वक़्त करवट बदलता है –  के कामेश्वरी

प्रतीक और प्रज्वल दोनों एक ही जगह नौकरी करते थे और अच्छे दोस्त बन गए थे। एक-दूसरे के घर आना-जाना खाना पीना और साथ मिलकर घूमने जाना भी करने लगे थे । इस बीच प्रज्वल ने नोटिस कि प्रतीक बहुत ही आलसी हो गया है और पैसे भी ख़ूब कमाने लगा था। दो तीन बार पूछने की कोशिश भी की थी पर उसने बात को टाल दिया था । एक बार प्रज्वल ने कहा कि- प्रतीक चलो हम दोनों अपने परिवार के साथ घूमने चलते हैं । प्रतीक ने कहा- ठीक है और उसने फ़्लाइट टिकट बुक कराया और दोनों परिवार घूमने के लिए पाँडुचेरी चले गए थे । वहाँ पहुँचने के बाद प्रतीक कमरे से बाहर नहीं निकलना चाहता था कमरे में ही बैठे बैठे फोन पर बातें करता जा रहा था । एक दिन उसे इस तरह देख कर प्रज्वल ने कहा कि — देखो प्रतीक हम यहाँ अपने परिवार के साथ घूमने के लिए आए हैं तुम हो कि कमरे से बाहर ही नहीं निकल रहे हो और फ़ोन पर किससे बात कर रहे हो । अपनी नहीं तो भाभी जी के बारे में सोचो उन्हें भी बाहर घूमना अच्छा लगता होगा ना । उसकी बात मान कर वह अपनी पत्नी को लेकर प्रज्वल के साथ घूमने के लिए तैयार हो गया था ।

हमेशा उसके मुँह से एक ही बात निकलती थी कि यार प्रज्वल तुम्हें पैसे कमाना नहीं आता है मुझे देख मैंने अपने ही शहर में तीन तीन घर ख़रीद लिया है । प्रज्वल ने कुछ नहीं कहा परंतु प्रज्वल की पत्नी रमा चुप नहीं बैठी। उसने कहा कि – आपको प्रज्वल के बारे में मालूम है न कि वे पैसे नहीं इज़्ज़त कमाना चाहते हैं पैसों का क्या है वह तो हाथ का मैल है। वैसे भी मैं आपसे यह पूछूँ कि आप इतना पैसा कमाकर क्या करना चाहते हैं। आपके घर में आपके तीनों भाइयों में से किसी को भी बच्चे नहीं हैं। बुरा मत मानिए इतना पैसे कमाकर किसे दोगे बोलिए। प्रतीक को बहुत ग़ुस्सा आ गया था। प्रज्वल को पता उसके चेहरे को देख कर ही पता चल गया था । इसलिए उसने रमा को आगे बोलने के लिये मना कर दिया था ।इस बीच प्रतीक ग़ुस्से से अपनी पत्नी को लेकर कमरे में चला गया था ।

प्रज्वल को उसकी फ़ितरत मालूम थी इसलिए उसने रमा से ही कहा कि हम घूमने के लिए आए हैं । उसकी बातों को दिल पर ले कर मूड ख़राब मत करो । दूसरे दिन प्रज्वल खुद प्रतीक के कमरे के पास जाकर बेल बजाकर कहता है कि हम दोनों बाहर जा रहे हैं तुम लोगों को भी हमारे साथ चलना है तो चलो । उसने कुछ देर सोचा फिर कहा चलो। प्रतीक और रमा समुद्र के किनारे जाना चाहते थे उन्होंने जब प्रतीक को भी चलने के लिए कहा तो उसने कहा कि हम आप लोगों के जैसे घुमक्कड़ नहीं हैं।




इस बात पर रमा को फिर ग़ुस्सा आया । इस तरह की छोटी छोटी बातों से प्रतीक ने अपना मन खट्टा कर लिया था। छुट्टियों को ख़त्म करके जब वापस आए तो दोनों एक-दूसरे को देख सिर्फ़ हेलो हाय क़हते थे जबकि पहले हफ़्ते में एक बार तो चारों मिलकर खाना खा ही लेते थे लेकिन इस ट्रिप के बाद उन्होंने एक-दूसरे के घर जाना बंद कर दिया था आमना-सामना होने पर बातें कर लेते थे । एक दिन प्रज्वल रमा को पुकारते हुए घर के अंदर आया और कहने लगा कि देखा रमा प्रतीक को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है । यह सुनते ही रमा ने कहा- अरे क्या हो गया है ऐसा क्या कर दिया है उसने? रमा मैं नहीं कहता था तुमसे कि वह पैसे कमाने के चक्कर में कुछ ग़लत काम कर रहा है ।

मुझे पहले से ही लग रहा था पर उसे कौन समझाए इसलिए मैं चुप था । आज पूरे ऑफिस में यही चर्चा है कि उसने तीन करोड़ रुपयों का घटोला किया है । उसे बर्खास्त करते हुए तीन करोड़ रुपयों की भरपाई भी करने के लिए कहा गया है । अब इधर-उधर हाथ पैर मार रहा है कि किसी तरह इस घोटाले से बाहर निकले । मैंने उससे कहा कि मैं कुछ मदद करूँ क्या परंतु उसने कहा मैं देख लूँगा ।

रमा सोच रही थी कि कल की ही बात है ऐसा लगता है कि वह प्रज्वल को चिढ़ा रहा था कि पैसे कमाना नहीं आता है और आज देखो जितना कमाया है सब को खोने की नौबत आ गई है । वक़्त बदलते देर नहीं लगती है । पैसे कमा सकते हैं परंतु खोई हुई प्रतिष्ठा को पाया नहीं जा सकता है । प्रज्वल हड़बड़ी में किसी से बात कर रहे थे तब रमा अपनी तंद्रा से बाहर आई तो प्रज्वल कह रहे थे कि रमा प्रतीक और उसकी पत्नी दोनों ने आत्महत्या करने की कोशिश की है चलो हम अस्पताल जाकर देख कर आते हैं । जब वे अस्पताल पहुँचते हैं तो डॉक्टर ने बताया था कि दोनों को बचा लिया गया है क्योंकि जल्द ही उन्हें यहाँ पहुँचाया गया है । दो दिन में ही दोनों घर पहुँच गए थे । प्रज्वल ने उसे समझाया कि हम सब किसी तरह से तुम्हें इस प्रॉब्लम से बाहर निकाल देंगे फिर कभी ऐसी हरकत नहीं करोगे मुझसे वादा करो । तब प्रतीक को लगा कि उसने क्या खोया है । दोस्तों कल को किसने देखा है। कल को बेहतर बनाने के चक्कर में आज को बिगाड़ने में कैसी समझदारी है। वक़्त वक़्त की बात होती है कल बड़े ही ठाठ से दूसरों की नाकामियों पर हँसने वाले प्रतीक का दिल आज भी यह सोच कर धड़कता रहता है कि कब कौनसी मुसीबत आ जाएगी और उसका सामना कैसे करूँ ?

#वक़्त

मौलिक स्वरचित

के कामेश्वरी

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