तिरस्कार कब तक – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

मुँह में एक कौर रखते ही सूरज ने कहा…. बापरे आज सब्जी में इतनी मिर्ची डाल दी है….. सपना बहू दीपिका को सपोर्ट करते हुए कहती है , कभी-कभी गलती हो जाती है ……  सूरज जी , जान बूझकर … कोई गलती कर सकता है क्या ?

सूरज ने कहा— “ कोई बात नहीं है , दीपिका कल सब्जी में बिलकुल मिर्च मत डालना” …….  यह सुनते ही सब हँसने लगे ।

सूरज अपनी जगह से उठकर दीपिका के पास गए , उसके सर पर हाथ रखकर कहा,  बुरा मत मानना बेटा …. मैं तो मजाक कर रहा था …. ऐसे ही कुछ ना कुछ मजाक करते रहने की मेरी आदत है ….. ।

सपना कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी करती थी । उसके पति सूरज जी सरकारी कर्मचारी थे ……. जो अब रिटायर हो चुके हैं ।

उनके दो बेटे हैं , अनिल जो साफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत है …… उसकी शादी दो साल पहले दीपिका से  हुई है ……  अभी उनके बच्चे नहीं हुए हैं ।

अंकित यूनिवर्सिटी में लेक्चरर है …… और उसकी पत्नी कोमल  है ……. उनकी शादी पिछले साल ही हुई है ।

उस दिन जब सपना कॉलेज से घर पहुँची….. देखा…. कोमल की माँ कमला जी , बैठक में बैठ कर चाय पीते हुए,  अपनी बेटी से खुसर -फुसर कर रही थी ।

सपना को देखते ही ..… खिसियानी हँसी हँसते हुए कहने लगी कैसी हैं …. आप मैं अभी-अभी आई हूँ । सपना हँसकर अच्छी हूँ … कहते हुए अपने कमरे में कदम रखते हुए,  आवाज़ लगाई, दीपिका बेटा मेरे लिए चाय कमरे में भेज देना।

ड्रेस कोड – लतिका श्रीवास्तव 

 सपना कपड़े बदलकर आँखें बंद करके लेटी हुई थी ….. बाहर से कमला की बातें सुनाई दे रही थीं …… देखो दीपिका तुम्हारे पति मेरे दामाद से भी कम पैसे कमाता है…..  इसलिए मेरे ख़याल से घर के सारे काम , तुम्हें ही करनी पड़ेगी , मेरी बेटी तुम्हारा हाथ नहीं बँटाएगी । कोमल कुछ कहती इसके पहले….. उसका हाथ पकड़कर उसे कमरे में ले गई ।

सपना सोचने लगी यह कमला जी को क्या हो गया है ? आए दिन यहाँ हमारे घर आ जातीं हैं और बेटी के कान भर्ती रहतीं हैं कि…… अलग घर लेकर रहो, घर खर्च के लिए पैसे कम दो आदि!!

दीपिका भी आखिर कितने दिन ताने सहेगी …. आए दिन कोमल की माँ उसका तिरस्कार करती रहती हैं । एक दिन दीपिका रसोई में बैठी हुई रो रही थी । वह तो सपना ने देख लिया ….  इसलिए उसे सांत्वना दिया कि वह सब कुछ ठीक कर देगी ।

आज सपना ऑफिस से आई और बड़ी बहू कोमल के कमरे में झाँकती हुई कहती है ……. कोमल हमें मंदिर जाना है जल्दी से तैयार हो जाओ…. खुद अपने कमरे में जाकर फ्रेश हो कर आती है….. दीपिका के साथ मंदिर में भगवान के दर्शन करके बाहर बेंच पर बैठकर कहती है “ दीपिका जो कुछ भी करना है सोच समझकर करना बेटा ……”

दीपिका ने सास की तरफ देखा तो उन्होंने कहा कि , आजकल घर में जो कुछ भी हो रहा है …..,  उसे देखकर , मैं यह तुमसे कह रही हूँ ।

तुम्हारी माँ का बात-  बात पर ….  दीपिका पर ताने कसना ,  उसे नीचा दिखाना मुझे पसंद नहीं आ रहा है ।

