ये धन- संपत्ति ना अच्छे- अच्छों का दिमाग़ ख़राब कर देती है – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

रामकिशन वकील के पास वसीयत लिखाने गए थे । उनकी दो लड़कियाँ थीं दोनों का विवाह हो गया था । सरोज दिल्ली में रहती थी उसके पति बैंक में काम करते हैं । उसका एक लड़का है हर्षा जो एक साल का ही है । दूसरी बेटी सरला पटना में रहती है उसका पति मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहा है उसकी एक प्यारी सी बेटी है टिया । यह था रामकिशन का परिवार । रामकिशन हड़बड़ी में वसीयत क्यों लिखानेवाला है इसके पीछे एक कहानी है । 

यह उस समय की बात है जब रामकिशन चौथी कक्षा में पढते थे । एक दिन जब वह स्कूल में था घर का नौकर बबलू उसे बुलाने आया कि बाबा जल्दी चलो आपको माँ ने बुलाया है । टीचर से पूछकर वह उसके साथ घर पहुँच कर देखता है कि माँ के पास एक छोटा सा बच्चा सो रहा है । माता-पिता ने रामकिशन को पास बुलाया और बताया बेटा यह तेरा छोटा भाई है । रामकिशन उस छोटे से बच्चे को देखकर फूला न समाया । उस नन्हीं सी जान को देख उसकी आँखों में ख़ुशी की चमक दिखाई देने लगी ।

उसका नाम रामकिशन ने ही रखा रामनाथ । दोनों भाइयों के कारण घर में ख़ुशियाँ आ गईं थीं । रामकिशन को तो जैसे खेलने के लिए खिलौना ही मिल गया था । अब तो स्कूल जाने से पहले और स्कूल से आने के बाद उसकी पूरी दुनिया रामनाथ के साथ ही थी । उन दोनों के प्यार को देख माता-पिता खुश हो जाते थे । परंतु उनकी यह ख़ुशी ज़्यादा दिनों तक नहीं रही । रामकिशन की माँ कौशल्या की तबियत अचानक ख़राब हो गई थी । घनश्याम जी ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया कौशल्या को दिल का दौरा पड़ गया था ।

डॉक्टरों के लाख कोशिश करने के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ । बीच में एक बार जब उनकी आँख खुली तब उन्होंने रामकिशन के हाथों में रामनाथ का हाथ दिया कहा तो कुछ नहीं पर वे चल बसीं । तेरहवीं होते ही घनश्याम जी पर पास पड़ोस और रिश्तेदारों ने बहुत ज़्यादा दबाव डालना शुरू कर दिया कि दूसरी शादी कर लो बच्चों को माँ मिल जाएगी क्योंकि बच्चों को अकेले रहकर पालना मुश्किल है पर उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी । दोनों बच्चों के पालन पोषण की ज़िम्मेदारी उन्होंने ली । नौकर बबलू तो था ही खाना भी बाई आकर बना देती थी । दिन गुजरते जा रहे थे । 

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रामकिशन भी बड़ा था । इसलिए अपने भाई को आसानी से संभाल लेता था ।रामनाथ तो उसके लिए भाई कम बेटा ज़्यादा था । रामकिशन की पढ़ाई हो गई और उसकी नौकरी भी लग गई । घनश्याम जी उसकी शादी करा देना चाहते थे । सोचने की ही देरी थी बिरादरी में जैसे ही पता चला कि रामकिशन शादी के लिए तैयार है रिश्ते आने लगे । बिरादरी की ही पहचान में रमा का रिश्ता आया । रामकिशन को भी रमा पसंद आ गई । रमा और रामकिशन की शादी हो गई ।

