मां मां नानी के घर कब चलोगी मेरी गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई हैं… छोटी तन्वी ने कल से एक ही रट लगा रखी थी और क्यों ना लगाती नानी के यहां कितने मज़े उसके रहते हैं नानी नाना भी तो साल भर से इंतजार करते रहते है …. मां पापा के बारे में तो सोच कर ही शालू का दिल भर आया।पर राकेश को ये सब दिखाई नही देता वो तो जैसे मौका ढूंढता रहता है मां पापा की बुराई करने का ..क्यों जाना है अभी से वहां… तन्वी की आदतें बिगड़ जाती है
वहां जाकर उसकी तबियत भी खराब हो जाती है अभी तो छुट्टियां शुरू हुईं हैं चली जाना दो तीन दिनों के लिए मुझे बहुत काम है इन दिनों ऑफिस में …तन्वी सब सुन रही थी उसने कहा पापा आप हम लोगों को वाह छोड़ कर आ जाना यहां ऑफिस का काम करना मैं तो मां के साथ पूरी छुट्टी वहीं बिताऊंगी । अब तो राकेश आपे से बाहर हो गया कोई जरूरत नहीं है वहां जाने की इस बार तुम्हारा दसवीं बोर्ड रहेगा यहीं रहकर कोचिंग करो बस।
शालू की आंखों से आसूं बहने लगे हर बार उसका मायके जाना क्यों इतना कठिन हो जाता है ..शादी के इतने सालों के बाद भी ,अपने पत्नी बहू और मां के दायित्वों को पूरी निष्ठा और लगन से निभाने के बाद भी मुझे अपने बेटी होने के एहसास को जीने का हक नहीं है!
!राकेश तो हमेशा जब भी मन होता है अपने मां पिताजी के पास चले जाते हैं कई बार तो अचानक जाते है और कई दिनों बाद आते हैं,कई बार उन्हें अपने साथ भी ले आतें हैं…मैं तो बहुत खुशी और उत्साह से उनके आने जाने की तैयारी करती हूं ।मेरे मां पिताजी के पास जाने के लिए इतनी अनुनय इतना एहसान इतने बहाने क्यों!राकेश को अपने बेटा होने का हक अदा करने की स्वतंत्रता है तो मुझे भी अपने बेटी होने और बेटी बनने की पूरी स्वतंत्रता क्यों नहीं!!
शालू को याद आया पापा हमेशा उसे अपना बेटा ही कहा करते थे , एम बी ए करवाया था उन्होंने जॉब ऑफर भी बहुत आए थे पर उसने घरेलू जिम्मेदारियों को प्राथमिकता दी ।आज उसे अफसोस होता है पर अच्छे कार्यों के लिए कभी देर नहीं होती और अच्छे कार्यों को करने के लिए किसी की भी अनुमति के लिए इतने मोहताज होने की जरूरत नहीं होती.. अब शालू की आंखों मेआंसुओं की जगह दृढ़ता भरी चमक थी ,उसने तुरंत मोबाइल परदूसरे दिन का रिजर्वेशन करवाया और अपने आने का मेसेज मां पिताजी को और जाने का मेसेज राकेश को करने बैठ गई।