बेटा आपको घर से अलग जाकर रहना है ……  रहो , मुझे कोई दिक़्क़त नहीं है ।

मुझे घर में शांति चाहिए थी ……. इसलिए मैं सबको एक साथ लेकर चल रही थी…  लेकिन आप लोग अलग घर लेकर रहना चाहते हैं तो ठीक है…. चले जाओ… लेकिन बड़ी बहू भी कब तक यह तिरस्कार सहन करेगी बेटा, उसका पति भी कमाता है …… हाँ तुम्हारे पति ट्यूशन पढ़ाकर और ज़्यादा कमा लेता है वह अलग बात है…..।

प्यार एक खूबसूरत एहसास – डॉ. पारुल अग्रवाल

वैसे यह घर अनिल , अंकित के दादा जी का है इसलिए …… इस घर पर उनके पोतों का हक है , हमें यहाँ रहने का हक नहीं है ….. तुम कहो तो हम दोनों इस घर से अलग रह कर जी लेंगे । तुम्हारे ससुर अपने पद का उपयोग कर बहुत सारे पैसे कमा सकते थे परंतु वे कहते थे कि मेरी पूँजी मेरे बेटे हैं । इसलिए रिटायरमेंट के बाद जो भी पैसा आया तीनों बच्चों में बराबर बाँट दिया गया । हमें पेंशन मिलती है हमारा गुज़ारा हो ही जाएगा । ….. हमारे पास इतनी …..  क़ाबिलियत है ……, हम अपनी देखभाल कर सकें । बच्चों के साथ रहने को मिल जाता ……..ठीक था , अगर नहीं ……. भी ठीक है कोई बात नहीं है इतने सारे वृद्धाश्रम हैं ….. वहीं कहीं जाकर रहलेंगे …… “ सासु माँ आप यह क्या कह रही हैं ? प्लीज़ ऐसा कहकर मुझे शर्मिंदा मत कीजिए । “

नहीं ! कोमल मैं संयुक्त परिवार की समस्याओं को  समझती हूँ ….. सास, ननदों के ताने, उनके द्वारा किए गए शोषण को , मैं अच्छी तरह जानती हूँ, इसलिए मैं हमेशा से यही चाहती थी , मैंने जो कुछ सहा है…..  वह मेरी बहुएँ ना सहें …..  इसलिए मैंने पहले से ही घर में सबको एक साथ लेकर चलने की कोशिश की है …… मैं इतना ही कहना चाहती हूँ … आगे तुम लोगों के लिए छोड़ती हूँ , तुम्हारा जो भी फ़ैसला होगा …. उसका सम्मान करूँगी ।

चलो बेटा रात का खाना भी बनाना है , कहते हुए उसका हाथ पकड़कर उठती है । दोनों घर पहुंचते हैं , अंदर से अंकित के बोलने की आवाज आ रही थी ।

अंदर जाकर देखा तो अंकित अपनी सास कमला जी से बात कर रहा था ।

इन दोनों की तरफ नजर पड़ते ही कोमल से कहा कोमल इधर आ , तुम्हें भी तो पता चले कि तुम्हारी माँ क्या कर रही हैं ?

कमला जी की तरफ देखकर हाँ तो आप यहाँ आतीं हैं …. और एक-एक हफ़्ते रहतीं हैं ….. मुझे कोई दिक़्क़त नहीं है परंतु …. आप जो कमला का ब्रेनवाश कर रहीं हैं …… मेरी भाभी का अपमान कर रही हैं, यह सब  मुझे मंजूर नहीं है ।

‘ बुरा वक्त ‘ – विभा गुप्ता

आप अपने घर में क्या करतीं हैं ….. यह आपके परिवार का विषय है…. आपको बता दूँ , जिस तरह से आप अपनी बेटी को सीख सिखा रही हैं ….. वैसे ही आपके घर में , आपकी बहू की माँ , अपनी बेटी को ….. पट्टी पढ़ा रही हैं ….. आपको आपकी जानकारी के लिए एक बता दूँ…… आज आपका बेटा घर छोड़ कर अलग रहने जा रहा है ।

कमला ने सबसे माफी माँगी ….. बिना सामान लिए अपने बेटे को रोकने चली गई ।

अंकित ने कोमल से कहा-  “ देखो कोमल , तुमने अपनी माँ को देखा , मेरी माँ को भी देखा , अब तुम फ़ैसला करो , तुम्हें क्या करना है …… मैं तुम्हारे फ़ैसले का इंतज़ार करूँगा। मुझे आपके साथ रहना है आपकी बात मानना है ….. आप मुझे अपने से अलग मत कीजिए ….. कहते हुए अंकित और सपना दोनों के हाथ पकड़ लेती है ।

के कामेश्वरी

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