अदिती एक सर्वगुण सम्पन्न लड़की थी परंतु उसमें एक ही ऐब था वो एक पैर से हल्का सा लंगड़ा कर चलती थी।उसके परिवार में माता कमला पिता शरद दो भाई रतन और मदन उनकी पत्नियां मीता और शीला थी।अदिति घर के सारे काम करवाती फिर भी भाभिया खुश ना होती। उसकी उम्र 25 साल हो गई थी परंतु अभी तक सही रिश्ता नहीं मिल पाया था।
भाभिया कहती भई हमारी तो 21 की उम्र में ही शादी हो गई थी तो शीला कहती भाभी हममें कोई नुक्स थोड़ी था कभी कभी अदिति के चलने की नकल करती कई बार कमला जी उनको समझाती की बेटा ऐसा नहीं कहते वो तो ईश्वर की मर्जी वो किसी को कैसा बनाता है।पर उन दोनों में कोई सुधार नहींकौन था।बड़ी मुश्किल अदिति के लिए एक रिश्ता मिला । लड़के का नाम कुणाल था।लड़का अदिति से दस साल बड़ा था और एक बच्चे का बाप था उसकी पत्नी दो साल पहले गुजर गई थीं।
घर में सास निर्मला देवरानी गीता और उसका पति मदन और एक बेटा हेमंत था। बिना दान दहेज के अदिति की इच्छा ना होने पर भी उसकी शादी कर दी गई।अदिति घर आई तो वहां भी उसकी कोई इज्जत ना थी पति सिर्फ अपनी ज़रूरतों के लिए उसके पास आता नहीं तो वो उससे बात भी नहीं करता था।घर वालों के लिए तो फ्री की नौकरानी आ गई थी।देवरानी अब कोई काम ना करती ।पहली रात ही उस तीन साल के बच्चे नकुल को अदिति को सौंप सबने अपनी इति श्री कर ली।
अदिति सुबह जल्दी उठती सारा काम करती सबका खाना बनाती घर के सब काम करती फिर भी काहिल सुस्त लंगड़ी जैसे ताने सुनती बस इन सब के बीच उसके पास नकुल था जिसे वो बहुत प्यार करती और नकुल भी उसे अपनी मां ही मानता।नकुल स्कूल जाने लगा उन्हीं दिनों अदिति को दिन रह गए।उसने अपनी सास से कहा मां मुझे एक बार डॉक्टर को दिखा दीजिए मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है।सास बोली सब ठीक होगा हमारे यहां ये चोंचले नहीं चलते।
कुणाल तो उसकी कोई बात सुनता ही नहीं था हमेशा गालीगलौच बेइज्जत करना।जब उसने कुणाल को बताया तो वो बोला साली हमे कोई बच्चा नहीं चाहिए समझी और उस पर टूट पड़ा इसी हालत में उसका गर्भपात हो गया।अदिति की इतनी तबियत खराब होने के बाद भी वो बिचारी गिरते पड़ते सब कर रही थीं।नकुल की छुट्टियां हुई वो बोला मां मामा के घर चलते हैं।कुणाल ने बड़ी मुश्किल तीन चार दिन के लिए भेजा।मायके में आकर भी अदिति को कोई ना कोई ताना मिलता ।
नकुल ने शीला की बेटी का खिलौना ले लिया इस बात पर इतना बवाल हुआ कि अदिति दो दिन में ही अपने घर आ गई।अब उसने तिरस्कार को ही अपनी नियति मान लिया था।समय बीता बच्चे बड़े हो गए नकुल कॉलेज खत्म कर नौकरी की तलाश में था।सास की मौत हो गई थी और देवरानी का बेटा हेमंत भी कॉलेज में आ गया था। नकुल शहर में रह कर पढ़ रहा था पर अपनी मां के कॉन्टैक्ट में था।पर घर में अदिति के साथ वैसा ही व्यहवार होता क्योंकि पति सम्मान नहीं करता था कोई और क्यों करता ।
हेमंत भी उसे उल्टा सीधा बोलता ।उधर नकुल को अच्छी कंपनी में जॉब लग गई वो ज्वाइन होने से पहले घर आया पर उसने किसी को बताया नहीं वो सबको सरप्राइस देना चाहता था।जब वो घर पहुंचा तो उसने देखा सब मां पर चिला रहे हैं और हेमंत तो हाथ ही उठाने वाला था।नकुल चिल्लाया हेमंत मेरी मां से दूर हो जाओ।मां आप और कितना तिरस्कार सहन करेगी।चलिए आप यहां से इस घर में अब आप नहीं रहेगी पापा आज आपकी वजह से मां की ये हालत है उन्होंने हमेशा आप सब का ध्यान रखा पर आप लोगों ने उन्हें प्यार का एक शब्द भी नहीं दिया।
आप लोग मेरी मां के लायक नहीं है चलो मां आपके बेटे को नौकरी लग गई है अब आप मेरे साथ रहेंगी चलिए और नकुल अदिति का हाथ पकड़ घर से बाहर निकल गया।
अदिती अपने बेटे के साथ आ गई।नकुल उसका बहुत ध्यान रखता उसने अपनी होने वाली पत्नी नम्रता से और उसके माता पिता से भी यही शर्त रखी थी कि कभी भी किसी भी तरह से मेरी मां का तिरस्कार नहीं होना चाहिए वो मेरी दुनिया है।नकुल की और नम्रता की शादी हो गई।दोनो अदिति का सम्मान करते उसी समय खबर आई कि कुणाल की तबियत बहुत खराब है उसका कोई ध्यान रखने वाला नहीं है।अदिति बोली बेटा मै जाती हूँ।
नकुल बोला नहीं उन्हें यही हॉस्पिटल में एडमिट करवाते है।नकुल ने कुणाल को एडमिट करवाया अदिति उसका ध्यान रखती कुणाल की हालत बहुत खराब थी।कुणाल हाथ जोड़ माफी मांग रहा था मैने जीवन भर तुम्हारा तिरस्कार किया पर मेरे अंतिम समय में भी तुम्ही मेरी सेवा कर रही हो मुझे माफ कर दो।अदिति बोली मैने आपको माफ किया यह शब्द सुनते ही कुणाल की आत्मा को शांति मिली और उसने प्राण त्याग दिए।नकुल बोला मां आपके जीवन का शाप पूरा हो गया अब आप आराम से और खुशहाल जीवन जीयों अपने पोतों के साथ।
अदिती नकुल के सिर पर हाय रख मुस्कुराने लगी।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी