व्यर्थ का दिखावा – रश्मि प्रकाश

सभी से आग्रह किया गया था वो अपने साथ एक ही चीज लेकर आएँगे और कुछ भी लेकर आए तो वो हम स्वीकार नहीं कर सकेंगे ।

सजी धजी हवेली और भव्य पंडाल ये किसी को भी अपनी ओर खींच सकता था पर गेट पर तैनात जवानों को देख बिना न्योता अंदरआने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता था….क्योंकि  सम्पन्नता से परिपूर्ण राजेश्वर जी का रसूख़ ही ऐसा था कि सब थर थर कांपते थे पर  अंदर से वो बहुत नरम दिल इंसान भी थे ।

शाम  तक सब कुछ एकदम तैयार हो गया था…. घर भी दुल्हन की तरह सज चुका था और घर की दुल्हन भी… दो भाइयों की इकलौती बहन और राजेश्वर सिंह और सुमिता जी की सुपुत्री राशि की भव्य शादी जो थी।

अचानक बाहर हलचल मच गई और शोर होने लगा बारात आ गई .. बारात आ गई ….ये सुनते ही राजेश्वर जी ने अपने आदमियों से कहा ,“जल्दी से ये सब जगह ख़ाली करवाओ और सम्मान के साथ बाराती पक्ष के लोगों को अंदर ले आओ।”

पंडाल खचाखच भर गया था… मंच पर दुल्हा बना निकुंज बेसब्री से अपनी दुल्हन का इंतज़ार कर रहा था…

हल्की सुगबुगाहट और गहमागहमी के बीच पंडाल के द्वार पर सब मुस्तैद हो गए… पंडाल में आज की शोभा… दुल्हन बनी राशि के आने की आहट हो रही थी और मंच पर खड़े निकुंज की धड़कन राशि के हर कदम के साथ तेज और तेज हो रही थी…..अरेंज मैरिज की एकखास बात यही होती हैं कि दुल्हा दुल्हन दोनों एक दूसरे को देखने को लालायित रहते है बस यही हाल निकुंज का हो रहा था.. एक हीबार तो देखा था उसे जब शादी के लिए दोनों को मिलने का मौक़ा मिला था..

फिर नज़रों में ऐसी बसी की बस ज़िन्दगी में बस ही गई…और आज शादी के फेरे का दिन भी  आ गया।

राशि भारी भरकम महँगे से लहंगे में धीमी गति से चलती हुई स्टेज पर पहुँच गई… नए प्रकार के उपकरणों से लैस जयमाल की रस्म अदायगी की गई… भव्यता का दिखवा हर ओर छलक रहा था… सब तारीफ़ करते नहीं थक रहे थे ।




 जयमाला के बाद सभी बारी बारी से स्टेज पर आकर दुल्हा दुल्हन को अपने साथ लाए तोहफे दे रहे थे… तोहफ़े में सबसे कहा गया था वो बस वर वधू को अपना आशीर्वाद ही दे….. कोई भी शगुन स्वीकार नहीं किया जाएगा बस उन्हें आपका आशीर्वाद चाहिए ।

अब बारी आई डिनर करने की…. 

सभी इतने व्यंजन देख कर थाली भर भर कर सब कुछ उठा रहे थे….

जब वो प्लेट रखने जाते तो हर जगह एक एक व्यक्ति खड़ा था जो हाथ जोड़कर आग्रह कर रहा था पूरा खाना खा ले… अन्न का अपमान ना करें ।

अब पूरी भरी थाली कितनी खाई जाएगी…… माफ़ी माँग कर थाली रखने लगे… बाद में जब लोगों ने देखा तो अपनी थाली में सोच समझकर खाना लेने लगे…… सब के खाने के बाद भी बहुत खाना बच गया था…..

सब लोगों के बीच चर्चा चल रही थी बहुत खाना बर्बाद हो गया….

ये बात जब निकुंज को पता चली तो वो राजेश्वर सिंह के पास आकर बोला,“ पापा जी मैंने सुना है यहाँ बहुत खाना बच गया है… क्या हम वो खाना कहीं दे सकते हैं ?” 

“ हाँ …हाँ क्यों नहीं… बताइए कहाँ देना है?” राजेश्वर सिंह ने कहा 

“ वो पापा जी मैं हमेशा बचा हुआ खाना फेंकने के बजाए कही आश्रम में नही तो फुटपाथ पर रह रहे ग़रीबों के बीच बांट देता हूँ….…. आप ये सारा खाना पैक करवा दीजिए मैं  जाकर दे आता हूँ….।” निकुंज ने कहा 

“ अरे बेटा आप किधर जाएँगे…. आप बता दें….. वैसे मैं भी यही करता था पर आज अपने दामाद में भी ये गुण देख मेरा सीना गर्व सेचौड़ा हो गया ।” राजेश्वर सिंह जो खुद इन बातों को अमल करते रहे थे दामाद की बात सुन आज अपनी बेटी के क़िस्मत पर फ़ख़्र कररहे थे ये सोच कर कि जो आज अपने इतने अच्छे विचार व्यक्त कर रहा है ….

उन अच्छें विचारों के साथ मेरी बिटिया सदैव ख़ुश रहेगी।




सारा बचा खाना फेंकने के बजाय फुटपाथ पर ग़रीबों और आश्रम में दे दिया गया…और लोगों से ढेरों आशीर्वाद मिल गया ।

आपने भी महसूस किया होगा…अक्सर शादी ब्याह में दिखावा तो बहुत किया जाता है साजों सजावट पर तो कही  कही महँगे महँगे कपड़ों पर … पर जब दिखावे में खाने की हज़ारों वैरायटी होता है तो लोग हर डिश का आनंद लेने के चक्कर में पूरी थाली भर लेते है उसको बाद खाया जाता नहीं और वो सब डस्टबीन में डाल दिया जाता है… उपर से शादी ब्याह में अक्सर बहुत खाना  बच जाता है ऐसेमें उसे फेंकने के बजाए उनका सदुपयोग करना चाहिए…. व्यर्थ के दिखावे से बचना चाहिए ….पेट आपका ही है… वो उतना ही भोजनग्रहण करेगा जितनी उसमें जगह होगी… ज़्यादा देख कर सब थाली में भर लेना फिर उसे बर्बाद करना सही नहीं है…. इसलिए ये आप पर निर्भर करता है कि खाना अपनी थाली में आवश्यकता से अधिक लेना है या फिर जितना हम खा सकते है … जहां अन्न की बर्बादी हो रहीहो उसे रोकने का प्रयास करें ।

आप को क्या लगता है ये सच है और झूठ कि हम शादी में दिखावा ज़्यादा करते है और उस चक्कर में बेवजह की बर्बादी….?

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#दिखावा

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