रूबी ने कभी नहीं सोचा था कि उसकी शादी छोटे शहर में हो जाएगी क्योंकि वह दिल्ली जैसे बड़े महानगर में रहती थी। लेकिन जो किस्मत को मंजूर होता है उसे कोई झुठला नहीं सकता।
रविवार का दिन था दोपहर के समय पापा के दोस्त विनोद अंकल पापा से मिलने के लिए आए हुए थे। बातों बातों में पापा ने विनोद अंकल से कहा। इस साल रूबी भी ग्रेजुएशन कंप्लीट कर लेगी अब इसके लिए भी लड़का खोजना होगा बड़ी मुसीबत है एक शादी से निपटा नहीं दूसरा सिर पे आ जाता है। दरअसल बात यह थी कि हम चार बहने थी और मेरा नंबर तीसरा था मेरे से दो बड़ी बहनों की शादी पहले ही हो चुकी थी. हम चारों बहनों में उम्र का अंतर 2 साल से ज्यादा नहीं था एक बड़ा भाई था तो उसकी भी शादी पापा ने पिछले साल ही कर दिया था।
पापा चाहते थे कि अपनी जिंदगी में ही अपनी चारों बेटियों की शादी कर दें।
पापा ने जैसे ही विनोद अंकल से मेरी शादी के बारे में बात की विनोद अंकल ने कहा, “भाई मेरी नजर में एक रिश्ता है लड़का सरकारी नौकरी करता है लेकिन थोड़ा पैरों से विकलांग है दहेज की कोई मांग नहीं है अगर तुम कहो तो बात चलाऊँ।
विकलांग सुनकर एक बार तो पापा ठिठक गए लेकिन लड़का सरकारी नौकरी करता है और एक रुपये भी दहेज नहीं देना है यह बात उन्हें सोचने पर मजबूर कर दी। पापा ने मां से आकर सलाह किया इस रिश्ते के बारे में। पापा ने जब बताया तो माँ ने तो एक बार भी नहीं सोचा बस उनके मुंह से यही निकला, “घी के लड्डू टेढ़ों भला।” मां ने कहा कि लड़का पैरों से हल्का विकलांग है तो क्या हो गया सरकारी नौकरी तो करता है बेटी हमारी राज करेगी। पापा ने मां से कहा फिर भी एक बार रूबी से पूछ लेना सही है।
हमारे घर में मां के आगे किसी की नहीं चलती थी मां ने पापा को डांट कर कहा कि जब हमने रूबी को पैदा किया था तो क्या रूबी से पूछ कर पैदा किया था अपनी दोनों बड़ी बेटियों की भी शादी हमने अपने मन से की है सब अपने-अपने घर में खुश हैं। मां बाप अपने बेटियों के बारे में कभी भी गलत नहीं सोचते।
पापा ने मां से सलाह लेकर विनोद अंकल से दिया रिश्ते की बात करे हम लोग तैयार हैं। जब मुझे पता चला जिससे मेरी शादी होने वाली है लड़का विकलांग है। तो मुझे बहुत दुख हुआ। लेकिन मैं क्या कर सकती थी। बस यही सोच कर खुश थी कि कोई बात नहीं लड़का सरकारी नौकरी तो करता है।
पापा की एक मेडिकल की दुकान थी उसी से पूरे घर का खर्चा चलता था और बहनों की शादी भी उसी दुकान की कमाई से ही हुई थी। भैया और पापा दोनों मिलकर दुकान संभालते थे।
भैया भाभी का मन नहीं था विकलांग लड़के से शादी करने के लिए लेकिन मैंने भाभी से बोल दिया कि जाने दो भाभी अभी एक और छोटी बहन है वह भी दो-तीन सालों में शादी करने लायक हो जाएगी पापा इतना बोझ कैसे झेल पाएंगे मुझे कोई एतराज नहीं है।
उसी शाम विनोद अंकल का फोन आ गया कि वो लोग रिश्ते के लिए तैयार है अगले संडे को लोग लड़की देखने के लिए आ रहे हैं लड़की क्या देखने के लिए आ रहे हैं यह उसी दिन सगाई भी हो जाएगी। क्योंकि मैंने जब अपनी रूबी का फोटो व्हाट्सएप पर भेजा था उन लोगों ने एक बार मे हमारी रूबी को पसंद कर लिया।
अगले सप्ताह लड़के वाले हमारे घर सगाई करने के लिए आए। मैंने भी लड़के को देखा तो पहली नजर में ही लड़के को पसंद कर लिया पैर से भले ही विकलांग है अमित जी लेकिन चेहरे और बॉडी से बिल्कुल हीरो जैसे लगते थे। मैं तो पहली नजर में ही उनको दिल दे बैठी।
