वफादार – रणजीत सिंह भाटिया

सखाराम हर दिन की तरह अपना काम खत्म करके घर लौट रहा था, वह एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में मजदूरी करता था, ठंड के दिन थे सूरज जल्दी डूब जाता था, और ठंड बहुत बढ़ती जाती है चलते चलते सखाराम को किसी कुत्ते के पप्पी की रोने की  आवाज सुनाई दी पास जाकर देखा तो एक सुंदर सा पपी ठंड में ठिठुर ठिठुर कर रो रहा था, शायद वह  भूखा भी था

सफेद रंग और उसके ऊपर भूरे रंग के आकार बने थे l सखाराम ने  आस पास देखा शायद उसकी माँ  यहीं कहीं  हो पर कोई दिखाई नहीं दिया, सखाराम ने उसे गोद में उठा लिया.., गोद में आते ही उसे गर्मी महसूस हुई तो वह पपी उसके बगल में दुबकने  लगा, सखाराम उसे घर ले आया तो पत्नी ‘ विमला’ ने  कहा   “” इसे कहां से ले आए हो””” तब सखाराम ने सारा हाल बताया.. विमला  जल्दी से अंदर जाकर उसके लिए थोड़ा सा दूध ले आई उसके बाद उसे एक पुराने कंबल में लपेटकर सुला दिया सखाराम की छोटी सी बेटी ‘लता’उसके सिर पर प्यार से हाथ फेर रही थी उसकी तो खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था l

            उन्होंने उस पप्पी का नाम मोती रख दिया अब वह उनके   परिवार का सदस्य बन गया l धीरे-धीरे दिन गुजरते गए मोती भी बड़ा होता गया घर की चौकीदारी करता, जब विमला घर का काम करती तो वह लता के पास बैठा रहता अचानक कुछ समय बाद मोती बहुत ही उदास रहने लगा वह सखाराम की खाट के नीचे से निकलता ही नहीं था, खाता पीता भी नहीं था फिर एक दिन कुछ लोग आए और बताया कि  “” सखाराम बहुत ऊंचाई से गिर पड़ा है और उसकी मृत्यु हो गई है”” विमला पर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा परिवार का पालन पोषण कैसे करेगी ?और एक और जान जो इस जहान में आने वाली है उसका पालन पोषण कैसे करेगी..?

           ओबेरॉय कंस्ट्रक्शन कंपनी से उनका एक मैनेजर आया जो कुछ पेपर विमला से हस्ताक्षर करवा के उसके हाथ में दो लाख रूपये थमा कर चला गया l मोती उसे देख कर बहुत जोर जोर से गुर्राया l

           कुछ समय बाद विमला ने एक बेटे को जन्म दिया घर के खर्चे बढ़ गए पर आमदनी  नहीं,  दो लाख और घर के बर्तन और जेवर बेचकर भला कब तक गुजारा चलता, कोई दोस्त या रिश्तेदार मदद को नहीं आया उधार वालों ने भी देना बंद कर दिया बच्चों को छोड़कर वह काम पर भी कैसे जाती, जैसे तैसे दो वर्ष  गुजर गए l


              विमला ने सोचा ऐसे भूख से बिलखते बच्चों को कैसे देखूं एक दिन  ऐसे ही भूख से मरना है,  तो क्यों ना मैं अपना और अपने बच्चों के जीवन का अंत कर दूं यह सोचकर वह कोई जहरीली चीज लाई और पानी में मिलाकर बच्चों को पिलाने लगी..,  मोती जो यह सब देख रहा था फुर्ती से लपका और उस जहर को गिरा  दिया, तब विमला गुस्से में उसके पीछे मारने दौड़ी वो घर के पीछे की ओर दौड़ा वहां पर एक काशिफल  ( कद्दू ) पक्का था मोती वहां रुक गया, विमला का गुस्सा शांत हो गया मोती से कहा  ” तूने मुझे पाप करने से बचा लिया अब इस काशिफल से दो-चार दिन कट जाएंगे फिर आगे जो भगवान की मर्जी “

