उलझन  – हेमलता पन्त

ट्रेन के एसी फस्ट डिब्बे में भी मुझे एक अजीब सी घुटन महसूस हो रही थी, कारण सामने बैठा युवक, जिसके  किसी पुराने फिल्मी हीरो की तरह लम्बे -लम्बे बाल, लाल शर्ट, काली पेंट ,कमर पर कसी बैल्ट, हाथ पर सलमान खान वाला ब्रेसलेट किसी टपोरी से कम नहीं लग रहा था |

एसी फस्ट का टिकट कैसे मिला होगा इसे? लगता है किसी सेठ का सेवक होगा जिसने अपने साथ -साथ इसका भी टिकट करवा दिया होगा जो साथ के किसी कम्पार्टमेंट में होगा |न जाने क्या -क्या प्रश्न -उत्तर मेरे दिमाग में चल रहे थे |  मैडम टिकट तभी टी टी मेरे सामने खड़ा था मेरा टिकट चैक करने के बाद उसने उस टपोरी टाइप लड़के का टिकट माँगा, उसने टिकट आगे बढ़ा दिया जिसे देख टी टी भी मुस्करा दिया अब तो मेरे होश उड़ गये ऐसा लग रहा था कि दोनों की मिली भगत चल रही है सवालों की उधेड़बुन मेरे दिमाग में जारी थी |तभी…


“मैडम कहाँ तक जायेंगी आप “,उसने प्रश्न किया |

“जयपुर “,जैसे मैंने कोई गन्दगी का ढ़ेर देख लिया हो |

“मैं भी जयपुर ही जाऊँगा “

अब मेरा दिल ट्रेन के साथ -साथ धड़कने लगा |वह शायद मेरे मन में चल रही उठा -पटक को समझ रहा था इसलिए करवट लेकर सो गया |

थोड़ी देर बाद ट्रेन रामपुर स्टेशन पर रुकी तभी एक दम्पति अंग्रेजी में गिटर -पिटर करते हुए अन्दर प्रविष्ट हुए, मेरी साँस में साँस आई मैंने मुस्करा कर उनका स्वागत ऐसे किया जैसे वह मेरे मेहमान हों |

खाना खाने के बाद महिला ने बातों का सिलसिला शुरू कर दिया वह लोग अलवर जा रहे थे, मैंने मन ही मन सोचा अलवर पहुँचने तक तो सुबह हो जायेगी चलो रात तो आराम से कट जायेगी उस समय वह महिला मुझे किसी देवदूत से कम नहीं लग रही थी |

तभी उसने केक का डिब्बा मेरी ओर यह कहते हुए बढ़ाया कि आज उसकी मैरिज एनिवर्सरी है, दोंनो को विश करके मैंने केक ले लिया |

सुबह मेरी नींद खुली तो मैं हॉस्पीटल में थी और मेरे पास वही लड़का, उसने मुझे बताया कि कल रात वाली महिला ने उसे भी केक अॉफर किया था उसने लिया मगर नहीं खाया |


वह आपका पर्स व सामान लेकर निकल रही थी मैंने उन्हें दबोच कर सबको बुला लिया जो अब रेलवे पुलिस की गिरफ्त में हैं |

आपको बेहोशी की हालत में यहाँ भर्ती कराया गया और मैं आपके शहर का होने के नाते यहीं रुक गया आप चिन्तित न हों |मैं समझ नहीं पा रही थी कि मैं उससे क्या कहूँ |

हेमलता पन्त

जयपुर |

2 thoughts on “उलझन  – हेमलता पन्त”

  1. व्यक्तित्व और चरित्र की पहचान कपड़ो से नहीं होती है।

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