तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई

कुछ ही दिन पहले मैं शादी करके दिल्ली आई थी. मेरा ससुराल दिल्ली में ही था मेरे पति का चांदनी चौक, दिल्ली मे दुकान था। मै शुरू से भगवान मे बहुत विश्वास करती हूं और बचपन से ही मैं सुबह नहाकर जब तक मंदिर में पूजा ना कर लूं।  मैं अपने पेट में एक अन्न का दाना भी ग्रहण नहीं करती और ससुराल आने के बाद भी मैंने यह क्रिया जारी रखा। ससुराल मे मैंने अपने सासू मां से पूछा कि हमारे घर के पास में कौन सा मंदिर है। मेरी सासू मां ने बताया हमारे घर की 3 गली छोड़कर मेन रोड पर ही दुर्गा मंदिर है।  वहां जा कर पूजा कर सकती हो। अब यह मेरा रोजाना का नित्य कर्म बन गया था।

कुछ दिनों के बाद मैंने यह गौर किया कि मंदिर की सीढ़ियों पर 7 या 8 साल की गोरी चिट्टी सी बच्ची रोजाना भीख मांगने के लिए बैठी रहती है। वैसे तो मैं मंदिर जाती थी तो पैसा लेकर नहीं जाती लेकिन जब से  मेरी नजर उस बच्ची पर पड़ी, मैं घर से रोजाना दस के नोट लेकर जाती थी और उस बच्ची को पकड़ा देती थी।  लेकिन ऐसे करते-करते 15 दिन से भी ज्यादा हो गया, मैंने सोचा कि एक दिन इस बच्ची से पूछूंगी कि आखिर इसके मां-बाप क्या करते हैं, जो छोटी सी बच्ची को पढ़ने लिखने के बजाय भीख मांगने के लिए मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा दिया है, 

 यह ठीक बात है कि मैं इस बच्ची की मदद कर देती हूं लेकिन इसके मां-बाप का भी तो फर्ज बनता है वह अपनी बेटी के लिए कुछ करें। एक दिन मैंने लड़की से पूछ ही लिया। तुम कहां रहती हो और भीख क्यों मांगती हो, तुम्हारे मां-बाप को तो कमाना चाहिए, अभी तो तुम्हारे पढ़ने की उम्र है।  




मुझे तुम्हारी मां से मिलना है, तुम कहां रहती हो मुझे ले चलो। बच्ची कुछ नहीं बोली और मेरा हाथ पकड़कर आगे आगे ले जाने लगी। मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर एक झुग्गी झोपड़ी कॉलोनी थी, वह बच्ची मुझे उस कॉलोनी के अंदर ले जाने लगी पहले तो मैं ठीठक गई  उस कॉलोनी के अंदर जाऊं या ना जाऊं।

लेकिन फिर मैंने सोचा जब यहां तक आई गई हूं तो अंदर भी चलती हूँ। वह बच्ची मुझे एक गंदी सी झोपड़ी के अंदर ले गई। जाने के बाद मैंने देखा कि एक महिला चारपाई पर सोई हुई है लड़की ने बताया कि यह मेरी मां हैं और कई दिनों से बीमार है मां को टीबी हो गया है। वह काम नहीं कर सकती है।

मैंने लड़की के मां से पूछा की ठीक है, तुम काम नहीं कर सकती हो लेकिन तुम्हारा पति क्या करता है, उसे तो कमाना चाहिए, इतनी प्यारी सी मासूम बच्ची को तुम लोगों ने मंदिर मे भीख मांगने के लिए छोड़ दिया है। जब बच्चे पालने की हिम्मत नहीं है तो तुम लोग बच्चे पैदा ही क्यों करते हो।

थोड़ी देर के बाद चारपाई पर सोई हुई महिला ने जवाब दिया, “मैडम जी रोशनी के पापा के मरे हुए 1 साल से भी ज्यादा हो गया है, बहुत शराब पीते थे इस वजह से उनका फेफड़ा पूरी तरह से सड़ गया था और उनकी मृत्यु हो गई। हमारे घर में वही इकलौता कमाने वाले थे उसके बाद मैं दूसरों के घर में जाकर झाड़ू पोछा करना शुरू कर दी फिर मेरी भी तबीयत खराब हो गई अब मेरी हिम्मत नहीं होती है कि मैं उठकर काम कर सकूँ, जैसे तैसे कर कर खाना बना लेती हूं।  आखिर मैडम जी पेट तो पालना ही है मैंने अपनी बेटी को बोला सुबह-सुबह मंदिर कि सीढ़ियों पर चली जा कुछ तो मिल ही जाएगा। जिससे हम दोनों मां बेटी का गुजारा हो जाएगा जैसे ही मैं ठीक हो जाऊंगी फिर मैं कमाने लग जाऊंगी।  सारा वाकया जानने के बाद मैंने कुछ नहीं कहा।  मैं वहां से सीधे अपने घर चली आई, घर आते ही सासु माँ दरवाजे पर ही खड़ी, मेरा इंतजार कर रही थी, क्योंकि मैं मंदिर जाती थी तो फोन भी घर पर छोड़कर जाती थी, सासु मां ने कहा, “बहू आज मंदिर से आते हुए, इतना देर क्यों हो गया? मैं तो परेशान हो गई थी कि रोज तो तुम 15 मिनट में ही वापस आ जाती हो, आज आधा घंटा से भी ज्यादा हो गया वापस नहीं लौटी क्या बात हो गई?  मैंने अपनी सासू मां को कुछ नहीं बताया बस इतना ही बोला बस माँ जी मंदिर में

आज भीड़ था तो देर हो गई। थोड़ी देर के बाद मैंने नाश्ता किया लेकिन रोशनी का चेहरा मेरी आंखों में झलक रहा था पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था उस लड़की से मेरा कोई रिश्ता जरूर है। कितना भी उसको भूलने की कोशिश करती थी लेकिन बार-बार उसका चेहरा मेरी आंखों के सामने आ जाता था। मन में बस यही सोच रही थी कि भगवान भी कितना अन्याय करता है इतनी सुंदर बच्ची को भीख मांगने की नौबत आ गई है। मैंने ठान लिया था कि मैं इस बच्ची के लिए जरूर कुछ करूंगी, इसे भीख तो बिल्कुल ही नहीं मांगने दूंगी। मेरे मन में कई सारे सवाल आ रहे थे कि मैं रोजाना मंदिर जाती हूं भगवान की पूजा-अर्चना करती हूं, उसका क्या फायदा? असली पूजा-अर्चना तो यह है एक मानव दूसरे मानव के काम आए? मैंने सोचा कि आज रात को जब मेरे पति घर आएंगे, उनसे बात करूंगी रोशनी की माँ को सरकारी हॉस्पिटल मे ले जाकर इलाज करवाऊंगी क्योंकि आजकल टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है,  अगर 6 महीने DOT का कोर्स किया जाए तो वह बिल्कुल ही ठीक हो जाता है। रोशनी को भी सरकारी स्कूल में नामांकन करवा दूंगी ताकि वह पढ़ सकें। मैंने अपने पास 10 हजार जमा करके रखे हुए थे मैंने सोचा सबसे पहले इस पैसे से दोनों मां बेटी की मदद करूंगी। उसके बाद सोचूंगी कैसे उनकी और मदद किया जाए।




रात को मैं और मेरे पति विनोद सोए हुए थे तो मैंने अपने पति विनोद से कहा, मुझे आपका  सपोर्ट चाहिए।  मेरे पति विनोद ने कहा, “पहले बताओ तो मैं तुम्हें किसी चीज में मना करता हूं जो मना करूंगा। मैंने अपने पति विनोद से उस बच्ची की सारी कहानी सुना दी और कहा कि मैं उनकी मदद करना चाहती हूं क्या आप मेरा साथ इस नेक कार्य में देंगे । मेरे पति ने कहा, “तुम उसकी माँ को  सरकारी हॉस्पिटल में लेते जाओ वहां पर मेरा दोस्त डॉक्टर है।  मैं उसको फोन कर दूंगा सही तरीके से इलाज करवा देगा। और रही बात रोशनी के नामांकन की मेरे एक और दोस्त का प्राइवेट स्कूल है और वह अपने स्कूल में 10 परसेंट बच्चों को फ्री में पढ़ाता है। जिनके मां बाप बिल्कुल ही गरीब हो। उसको भी मैं फोन कर दूंगा, तुम रोशनी को ले जाकर उसके स्कूल में एडमिशन करवा देना।” मेरे लिए तो जैसे सपने को सच होने जैसा है मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरे पति एक पल में ही  सारे समस्याओं का हल कर देंगे।

सुबह होते ही रोशनी की मां को मैं हॉस्पिटल लेकर गई। वहां पर मेरे पति ने फोन कर दिया था इसलिए मुझे वहां लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ी, सीधे मैं डॉक्टर से मिलकर रोशनी की मां को दवाई दिलाकर उसको उसके घर पहुंचा दिया और उसे बता दिया कि नियमित रूप से दवाई खाओगी तो  6 महीने मे ठीक हो जाओगी उसके बाद तुम हमारे घर काम करने आ जाना, क्योंकि हमारी जो बाई है उसकी शादी होने वाली है तो हमें कोई ना कोई बाई तो रखना ही है। शाम को हम जहां से अपने घर का राशन खरीदते थे वहां से मैंने रोशनी के मां के लिए 2 महीने का राशन खरीदवा कर भिजवा दिया।  

अगले दिन मैं रोशनी के नामांकन के लिए जब उसके घर लेने गई तो रोशनी की मां को 2 हजार रुपये भी दे दिया।  यह रखो हरी सब्जियां और जो तुम्हें जरूरत हो खरीदते रहना । अब मैं रोशनी को लेकर अपने पति के दोस्त के स्कूल में नामांकन करवाने के लिए लेकर चल दी और वहां  जाकर रोशनी का नामांकन करवा दिया।

स्कूल से रोशनी को घर पहुंचा कर मैं जैसे ही जाने लगी, रोशनी की मां ने मुझे आवाज दी, मैडम जी आपसे कुछ सवाल पूछना है।  मैंने बोला हां बोलो क्या पूछना चाहती हो। मैडम जी मैं आपसे यह पूछना चाहती हूं आप कौन हैं मुझे तो लगता है इंसान के रूप में आप कोई देवी है? 

आज के जमाने में कोई इंसान किसी दूसरे इंसान के लिए इतना कुछ करता है, न आप  कोई रिश्तेदार हैं और ना ही आपसे हमारा कोई जान पहचान भी है हमारे लिए इतना कुछ करती हैं। मैं जानना चाहती हूं  कि ऐसा आप क्यों करती है। मैंने रोशनी के मां को बता दिया कि सच बताऊं मैंने जब से तुम्हारी बेटी को देखा है, पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारी बेटी से मेरा कोई ना कोई रिश्ता तो जरूर है मैं उसकी तरफ खिंची चली आती हूँ  उसके लिए बहुत कुछ करने का मन करता है और मैं करूंगी। मैं बचपन से भगवान के मंदिर में पूजा करती आ रही हूं।  लेकिन मैं समझ गई हूं।  असली पूजा तो वह होती है जब आप मानव की पूजा करें जो मानव की ही पूजा नहीं कर पाए वह भगवान की पूजा क्या करेगा। थोड़ी देर बाद मैं अपने घर जैसे ही आई मेरी सास ने कहा, “मैं देख रही हूँ  बहू आजकल कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहती हो क्या बात है?” मैंने अपने सासू मां से कोई बात नहीं कह कर टाल दिया क्योंकि मुझे पता है अगर यह सब जानेंगी  तो मुझे इजाजत नहीं देंगी। धीरे-धीरे दवाई का असर हुआ और रोशनी की मां पूरी तरह से ठीक हो गई रोशनी भी अब स्कूल जाने लगी थी और अपने स्कूल में हमेशा फर्स्ट आने लगी थी। रोशनी की मां अब हमारे घर ही काम करती थी मैंने रोशनी की मां को बोल दिया था शाम और सुबह का खाना जब वह बनाएगी तो अपने और रोशनी के लिए भी यहीं पर बना लिया करेगी और चाहे तो वह यहां खा सकती हैं चाहे अपने घर पर ले जाकर खा सकती है उनकी मर्जी है