अगले 6 महीने में शादी की तारीख तय हो गई। उसके बाद रोजाना सासू मां से और अमित जी से रोजाना फोन पर बात होने लगी। दिन महीने कैसे बीते पता भी नहीं चला और 6 महीने बाद मेरी शादी हो गई और मैं अपने ससुराल आ गई।
शादी के15 दिन बीत गए सब कुछ बढ़िया चल रहा था। 1 दिन सुबह 7:00 बजे सासु माँ ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा, “बहू आज तुम्हें ससुराल आए 21 दिन हो गए हैं। हमारे यहां रिवाज है कि नई बहू से 21 दिन तक घर का कोई भी काम नहीं करवाया जाता लेकिन कल से अब तुम्हें ही घर को संभालना है। अब धीरे-धीरे मायके को भूल जाओ अब यही तुम्हारा घर है। अगले सप्ताह मैं और तुम्हारे ससुर जी हरिद्वार जा रहे हैं।
हरिद्वार से लौटते ही मेरी सांस नहीं मुझे बुलाकर कहा। बहु तुमने 1 सप्ताह में ही इस घर का क्या हाल बना रखा है ऐसा लग रहा है यह घर नहीं कोई जंगल हो यह देखो घर में कितने जाले पड़ गए हैं। लगता है सही से झाड़ू भी नहीं लगाती हो सब जगह धूल धूल दिखाई दे रहा है।
उस दिन के बाद से तो सासु जी का रवैया ऐसा हो गया जैसे वह इस घर की मालकिन और मैं इस घर की नौकरानी हूं। सुबह मैं जब झाड़ू लगाती तो वह मेरे पीछे पीछे घूमती रहती थी गलती से कहीं पर थोड़ा सा धूल रह जाता तो उसी समय टोक देती थी।
सुबह होने के बाद पूरे दिन आर्डर पर आर्डर देती रहती थी। उन्हें यह भी समझ नहीं आता था कि मैं भी इंसान हूं। शादी से पहले तो फोन पर कहां करती कि मैं घर में बहु नहीं बेटी लेकर आ रही हूं। लेकिन यहां बहू कब बेटी से नौकरानी बन गई पता भी नहीं चला।
1 दिन घर के काम करते-करते दोपहर के 1:00 बज गए थे मैंने सोचा ब्रश करके पहले नाश्ता करती हूं उसके बाद लंच बनाने जाऊंगी। तभी सासू मां ने अपने कमरे से बेडशीट ला कर मुझे पकड़ा दी बहु लो इसे भी साफ कर देना।
आखिर मेरे भी बर्दाश्त करने की हद थी उस दिन मैंने सासू मां को जवाब दे ही दिया। माँ जी मैं सुबह से घर के कामों में लगी हुई क्या आपको दिखाई नहीं दे रहा है। आप लोगों ने तो कब का नाश्ता कर लिया है लेकिन मेरे पेट में तो एक रोटी का टुकड़ा भी नहीं गया है। अगर आपको ऐसे ही बहू चाहिए थी तो मुझे लगता था आपको अपने बेटे के लिए बहू नहीं बल्कि एक नौकरानी ढूंढना चाहिए था जो आप के इशारों पर नाचती।
मेरी सासू मां ने इस चीज को इशू बना लिया और जोर जोर से कहने लगी कि आज तक मेरे बेटे ने और ना ही मेरी बेटियों ने ऐसे पलटकर कभी जवाब नहीं दिया था जैसे बहु दे रही है। लोग कहते हैं कि बहू को बेटी बनाकर रखो। लेकिन जब बहू बेटी बनने के लिए तैयार हो तब तो कोई बनाए कौन बेटियां अपनी मां को ऐसे जवाब देती हैं। उन्होंने ऐसे प्रपंच रचा कि मैं ही गलत साबित हो गई।
शाम को जैसे ही मेरे पति ऑफिस से घर आए दिन दिल की सारी बात में मिर्च मसाला लगाकर अपने बेटों से कह दिया। अब अगर मैं कुछ कहती तो घर में लड़ाई होती इसीलिए मैं चुप रही। मेरे पति बहुत अच्छे थे उन्होंने मां की बातें तो सुन ली लेकिन उन्होंने बस इतना ही कहा मैं अपनी पत्नी को समझा दूंगा।
उन्होंने मुझसे कहा, मां ब्लड प्रेशर के रोगी है तुम भी थोड़ा इस चीज को समझा करो।