शादी के समय रामनाथ अपने भाई की गोद में आकर बैठ जाता था तब उसने रमा को बताया कि यह छोटा भाई है पर बेटे की तरह मैंने इसे पाला है । मेहमानों को भी जब पता चला तो सबने कहा रमा को चलता फिरता बेटा मिल गया है । रमा भी खुश हो गई उसे देख कर उसने भी रामनाथ के पालन पोषण में कोई कमी नहीं की थी । समय के चलते रामकिशन की भी दो बेटियाँ हो गई । बेटियाँ अपने चाचा को बहुत चाहतीं थीं । उन्हें कुछ भी ख़रीदना हो या कहीं जाना हो रामनाथ के साथ ही जाती थी । रामनाथ के प्रति रमा का प्यार भी कभी कम नहीं हुआ । उसे वे अपना बड़ा बेटा ही मानती थी । ऐसे ही हँसी ख़ुशी दिन गुजर रहे थे । 

एक दिन घनश्याम जी बैठक में बैठ कर पेपर पढ़ रहे थे कि बाहर गेट के खुलने की आवाज़ सुनाई दी । देखा तो रामनाथ अपने साथ एक लड़की को लेकर आया था । उसे घनश्याम जी भी जानते थे । वह पास की बस्ती में रहती थी । गाँव के ही सरकारी स्कूल में टीचर का काम करती है । घनश्याम सदमे में आ गए थे कि रामनाथ के साथ यहाँ क्यों आई है । रामनाथ भी सरकारी स्कूल में ही पढ़ाता था शायद सहउद्योगी होने के कारण किसी काम से आई होगी परंतु जब रामनाथ ने बताया कि वह रजनी से प्यार करता है

और शादी करना चाहता है । घनश्याम को झटका लगा और बहुत ग़ुस्सा भी आया कि नीचे कुल की लड़की को घर ले आया बिरादरी में नाक कट जाएगी । इसके पहले कि कोई कुछ कहता उन्होंने ही कह दिया अगर इस लड़की से शादी करोगे तो मैं तुम्हें अपने घर में नहीं आने दूँगा और अपनी पूरी जायदाद रामकिशन को दे दूँगा । रामनाथ ने कहा ठीक है आपको जैसा उचित लगे वैसा ही कीजिए मुझे पैसों का मोह नहीं है और वह घर से निकल गया । 

 जैसे ही रामनाथ रजनी के साथ घर से बाहर गया वैसे ही रामकिशन घर पहुँचा।  पिता को उसने सारी बातें बताई रमा के मना करने पर भी पिता के साथ मिलकर उसने रामनाथ को भला बुरा कहा । रामकिशन की बातों ने आग में घी डालने का काम कर दिया और घनश्याम का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया और बिना कुछ सोचे समझे वे सीधे वकील के पास जाकर अपनी पूरी जायदाद रामकिशन के नाम पर लिख दिया ।घनश्याम ने घर आकर बताया और पेपर्स रामकिशन को दे दिया

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जायदाद मैंने तेरे नाम कर दिया है क्योंकि तेरी दो बेटियाँ ही हैं मेरे जाने के बाद अगर तुम्हें उसे कुछ देना है तो दे देना पर मेरे जीते जी नहीं । अब रामकिशन के भी तेवर भी बदल गए ।रामनाथ को अपने बेटे के समान पाल पोसकर बड़ा किया था पर जायदाद के मिलते ही रामनाथ को अपना दुश्मन समझने लगा ।

पत्नी ने बहुत समझाने की कोशिश की पर रामकिशन किसी की बातें सुनने के मूड में नहीं था । घनश्याम ने भी रामकिशन के बदले हुए तेवर देखे । उन्हें लगा कहीं मैंने गलती तो नहीं की छोटा है नादान है । उन्हें रामकिशन के बदलने की आशा नहीं थी । उन्हें लगा उनके मना करने पर भी वह अपने भाई को बराबर का हिस्सा ज़रूर देगा । पर यह उनकी ग़लतफ़हमी थी यह पता चल गया । पैसा लोगों को बदल देता है सुना था पर अब देख भी लिया । इसी गम में वे एक रात सोए पर उठे नहीं । नींद में ही उन्होंने दम तोड़ दिया था । 

