टींस – अनीता चेची

दसवीं का वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित होने के पश्चात बहुत सारे विद्यार्थियों ने विद्यालय में प्रवेश लिया। परंतु कुछ लड़कियां ऐसी थी जो घर बैठी हुई थी। उनके माता-पिता उन्हें पढ़ाना नहीं चाहते थे। उनमें से ही एक  थी ‘नंदिनी’ जब मुझे पता चला कि नंदिनी के माता-पिता उसे पढ़ाना नहीं चाहते। मैं उनके घर गई ।गांव के भीतर संकरी सी गली  दो कमरों का टूटा फूटा मकान जिस पर पलस्तर भी नहीं हो रहा था ।

मैंने आवाज लगाई ,कोई है ? भीतर से  सांवले रंग की दुबली पतली, मझोले कद की  रंग 36 वर्षीय महिला ने दरवाजा खोला। उसके चेहरे पर निराशा और विषाद के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे और चिंता की लकीरों से वह 46 वर्ष की लग रही थी।

उसने कहा, ‘आप कौन हैं?

‘ मैं नंदिनी की शिक्षिका हूॅं।’

उसने दरवाजा खोल कर मुझे भीतर बुला लिया हम एक  चिर परिचित से हम एक दूसरे को कुछ देर तक देखते रहे ।

 मैंने  कहा ,मुझे लगता है ,मैंने आपको कहीं देखा है?

उसने भी कहा, मुझे भी लगता है। 



फिर एकाएक मैंने कहा ,अरे!’तुम कुमुद हो ‘,और उसने सर हिला दिया ।वह  आठवीं कक्षा में मेरी सहपाठी रही थी ।

22 वर्ष बाद मैंने उसे इस हालत देखा, कैसे आठवीं कक्षा में बड़ी बहन के साथ कुमुद की शादी कर दी गई थी? अपनी शादी में गहने ,कपड़े देखकर खुशी में वह घंटों  नाची थी।  उसे सुख का आभास तो था ,परंतु दुख आभास नहीं था ।

मुझे याद है उसकी शादी में जाने के लिए मैंने अपनी दादी से कितनी गुजारिश की थी।वह दलित है यह कहकर वे मुझे रोक रही थी ।मैं फिर भी चुपके से बिना बताए कुमुद के घर गई और हमने घंटो  नृत्य किया उसके बाद मैं और कुमुद फिर कभी नहीं मिले।

नीता -‘कुमुद यह तुमने क्या हालत बना रखी है ,और नंदिनी को घर क्यों बैठा लिया?

कुमद-‘ नीता मेरे पास पैसे नहीं है।’

नीता-‘ सरकारी स्कूल में कहां इतने पैसे लगते हैं ।

 कुमुद -‘मेरे पास किताब और यूनिफार्म के लिए भी पैसे नहीं है

नीता -‘ तेरी बेटी को गोद लेकर  मैं उसे पढ़ाऊंगी,

मैं हर साल एक लड़की गोद लेकर पढ़ाती हूं।’

कुमुद’-मै इस वर्ष में इसका ब्याह रचाऊंगी’

नीता – ‘तुमने अपने जीवन से कुछ नहीं सीखा, अपना  जैसा जीवन इसको भी देना चाहती हो।’



क्या हालत बना ली है तुमने, क्या हुआ तुम्हारे साथ ?

नीता क्या बताऊं ब्याह के 2 वर्ष बाद ही मेरा गौना हो गया  ।गोने की पहली रात पतिदेव उपहार में पायल लेकर आए ,पायल देख कर मैं बहुत खुश हुई।

उन्होंने कहा, बताओ ये पायल  कैसी है?

मैंने कहा ,बहुत सुंदर!

और फिर दिखाकर बाहर जाने लगे

मैंने कहा ,क्या हुआ कहाॅं जा रहे हो ?

वह हंसकर बोले पायल देने।

उन्होंने कहा,’ कुमुद में एक लड़की से बेहद प्यार करता हूं, ये पायल उसके लिए ही है ‘

उस रात वे वहां से चले गए।और 6 महीने तक मेरे पास नहीं आए। मैं 6 महीने ससुराल  में रही परंतु  उन्होंने मुझे   छुआ तक  नहीं ।कुछ दिन बाद उस लड़की का विवाह हो गया। उसके वियोग में उन्होंने शराब पीनी शुरू कर दी।

वह घंटों उसके लिए रोते हुए कहते ,कुमुद देखो! मेरी छाती में बिछड़ने का दर्द होता है’।

उनका दर्द देख कर मुझे दुख होता और मैं कहती,’ मेरे हृदय में भी तुम्हारे लिए दर्द होता है ,वह तुम्हें क्यों नहीं दिखाई देता?’



