और बच्चे भी घूम रहे थे और आदमी ? अभी तो उसे कोई भी नही दिखाई दे रहा था।
कुछ ही देर मैं एक औरत तनु के पास आई और उसे खाने को कुछ मीठा और पानी दिया ,तनु को भूख तो लगी थी पर वो आसपास की बदबू के कारण कुछ खा नही पा रही थी दरअसल तनु ने कभी मांस खाया ही नही था तो उससे घर मैं मांस की बदबू सहन नही हो रही थी ।
वो दोपहर का खाना भी नहीं खा पाई क्योंकि कुछ भी वेज था ही नही खाने मैं तो उसने बस भूख नहीं है कह कर खाने को मना कर दिया ।
तनु बहुत थक गई थी तो उसे एक कमरे मैं भेज दिया गया जहां उसे आराम करने को बोल दिया गया ,उसने सैफ के लिए पूछा तो शाम तक आएगा ये बता दिया गया ।
उसे बहुत गुस्सा आ रहा था ये सोच सोच कर की उसे सैफ अकेला क्यों छोड़ के चला गया ,बता के तो जाता कम से कम, यही सोचते सोचते तनु की आंख लग गई , तसनीम तसनीम आवाज कानों मैं पड़ी तो तनु की नींद खुली देखा कोई उसके लिए कपड़े ले कर खड़ा है और तैयार होने को बोल रही है । वो उठ कर नए कपड़े पहन कर तैयार हो कर बाहर आ गई तो देखा घर की सभी औरतें वहां मौजूद थी और सभी से तनु का परिचय करवाया जाने लगा ।
सबसे पहले उसे बताया गया की सैफ की तीन अम्मियां है वो हैरानी से सबके मुंह देखने लगी और दो सैफ की बहने जो घर मैं रहती है और दो सैफ की भाभियां है जिनके हसबैंड अरब मैं काम करते है और ये सैफ की पहली पत्नी आलम है ,ये सुनते ही तनु तो जैसे बेहोश ही हो गई ,उसे समझ नही आ रहा था की वो क्या करे ,किससे कहे ,किससे रोएं ,कहां जाए किससे मदद मांगे ?