वो लड़का गरीब था  – ‌खुशनुमा हयात

सर्दी का मौसम था, सड़कों पर ज्यादा भीड़ नही थी। मैं ,कालेज जा रही थी। पैदल सफर करती थी कॉलेज जाने में आधा घंटा लगता था। रोज की तरह मैं, आज भी कॉलेज के लिए घर से निकली।

मै स्नातक की छात्रा थी सफेद ड्रेस बालों में सफैद रिबन लगाए काले जूते पहन कर कॉलेज के लिए चल पड़ी । रास्ते में जो  कुछ भी सड़कों पर दिखाई देता था। उसे ध्यान से देखती थी। जैसे ही आधे रास्ते पहुंची ,पीपल के पेड़ के नीचे, एक बच्चे को बैठे देखा। क्या देखती हूं,,,,,,  जिस सर्दी में लोग घर से बाहर नही निकल रहे है। ऐसी सर्दी में वो छोटा  बच्चा जिसकी उम्र करीब 6 साल होगी जमीन पर टाट बिछाए बैठा था। जिसके पास एक छोटा सा संदूक था। उसी में उसका, ब्रश, पॉलिश,आदि मोची का सारा सामान था। जो आते जाते लोगो से उम्मीद लगाता था की कोई उससे अपने जूते पॉलिश करा ले। इतनी ठिठुरती हुई ठंड में वो गरीब बच्चा जो अपने पेट की खातिर जमीन पर टाट बिछाए बैठा था, न पैरों में जूते, न कोई टोपा ,न कोई मफलर, जिस्म पर फटे हुए कपड़े, एक फटी हुई जर्सी पहने हुआ था ।

उसकी इस ठिठुरती सर्दी में हालत देख कर मैं,देखती ही रह, ओर जहां में दर्जनों सवालों के घेरे में घिर गई,,,  ये बच्चा इतनी सर्दी में कैसे बैठा हुआ है ,,,दिल पर गहरा असर हुआ, ऐसा मंजर देख कर दिल सहम गया ।उसी दिन से,मेरे मन की अंतरात्मा जैसे जाग गई हो,,, मैंने सोचा की,,, अपने लिए तो सभी जीते हैं,जीना तो उसका है जो इंसानियत की राह में दूसरी के लिए जिए,,,,।  



दूसरों के लिए जिऊंगी मै खूब पढूंगी और ऐसे लोगो के लिए जरूर कुछ करूंगी,,,, बच्चे की हालत देखकर कर अपने आपसे सवाल,जवाब कर रही थी। वो बच्चा जिसकी उम्र पढ़ने लिखने की थी । जिसे इस उम्र में खेलने कूदने के साथ साथ स्कूल जाना चाहिए था वो इतनी सी उम्र में पेट की खातिर सड़कों पर बैठा लोगो का इंतिजार करता था इस आशा के साथ ,,कोई आए अपने जूतों पर पालिश कराए,,, क्योंकि इस उम्र में उसके ऊपर अपने परिवार के लिए जिम्मेदारी का बोझ था,,,

ऐसे न जाने कितने बच्चे होंगे जो स्कूल नही जा पाते होंगे मुझे बहुत एहसास हुआ। मै, रोजाना उसे देखने लगी वो  बच्चा रोज उसी पेड़ के नीचे बैठा हुआ मिलता था ।  आज बरसों बाद जब मैं उसी रास्ते से गुजरी तो आज भी उस लड़के को उसी पीपल के पेड़ के नीचे बैठा पाया अब वो जवान हो गया है आज भी वो वही बैठ कर मोची का काम ही करता है सब कुछ बदल गया दुकानें बाजार रास्ते सड़कें पर शायद आज भी उसके हालात नही बदले क्योंकि वो लड़का गरीब था और शायद आज भी गरीब ही रह गया ,,,,

,,,,,,, ,शायद इसमें हमारी भी कही न कही कमी रह जाती है,,हम अपने स्तर से जितनी मदद कर सकते है,करते है,,ये संख्या कम है,परंतु, समाज के अधिक लोग सब मिलकर किसी गरीब को रोजगार दिलाकर,आत्म निर्भर करने में,अपने क्रत्व्यो का निर्वाह नहीं कर पाते,,,, आईए,,, शपथ ले,अपने आस पास कोई ऐसा बच्चा हो तो,उसको शिक्षित करने, स्व रोजगार प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करे,समाज एवम देश हित में,मानवता के मार्ग से सच्ची सेवा होगी।

‌खुशनुमा हयात

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!