शराब के नशे में वे अपनी प्रेयसी को मेरे भीतर देखते और मुझसे प्रेम करते उसी प्रेम स्वरूप उन्होंने मेरी गोद में तीन संताने दे दी। शराब की लत धीरे-धीरे ओर बढ़ने लगी ।अब तो उन्होंने मेरे गहने चुराकर बेचने शुरू कर दिए, फिर बर्तन और घर  का अन्य समान ,पैसे ना मिलने पर वे मुझे  जोर जोर से पीटते और घर से बाहर निकाल देते। मैं घंटों सर्द रातों में बाहर बैठी रहती। एक दिन तो उन्होंने मेरे कपड़ों में ही आग लगा दी, जब मैंने विरोध किया ,तब उन्होंने मेरा सिर दीवार में जोर से देकर मारा। मैं लहूलुहान हो गई। तब से मुझे बहुत कम सुनाई देता है ।कुछ दिन बाद वे टीबी की बीमारी से ग्रसित होकर मर गए। सास ननंद उनकी मृत्यु का जिम्मेदार मुझे मानकर घर से बाहर निकालने की बातें करने लगी। उन्होंने मुझसे बातचीत बंद कर दी। मेरा शरीर पत्थर हो गया था। मैं शून्य में जा चुकी थी, चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा और कुछ भी नहीं।

तीन दिन बिना खाए पिए बिस्तर में पड़ी रही, किसी ने मेरी और कोई ध्यान नहीं दिया। जब मेरी हालत ज्यादा खराब हो गई, तब मुझे अस्पताल में भर्ती करवाया गया ।तभी मेरे माता पिता वहां आकर मुझे अपने साथ ले गए।  मैं छह महीने तक  बिस्तर में पड़ी रही। उन्होंने मेरा जगह-जगह इलाज करवाया। धीरे-धीरे मेरी हालत में सुधार होने लगा। स्वस्थ होने के बाद में वापस अपने ससुराल आई,  ससुराल में आते ही  सांस ने घर का दरवाजा बंद कर दिया।

उन्होंने कहा ,जहां मेरा बेटा गया, तुम भी वही जाओ।

मैंने कहा ,मैं इन बच्चों को लेकर कहां जाऊं ?

सांस -‘कहीं भी जाओ?’

मैं पूरा दिन घर के बाहर बैठी रही, तब आस पड़ोस वालों ने इकट्ठे होकर घर का दरवाजा खुलवाया। फिर   एक दिन गांव के ही एक व्यक्ति ने अपने पैसों की मांग की कि तुम्हारे पति ने शराब पीने के लिए मुझसे दस हजार रुपए मांगे थे अब ब्याज सहित पंद्रह हजार हो गए हैं। मैंने साल भर मेहनत मजदूरी करने के बाद उसके दस हजार रुपए चुकाए। परंतु ब्याज अभी भी बकाया था ।जब मैंने ब्याज माफी की याचना की उसने भी मेरे शरीर की मांग रख दी।

 ‘नीता सुनी खेती हर कोई चरना चाहता है’

कई बार मन होता आत्महत्या कर लूं और जिंदगी से छुटकारा पाऊ, परंतु तीनों बच्चों को देखकर, मुझे लगता ये किसके भरोसे रहेंगे ,इनको देखने वाला कोई भी नहीं है।’



समय के साथ मेरे घाव भरने लगे। जब उनकी मृत्यु हुई उस समय मेरी उम्र 26 वर्ष की थी। आज उन्हें मरे हुए 10 वर्ष हो गए। धीरे-धीरे जीवन सामान्य होने लगा।

कुछ दिन पश्चात भाई की शादी में मैं मायके गई।सभी नाच गा रहे थे ।

मुझसे भी मेरे परिवार वालों ने आग्रह किया, तुम भी नाचो।

उस दिन पहली बार मैंने नृत्य किया।

मेरा नृत्य देखकर एक लड़का मुझ पर मोहित हो गया वह दूर का रिश्तेदार था।   वह सबसे मेरे बारे में पूछने लगा

 उसने मुझसे कहा ,मुझसे शादी करोगी’,

मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो ।’

मैंने कहा, मैं तीन बच्चों की माॅं हूॅं।

वह मेरे शब्द सुनकर आश्चर्यचकित हो गया।

‘ अभी तो तुम्हारी उम्र शादी लायक है’

मैं  फिर भी  तुम से शादी करना चाहता हूॅं, तुम्हारा चेहरा मुझे रात को सोने नहीं देता, तुम हर समय मेरे दिमाग में छाई रहती हो।

कुमुद- मैं विधवा हूॅं ,और 3 बच्चों की मां हूॅं,16 वर्ष की उम्र में ही मेरा विवाह हो गया था।’

नीता वह पहला व्यक्ति था जिसने मेरे मन के सूने आंगन में प्रेम का फूल खिलाया। उसकी आंखों में मुझे सच्चा प्रेम दिखाई दे रहा था मैंने पहली बार प्रेम को महसूस किया था वह मेरे बच्चों को अपनाने के लिए भी तैयार था। और मुझसे शादी करना चाहता था। परंतु अपने बच्चों को देखकर और अपने अतीत को देखकर मैं उस पर विश्वास नहीं कर पा रही थी। मैंने उससे विवाह करने से मना कर दिया।



उसने मुझे उपहार स्वरूप एक रंगीन साड़ी दी और  पहनने का आग्रह किया। विवाह समारोह में  जैसे ही मैंने वह साड़ी पहनी, औरतें तरह-तरह की बातें बनाने लगी ,

‘अरे !तुम किसके लिए साज श्रृंगार कर रही हो, तुम्हारा पति तो मर चुका है ,यह सब तुम्हें शोभा नहीं देता।

उन्हें क्या पता मेरा पति जीवित होते हुए भी मेरे लिए मरे  समान ही था?

अनीता चेची,मौलिक रचना

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