अब घर जाकर दोबारा खाना बनाने की जरूरत नहीं है। कुछ महीनो के बाद मैं भी मां बनने वाली थी जब यह बात रोशनी की मां को पता चला उसने तो बिल्कुल ही मुझे काम करने से मना कर दिया और वह मेरा  पूरे दिन देखभाल करती थी वो अब अपने घर भी जाना छोड़ दिया था

मेरी सासू मां ने भी उसको हमारे घर में ही रहने की इजाजत दे दी थी और वह हमारे घर के सदस्य की तरह  रहने लगी थी।  रोशनी भी  अब यही रहने लगी थी।  रोशनी की मां मुझे कोई काम नहीं करने देती थी वह कहती आपने हमारे लिए इतना कुछ किया है और आपकी बारी आई तो क्या हम इतना भी नहीं कर सकते।  आप भले हमारी मालकिन है लेकिन आपको अपनी छोटी बहन की तरह मानती हूं।  मैं रोशनी को पढ़ाई में हेल्प करवा दिया करती थी। एक दिन मैं बाथरूम से जैसे ही बाहर निकल रही थी मेरा पैर फिसला और धड़ाम से गिर पड़ी अचानक से मेरे पेट में बहुत तेज दर्द होना शुरू हो गया

सासु माँ ने जल्दी से मेरे पति को फोन करके बुलाया और मुझे हॉस्पिटल ले जाया गया। बाद में मुझे पता चला जख्म इतना गहरा था कि पेट मे ही मेरे बच्चे की मृत्यु हो चुकी थी।  यह सुनकर मैं सदमे में आ गई कई दिन तो मैं बेड से उठ ही नहीं पाई ,  मातृत्व का सुख दुनिया का एक ऐसा सुख होता है इसके आगे सारे सुखों का तिलांजलि दिया जा सकता है। धीरे-धीरे फिर सब कुछ नॉर्मल हो गया और मैंने अपने पति से कहा मैं मैं दुबारा से मां बनना चाहती हूं। जब भी मैं इस बात को अपने पति से कहती थी मेरे पति इस बात को टाल देते थे मुझे समझ नहीं आता था कि वह ऐसा क्यों करते हैं। जब मैं जिद करने लगी तो उन्होंने मुझे बताया कि अब मैं कभी मां नहीं बन सकती हूं। डॉक्टर ने बोला है कि अगर दोबारा मां बनने का रिस्क लोगे तो हम या तो माँ या बच्चे दोनों में से किसी एक को ही बचा पाएंगे।

मैं अब उदास रहने लगी थी यह दुनिया मेरे लिए वीरान हो गई थी ऐसा लगता था इस दुनिया में अब कोई रंग नहीं है सब बेरंग हो चुका है। रोशनी तो सिर्फ 12 साल की थी  लेकिन बातें बड़ी-बड़ी करती थी एक दिन वह मुझसे पूछने लगी।  आंटी आपसे एक बात पूछूं।

पता नहीं क्यों पहले वाली आंटी आप अब नहीं लगती हैं आप इतना उदास क्यों रहती हैं। मैंने रोशनी को अपने गले लगा लिया और रोशनी से पता नहीं क्यों मुझे सब कुछ शेयर करने का मन कर दिया। मैंने रोशनी को बता दिया मैं अब कभी मां नहीं बन सकती हूं इस दुनिया में एक औरत को मां कहने वाला न हो तो उस औरत का जीवन कोई जीवन नहीं होता है।अब कोई भी मुझे कभी मां नहीं कहेगा। रोशनी ने झट से बोला इसमें कौन सी बड़ी बात है मैं आपको माँ कह देती हूं। आखिर आप भी तो मेरी मां जैसी है, आपने मेरे लिए जितना किया है उतना तो कोई मां भी अपनी बेटी के लिए नहीं करती है, आपकी इजाजत हो तो आज से मैं आपको आंटी मां बुला सकती हूं। मैंने हां में सिर हिला दिया था और उस दिन से रोशनी मुझे आंटी माँ कहने लगी। धीरे धीरे मैं रोशनी में ही घुल मिल गई और मैं सच में उसे अपनी बेटी की तरह मानने लगी।  