रामकिशन की पत्नी ने हँगामा मचाया और पति से अपने देवर के बेटे के लिए लड पड़ी तब जाकर रामकिशन अपने ही घर के एक पोर्षन में रामनाथ को रहने की इजाज़त देता है । उससे बात नहीं करता था न उसकी तरफ़ देखता था । इस बात से रमा बहुत दुखी होती थी ।

रमा उनका सहारा बन गई । जब भी किसी चीज़ की ज़रूरत है तो उनकी मदद करती थी । इसी बीच रमा को पता चलता है कि रजनी माँ बनने वाली है तो उसकी ख़ुशी देखने लायक़ थी । रामकिशन उसे हमेशा डाँटते ही रहता था कि अपने बच्चों के बारे में सोच उनके बारे में नहीं जब पिताजी ने ही उसे पराया कर दिया है तो हमें उसकी चिंता करने की क्या ज़रूरत है । वह भूल गया था कि बचपन से उसने ही रामनाथ की देखभाल की थी । 

रजनी को सातवाँ महीना लगा माता-पिता लेने आए पर स्कूल होने के कारण वह नहीं जा पाई । उसने अपने माता-पिता को बताया रमा दीदी और रामनाथ उसकी देखभाल अच्छे से कर रहे हैं । इसलिए नवें महीने में आएगी फिर तीन महीने वैसे भी मेटरनिटी लीव मिलते हैं वहीं रहूँगी । उन्होंने कुछ कहा नहीं और वापस चले गए । रजनी नवाँ महीना लगते ही माता-पिता के घर चली गई । 

उस दिन सुबह उठकर रमा आँगन में आती है देखती है रामनाथ इधर-उधर चहल पहल कर रहा था रमा ने पूछा क्या बात है बोल तब वह उसे बताता है कि आज उसका बेटा हुआ है मैं देखने जा रहा हूँ । आप लोगों को मैं बुलाऊँगा आप भैया को लेकर आ जाइए । रमा बहुत खुश हो गई और उसने रामकिशन को जगाकर बता दिया । उसे बहुत अच्छा लग रहा था कि घर में वारिस हुआ है । रामकिशन रमा को देखकर सोचने लगता है कि कैसी बेवक़ूफ़ है कि दूसरों के बेटे को देख खुश हो रही है । रमा पर विश्वास नहीं कर सकते हैं कभी भी तमाशा करके जायदाद में उस बच्चे को हिस्सा दिला देगी । 

इसीलिए रामकिशन वकील के पास आया था कि पिता की दी हुई संपत्ति के तीन हिस्से करा देता हूँ । वकील साहब आए नहीं थे तो उनके ही इंतज़ार में बाहर बैठ गया । उसी समय मोबाइल फ़ोन की घंटी बजी तो उठाया और जो बात उसने सुनी उससे उसके पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई थी ।

रामनाथ का एक्सिडेंट हो गया है और अस्पताल ले जाने से पहले ही उसकी मौत हो गई थी । यह पड़ोस के भास्कर ने फोन पर ख़बर दी । रामकिशन उलटे पाँव घर वापस आ गया । रमा और रामकिशन अस्पताल से रामनाथ के पार्थिव शरीर को घर लाए और पूरे क्रिया कर्म के बाद रमा ने रामनाथ से कहा —देखिए रजनी को अपने घर में ही रख लेते हैं । वह बच्चे के साथ अकेले कैसे रहेगी और वह बच्चा तो हमारे घर का वारिस भी है । अब हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि रामनाथ के परिवार की देखभाल करें । ]

