तुम लगती ही नहीं शादीशुदा हो – मीनाक्षी सिंह 

विनीत – सुरभी ,क्या यार तुम हमेशा अपने मन की ही क्यूँ करती हो ! तुम कभी कहीं बाहर जाती हो तो मंगलसूत्र क्यूँ नहीं पहनती जो मैने तुम्हे शादी पर पहनाया था ! 

सुरभी – क्या यार विनीत ,तुम्हे पता हैँ वो ओल्ड फैशन हो गया हैँ ! कितना लम्बा हैँ वो और डिजाईन तो उसका बाबा आदम के ज़माने का हैँ ! मैं नहीं पहनूँगी उसे ! सब हंसेंगे मुझ पर ! मेरी तो ये लेटेस्ट गोल्ड चेन ही मस्त हैँ ! 

विनीत – ठीक हैँ तो तुम अपनी चलाओ ! कभी ऐसे तैयार ही नहीं होती जैसा मुझे पसंद हैँ ! ठीक हैँ मुझे बहस नहीं करनी तुमसे ! चलो यार ,लेट हो रहे हैँ ! 

पार्टी में ज़ाते ही विनीत और सुरभी एक टेबल पर बैठ गए ! सभी औरतें अपने बच्चों और पति के साथ हाथों में हाथ डाले आ रही थी ! तभी एक औरत को जो सिल्क की साड़ी पहने थी ,लम्बा मंगलसूत्र ,गहरा लाल रंग का लम्बा सिन्दूर लगाये ,लंबे बाल ,हाथों में भरी भरी चूड़ी पहने पार्टी में आयी ! विनीत उसे देखता ही रह गया ! सुरभी का चेहरा उस औरत की तरफ करते हुए विनीत बोला – इसे कहते हैँ भारतीय शादीशुदा औरत ! कितना अच्छा श्रिंगार किया हैँ ! भई वाह,देखकर मन खुश हो गया  ! तुमसे कितनी बार कहा ऐसे तैयार हुआ करो ! पर तुम्हे तो ये सब ओल्ड फैशन लगता हैँ ! क्या वो औरत ओल्ड फैशन लग रही हैँ ! देखो सबकी निगाह उस पर ही टिकी हैँ ! 

सुरभी – तुम सब आदमी एक जैसे ही होते हैँ ! सही कहावत हैँ कि मर्द जात ही ऐसी होती हैँ ज़िसे दूसरों की औरत और खुद के बच्चें पसंद होते हैँ ! बिल्कुल गंवार लग रही हैँ वो औरत ! कौन इतना श्रिंगार करता हैँ आज के ज़माने में ! 

विनीत – क्या आदमी अपने मन के भाव भी व्यक्त नहीं कर सकता ! ठीक हैँ तुम्हे जैसे रहना हो रहो तुम्हारी मर्जी ! ये कटा हुआ ब्लोऊज कौन सा फैशन हैँ ! मुझे आज तक औरतों का फैशन समझ नहीं आया ! शादीशुदा होकर भी कुंवारी लड़की की तरह रहती हैँ ,ना मंगलसूत्र ,ना सिन्दूर ,ना बीछिया ,ना चूड़ी ! अब घर चलो ! सुबह ऑफिस भी जाना है ! 



सुरभी गुस्से में बच्चों को लेकर गेट से बाहर आ गयी ,गाड़ी में बैठ गयी ! विनीत भी आ गया ! रास्ते भर दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नहीं की ! घर आकर कपड़े चेंज कर सुरभी बच्चों को लेकर लेट  गयी ! नींद तो सुरभी की आँखों से कोसों दूर थी ! खुद का पति दूसरे की पत्नी की बड़ाई करें तो कोई भी औरत बर्दाश्त नहीं कर सकती ! वो रात भर सोचती रही कि विनीत उस से कोई गलत अपेक्षा तो नहीं रखता ! कितना प्यार था उन दोनों में शादी के बाद के कुछ सालों तक ! मध्यमवर्गीय परिवार की सुरभी को विनीत ने उसकी सादगी की वजह से ही पसंद किया था ! जब पहली बार विनीत सुरभी को देखने आया तो सुरभी पीले रंग का सलवार सूट पहने हुई थी ! उस पर पिन से दुपट्टा बांध रखा था ! विनीत को सुरभी एक नजर में पसंद आ गयी थी ! उसने शादी के लिए हाँ  कर दी ! दोनों विवाह के बंधन में बंध गए ! विवाह के बाद दो सालों तक सुरभी अपने ससुराल गांव में ही रही ! बिल्कुल भारतीय नारी की तरह श्रिंगार करती ! विनीत उस पर जान छिड़कता  था ! दो साल बाद विनीत उसे नौकरी वाली जगह ले आया ! शहर की ऐसी हवा लगी सुरभी को कि किटी पार्टी जाना शुरू कर दिया  ,सिन्दूर लगाना बंद कर दिया ! बिन्दी भी तीज त्योहारों पर ही दिखती ! बीछिया भी ससुराल जाती तो पहन लेती ! चूड़ी के नाम पर एक हाथ में घड़ी ,दूसरे में एक कंगन आ गया था ! स्लीवलेस ब्लाऊज ,मंगलसूत्र की जगह गोल्ड की चैन ने ले ली थी ! 

सुरभी की आँखों से आंसू बहते चले गए ! आज उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा था ! हर बार आदमी ही गलत नहीं होता ,औरत भी कुछ गलतियां करती हैँ ! हर आदमी को अपनी औरत श्रिंगार किये हुए भारतीय नारी की वेश में ही अच्छी लगती हैँ जब उसके साथ बाहर निकले तो ! उसका #प्रेम  अपनी पत्नी से दोगुना हो जाता हैँ ! सुरभी मन में कुछ निर्णय कर सो गयी ! अगले दिन उठी ! नहा धोकर गुलाबी रंग की साड़ी पहन ,मंगलसूत्र पहने ,हाथों में भरी भरी चूड़िय़ां पहले ,गहरे रंग का सिन्दूर लगाये आज किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी ! विनीत भी सुरभी को देखता ही रह गया और मजाक के लहजे में बच्चों से बोला – बेटा आज सूरज कहाँ से निकला हैँ ,तुम्हारी मम्मा कितनी ओल्ड फैशन लग रही हैँ ना ! बच्चें भी तपाक से बोल पड़े -नहीं पापा ,आप तो बुद्दू हो ,मम्मा तो आज सबसे सुन्दर लग रही हैँ ! ऐसी तो कभी नहीं लगी ! विनीत भी गाने के वो बोल जो उसके पसंदीदा थे गाने लगा – 



तेरे चेहरे में वो जादू है

बिन डोर खिंचा जाता हूँ

जाना होता है और कही

तेरी ओर चला आता हूँ!! 

सुरभी ने शर्मा के  चेहरे को अपने दोनों हाथों से छुपा  लिया ! 

आज दोनों का #प्रेम फिर से पल्लवित हो चुका था ! 

पाठकों ,ये कहानी एक पाठक के कहने पर ही लिखी हैँ मैने ,अपनी अच्छी य़ा बुरी प्रतिक्रिया अवश्य दिजियेगा ! 

#प्रेम 

स्वरचित 

मौलिक ,अप्रकाशित 

मीनाक्षी सिंह 

आगरा

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