वापसी – Short Story In Hindi 

जिस दिन से शिखा का जन्म हुआ था उसी दिन से उसके मम्मी पापा नें ठान लिया था कि हमलोगों की एक ही संतान हमारी फूल सी प्यारी बच्ची शिखा ही रहेगी । और उसी दिन से उसके मम्मी पापा का एक ही ख़्वाब था कि अपनी बिटिया को डाक्टर बनाएंगे ।

       भगवान की कृपा से शिखा पढाई में तीक्ष्ण बुद्धि की थी । क्लास-1से ही वह अपने क्लास में टाॅप पोजीशन में रहती चली आ रही थी ।

        शिखा के मम्मी पापा दोनों ही अलग अलग स्कूल में टीचर थे । शिखा अपने पापा के स्कूल में पढती थी ।

         शिखा के क्लास-5,6पहुँचते पहुँचते उसके पापा की संगत बहुत बिगडे हुए लोगों से पड़ गई थी ।

         वो नशा करनें लग गये थे । चार दोस्तों के साथ हंसी मजाक में शुरुआत हुई और कब रोज़ की आदत बन गई समझ में ही नहीं आया ।

       शराब चीज़ ही ऐसी है एक बार हलक में उतरी तो जान लेकर ही छोडती है ।

              शिखा बड़ी होती जा रही थी  वह 10th क्लास में पहुँच गई थी ।और 10th क्लास की लड़की को नैतिकता और आदर्श की बख़ूबी ज्ञान हो जाती है । फिर शिखा तो होशियार लड़की थी , उसे अपने पापा के चरित्र से बहुत शर्मिंदा होने पड़ते थे ।

     इस तरह उसकी पढ़ाई में रूचि कम होती गई वह स्कूल घर सभी जगह उदास उदास सी रहने लगी । 

          उसकी मम्मी सोंच कर हैरान थी कि शिखा की पढ़ाई कमजोर क्यों होती जा रही है वह उदास होकर क्यों रहती है!!!

      हर वर्ष टाॅप पोजीशन में रहने वाली शिखा क्लास-10th में सेकेण्ड डिविज़न से ही पास हो सकी ।


       जिस दिन वह रिजल्ट लेकर आई उसके मम्मी पापा में तू-तू,मैं-मैं होने लगी दोनों एक दुसरे पर दोषारोपण करने लगे।  शिखा की मम्मी कहनें लगी उसी स्कूल में पढाते हो बच्चे की क्या पोजीशन चल रही है इतना भी ध्यान नहीं दे  सकते।  कहाँ गये तुम्हारे वो उँचे ख़्वाब कि ” बेटी को डाक्टर बनाएंगे ” ख्वाब बूनने भर से सब कुछ हासिल नहीं होता।  उसके लिए बुनियादी तौर पर ही मजबूत तैयारी की जरूरत पड़ती है , कब से बोल रही हूँ शराब पीना बंद करो बच्चे पर बुरा असर हो रहा है, लेकिन तुम्हें तो अपनी मस्ती ही सूझ रही थी देख लो आज इसी का परिणाम है कि सरस्वती माँ की वरदानी सी विलक्षण प्रतिभा का क्या हस्र हो रहा है ।अब उसके पापा बोलने लगे तुम भी तो दुनियाँ भर के बच्चों को पढाती हो अपनी बच्ची को क्यों नहीं संभाल पाई ??? एक दूसरे के सामने दोनों ही निरूत्तर थे ।

      मम्मी पापा के बीच तू तू , मैं मैं हुई कीचड उछाल हुआ मगर रवैया में कोई परिवर्तन नहीं आया ।

            दिनचर्या ज्यों का त्यों चलता रहा ।

       इस तरह पानी सिर से गुज़रने लगा , शिखा  12th की परीक्षा में फेल हो गई। 

         रिजल्ट के दिन घर में मातम सा पसर गया।  शिखा की मम्मी शाम 7बजे से ही सोने चली गई, चिंता में डूबी छत की ओर टकटकी लगाये हुए थी ।

        कोई भी पिता लाख लापरवाह हो नशा, भांग कुछ भी करता हो बात जब अपने खून से बने बच्चे के भविष्य पर बिगडते देखते हैं तो सारा नशा चकनाचूर हो जाता है ।

           रोज़ रात 12 बजे घर आनें वाले शिखा के पापा आज 8 बजे ही उदास मन से भारी कदमों में चलते हुए घर लौट आये। 

       अपनी पत्नी के पास जाकर  बगल में कुर्सी लगाकर बैठ कर पूछा-क्या बात है कमला ! इतनी उदास क्यों हो???बिटिया के रिजल्ट को लेकर चिंतित हो न ??? कमला परिस्थिति भांप गई , चिड़चिड़ाने के बजाए प्यार का मरहम लगाने लगी । देखिये न जी , आजकल आप कितनी बुरी संगत में पड़ गये हैं  । मगर शिखा के पापा! आप जानते हैं न ” संकल्प के आगे इतिहास कांपता है ।” आपको भी संकल्प लेना पडेगा कि आज से आप नशा को समूल त्याग देंगे।  हाँ कमला! आज से मैं नशा नहीं करूँगा।  मुझे मेरा ख़्वाब इन आँखों से पूरा होते देखना है । हम दोनों ही मिल कर घर में शान्ति का माहौल बनाए रखेंगे और हमारी बिटिया को फिर से स्टैण्ड करेंगे।  शिखा दोबारा 12th क्लास की पढाई पूरी की अपनी खोई हुई पोजीशन हासिल कर ली फिर उसने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर डाँक्टर की पढ़ाई पूरी कर ली।   और आज कमला और सुरेश का ख्वाब पूरा हुआ।

       ।।इति।।

         -गोमती सिंह

            छत्तीसगढ़

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