          दूसरे दिन मोती सवेरे घर के दरवाजे पर उदास अपने पैरों को आगे करके बैठा था तभी उसने देखा कि घर के सामने से गुजरती हुई एक महिला का हार गिर पड़ा है l तब मोती ने उस हार को मुंह में दबाया और उस महिला की और दौड़ा पर वह कार में बैठ चुकी थी, कार चल दी तब मोती भी उस कार के पीछे पीछे दौड़ता उसके घर तक जा पहुंचा.. बहुत बुरी तरह से हाँफ रहा था, जैसे ही महिला कार से उतरी तो मोती की ओर देखा तो हैरान रह गई “””.. अरे यह तो मेरा हार है “” और हार उस से ले लिया ड्राइवर को कहा ” इसे पानी पिलाओ लगता है बहुत दौड़ा है,  गले में पट्टा है, लगता है किसी का फालतू है और इतना ज्यादा समझदार “..पानी पीकर मोती जाने लगा तो उस महिला ने कहा इसका पीछा करते हैं देखते हैं यह कहां रहता है मोती घर पहुंचा तो पीछे पीछे वह महिला और ड्राइवर भी आ गए उनको देखकर विमला घबरा गई तब उस महिला ने कहा ” यह तुम्हारा कुत्ता है…?

और उसे सारा किस्सा सुनाया विमला ने उन्हें बैठने का इशारा करते हुए कहा  “”‘ इसका नाम मोती.. है बस  हम इंसानों की तरह बोल नहीं सकता बाकी सारे गुण एक वफादार इंसान की तरहां  ही हैं..हमारे परिवार से इसका  “दिल का रिश्ता” है ये हमारे  परिवार की बुजुर्गों की तरह देखभाल करता है.. ” और मोती की परिवार से जुड़ने की सारी कहानी विस्तार से सुनाई तब उस महिला ने पूछा ” कि तुम्हारे पति किस कम्पनी में काम करते थे..?   ” जी ओबेरॉय  कंस्ट्रक्शन कम्पनी में.. ” वह तो हमारी कम्पनी है, और मैं हूँ मिसेस ओबरॉय.. पर तुम बता रही थी कि तुम्हें   दो लाख रूपये दिए गए पर जहां तक मुझे ज्ञात है हमने दस लाख रूपये भिजवाए थे “”” यह सुनकर  विमला की आँखों में आंसू आ गए मिसेस ओबरॉय ने कहा “”तुम अभी मेरे साथ चलो तुम्हारे मोती ने मेरी इतनी कीमती चीज लौटाई है,


ये मेरी माँ की आखिरी निशानी है तो क्या मैं तुम्हें न्याय नहीं दिलवा सकती..” विमला बच्चों को लेकर कार में बैठ गई मोती भी आ गया सब लोग मिलकर मिस्टर  ओबरॉय के पास पहुंचे और सारा किस्सा सुनाया मैनेजर को बुलवाया  गया तो मोती उसकी और झपटा  पर विमला के मना करने पर शांत हो गया l 

मिस्टर  ओबरॉय ने पूछा  “”क्या मामला है”” तो मैनेजर ने कहा “”..जी मैंने तो इन्हे पूरे दस लाख रूपये दे दिए थे मेरे पास पेपर भी है.. ” तब मिस्टर ओबरॉय ने कहा ” भाई वाह.. सवाल से पहले ही जवाब…मैंने तुमसे पूछा भी नहीं और तुमने सफाई दे डाली मैं पहले भी तुम्हारी बहुत शिकायतें सुन चुका हूं तुम्हें इसी वक्त नौकरी से निकाला जाता है… विमला की ओर देखकर कहा तुम्हारे साथ पूरा इंसाफ  होगा तुम्हारे पति की मौत हमारे काम पर हुई है तब तुम्हारे और तुम्हारे परिवार की सारी जिम्मेदारी हमारी है तुम बिल्कुल फिक्र मत करो हम तुम्हारे साथ पूरा पूरा न्याय करेंगे.. “”

         मिसेस ओबरॉय ने कहा “..कि तुम हमारे घर का छोटा मोटा काम कर दिया करना और हमारे कोई औलाद नहीं है इन बच्चों के आने से घर में रौनक आ जाएगी इन्हें किसी अच्छे स्कूल में दाखिला भी मिल जाएगा तो तुम्हे किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है और हां… यह प्यारा सा मोती भी हमारे ही साथ रहेगा l

             विमला और बच्चों को एक छोटा सा क्वार्टर दे दिया गया,जहां वह बहुत खुशी से रहने लगे , और वफादार मोती जिसकी  वजह से यह दिन आए थे अपनी खुशी जताते हुए अपनी पूँछ को जोर जोर से हिला रहा था इस तरहा एक बेजुबान जानवर ने इंसानों के साथ   “दिल -का – रिश्ता” निभाया l

#दिल_का_रिश्ता

 मौलिक एवं स्वरचित

 लेखक – रणजीत सिंह भाटिया.

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!