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आपने तो पैसे के मोह में रिश्ते को भी ताक पर रख दिया था । उससे बात न करके उसे बहुत दुख दिया । हमेशा मेरे सामने रोता था कि आपने उसे समझा ही नहीं है । उसे पैसों की नहीं आपकी ज़रूरत थी और आपने पैसे की लालच में उसके दिल को नहीं पहचाना मुझे अफ़सोस होता है । अब उसके बच्चे और पत्नी को सहारा देकर अपनी गलती का प्रायश्चित करें । यही आपके लिए और परिवार के लिए सही होगा । घबराइए नहीं रजनी तो नौकरी भी करती है उसे आपके पास से पैसों को देने की ज़रूरत भी नहीं है । 

 रामकिशन की आँखों से आँसू बहने लगे उसने पत्नी से कहा और कितना नीचे गिराएगी मुझे रमा मैं अपने किए पर शर्मिंदा हूँ । तुझे नहीं मालूम है मैं क्या सोच रहा था । मैं तो उसके बच्चे के साथ वापस आने के बाद उन्हें अपने घर में वापस लाने वाला था । मैं उससे ग़ुस्सा था क्योंकि उसने पिताजी का दिल दुखाया था ।

तुझे नहीं मालूम रमा माँ के गुजरने के बाद रिश्तेदारों ने और उनके मित्रों ने उन्हें बहुत समझाया था कि दूसरी शादी कर ले । उन्होंने हम दोनों के वास्ते शादी नहीं की थी । उन्हें डर था कि आने वाली लड़की ने हमारा ध्यान ठीक से नहीं रखा तो हम दोनों की ज़िंदगी ख़राब हो जाएगी । इसलिए मेरी और बबलू की सहायता से घर और ऑफिस दोनों सँभाल लेते थे । हाँ खाना हमारे दूर के रिश्तेदार थी लीला ताई वे आकर बना देती थी । 

उन्होंने कितनी ही मुश्किल से हम दोनों को पाल पोसकर बड़ा किया था । यह सब मुझे मालूम है रमा वह तो छोटा था । 

आप यह क्यों नहीं समझते कि वह उस समय ही नहीं अभी भी छोटा ही था । आप ही उसे नहीं समझ सके तो कौन समझेगा ? 

रमा प्लीज़ मुझे और कितना नीचा दिखाओगी । मैं वकील के पास जायदाद के तीन हिस्से कराने गया था तीनों बच्चों के नाम । तुझे नहीं मालूम मेरा हृदय परिवर्तन कैसे हुआ । एकदिन मैं बाहर जाने के लिए घर से निकला और जब चप्पल पहन रहा था रामनाथ के घर की खिड़की से उन दोनों की बातें सुनाई दीं न चाहते हुए भी मैं सुनने को मजबूर हुआ क्योंकि मेरा नाम सुनाई दिया था । मैंने सुना रामनाथ अपनी पत्नी से कह रहा था कि रजनी भाई मेरे लिए पिता समान है । मुझे पैसों से प्यार नहीं है ।मैं तो भाई से बात करने के लिए तड़पता हूँ ।

एक बार मुझे वे आकर रामू आजा कहते हुए मुझे गले लगा लेते न मैं तो अपनी जान भी दे देता । मुझ पर से उनका ग़ुस्सा कम होने के लिए मैं इंतज़ार करूँगा । इन बातों को सुनकर मैंने फ़ैसला कर लिया था कि जायदाद तीनों बच्चों के नाम करूँगा और रामनाथ से माफ़ी माँग कर उसे गले लगा लूँगा और अपने घर में वापस ला लूँगा ।देखा रमा कुछ भी नहीं हुआ मुझ पर ग़ुस्सा करके इतनी दूर चला गया कि मैं चाहूँ तो भी उस तक नहीं पहुँच सकता । मेरी गलती को सुधारने का मौक़ा भी उसने मुझे नहीं दिया । मैंने सोच लिया है कि अब उसके बेटे को पाल पोसकर मैं अपनी गलती का प्रायश्चित करूँगा । कहते हुए रोने लगे । 

दूसरे ही दिन रजनी अपने बच्चे को लेकर सबके साथ आकर रहने लगी । 

के कामेश्वरी

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