मैंने भी इसे अपनी नियत ही समझकर एक्सेप्ट कर लिया कि अब तो इसी घर में रहना है जैसा भी है मैनेज मुझे ही करना होगा।
एक दिन मेरे पेट में बहुत तेज दर्द हुआ। पास में ही एक गाइनो रहती थी उनसे दिखाया गया तो पता चला मैं मां बनने वाली हूं। उसी समय मैंने डिसाइड कर लिया था कि मैं अपने मायके चली जाऊंगी क्योंकि मैं अपने बच्चे के लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी।
मैंने जब इस बारे में बात की तो किसी ने भी मना नहीं किया और मैं अपने मायके चली आई। मायके में ही मैंने एक सुंदर से बच्चे को जन्म दिया। डिलीवरी के 2 महीने बाद मैं अपने ससुराल आ गई।
यहां आने के बाद मैंने अपने पति से कहा, “देखो जी आप मुझसे पहले जैसा काम नहीं हो पाएगा क्योंकि बच्चा भी है। कुछ दिनों के लिए ऐसा करो एक काम वाली बाई रख लेते हैं। यह बात मेरी सासू मा ने सुन ली। उन्होंने कहा इतना छोटा सा तो परिवार है घर के काम में कितना समय लगता है फिर मैं भी तो इसी घर में रहती हूं मुन्ना को मैं संभाल लूंगी।
आखिर सासू मां ने ही बाई रखने से मना ही करवा दिया। घर के काम के साथ-साथ बच्चे को भी दूध पिलाना होता था सही तरीके से मुझे पौष्टिक आहार ना मिलने के कारण मैं पूरी तरह से कमजोर और दुबली पतली हो गई थी।
एक दिन मेरे पति के मौसी जी मुझसे मिलने के लिए आई। क्योंकि वह भी मुन्ने को देखना चाहती थी मुन्ना कैसा है ।
अगले दिन सुबह सुबह जब उन्होंने मुझे इतना काम करते हुए देखा तो उन्होंने मुझसे कहा रूबी जब तुमको पता है घर में इतना काम है एक छोटा बच्चा है तो कम से कम एक बाई तो रख लेती। देखो बच्चा भी कैसे कमजोर हो गया है। मैंने मौसी जी से सारी बात बता दी कि मैंने तो कब का एक बाई रखने के लिए लिए बोला था लेकिन सासू मां ने ही मना कर दिया था।
मौसी जी ने कहा ठीक है मैं आज दीदी से बात करती हूं। अगले दिन संडे था दोपहर में हम सब लोग साथ ही बैठे हुए थे। तभी मौसी जी ने मेरी सासू मां से कहा। दीदी मुझे लगता है कि तुम्हें बहू की मदद के लिए घर में एक बाई रख देनी चाहिए। क्यों जीजा जी भगवान की कृपा से घर में कोई पैसे की कमी तो है नहीं आपको भी पेंशन मिलता है। अमित भी अच्छा भला नौकरी करता ही है। फिर किस चीज की कमी है जो बहू पूरे दिन नौकरानी की तरह घर में काम करती है।
सासू मां ने कहना शुरू किया घर में काम ही कितना है कि काम वाली को रखा जाए। तुम्हें तो पता है कि मैंने अकेले ही अपने दो दो बेटियों और एक बेटे को की परवरिश कर दी मैंने आज तक कोई काम वाली रखा।
मौसी जी ने कहा दीदी तब की बात और थी। लेकिन आज की लड़कियों से आप सोचोगे कि पहले की तरह कर ले तो नहीं हो पाएगा समय के साथ हमें भी बदलना होगा। आप देखी नहीं है बहू की सेहत पर गिर गई है। तभी मेरे ससुर जी ने मौसी जी से कहा। सही कह रही हो सरला मैं कल ही बाइ के लिए बात करता हूं। मेरी सासू मां ने बस इतना ही कहा तुम सब की जैसा इच्छा है करो। मैं तो यही चाहती थी कि दो पैसा बचेगा तो भविष्य में काम ही आएगा। मेरी तो जिंदगी खत्म हो गई अब तुम लोग जैसा चाहो रहो मुझे क्या करना।
अगले दिन मौसी चली गई मैं उनकी तरफ देखते हुए सोच रही थी सच्ची कहा गया है कि हर सास बुरी नहीं होती। काश मेरी सास भी थोड़ी सी मौसी जी की तरह होती।
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