मेरे सासु मां और मेरे पति भी जो मेरी हालत देख कर परेशान रहते थे वह भी अब खुश रहने लगे और सोचने लगे चलो इसी बहाने बहू कम से कम खुश  तो रहती है। मैंने रोशनी की मां से मजाक में बोल दिया की, “रोशनी की मां अब रोशनी तुम्हारी और मेरी दोनों की बेटी है और रोशनी की कन्यादान भी मैं ही करूंगी अगर तुम्हें ऐतराज ना हो तो।” रोशनी की मां बोली इसमें एतराज करने वाली क्या बात है मैडम जी मैं तो धन्य हो जाऊंगी अगर आप मेरी बेटी का कन्यादान करेंगे तो, मैंने रोशनी को जन्म दिया है लेकिन रोशनी को ज़िंदगी  तो आप ने दी है। अगर आप हमारे जीवन में नहीं आई होती तो क्या पता मैं कब का मर गई होती और मेरी रोशनी कैसे जी रही होती मुझे पता भी नहीं होता। मुझे बचपन से अपनी बेटी को पढ़ाने का बहुत शौक था लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था  मेरी जिंदगी में एक परी आएंगी और वह हमारी जिंदगी बदल देगी। वह परी आप हैं मैडम जी।




रोशनी पढ़ने में बहुत तेज थी तो मैंने अपने पति विनोद से कहा कि मैं रोशनी को बहुत पढ़ाना चाहती हूँ मैं उसे अच्छे प्राइवेट स्कूल में एडमिशन करवाना चाहती हूं क्योंकि रोशनी पढ़ कर बहुत कुछ कर सकती है।  मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते थे किसी चीज के लिए  लिए मना नहीं करते थे।

मैंने रोशनी का नामांकन एक बहुत अच्छे प्राइवेट स्कूल में करवा दिया। रोशनी अब हमारे घर की बेटी ही बन गई थी मेरी सासू मां भी उसे अपनी पोती की तरह प्यार करने लगी थी और मेरे पति भी बेटी की तरह प्यार करने लगे थे रोशनी की मां को भी हमने हमेशा के लिए अपने घर में ही रख लिया था।

रोशनी बड़ी होकर डॉक्टर बन गई थी।  उसने एक दिन मुझसे पूछा कि आंटी मां अगर आपकी इजाजत हो तो क्या हम अपने घर में ही एक चैरिटेबल क्लीनिक खोल सकते हैं इसमें आसपास के महिलाओं का मैं फ्री में इलाज करना चाहती हूं।  मैंने एक पल में ही इजाजत दे दिया था।

रोशनी जिस हॉस्पिटल में नौकरी करती थी वह उसी हॉस्पिटल में एक डॉक्टर रंजन नाम के लड़के से प्यार करती थी। उसने उस लड़के के बारे में अपनी मां से बताया तो  रोशनी की मां ने कहा कि मैं कुछ नहीं जानती हूं, जाकर तुम अपनी आंटी मां से बताओ अगर वह रंजन के लिए हां कर देगी तो मेरी तरफ से हाँ है।  

भले ही मैं तुम्हारी जन्म देने वाली मां हूं लेकिन असली मां का कर्तव्य तो मैडम जी ने ही निभाया है क्योंकि जन्म देने वाले से पालन पोषण करने वाला ज्यादा बड़ा होता है। रोशनी की मां ने रंजन के बारे में मुझे बताया तो मैंने बोला ठीक है, मैं जल्दी उस लड़के से मिलूंगी अगर मुझे लड़का ठीक लगा तो हम रोशनी की शादी कर देंगे।

रोशनी ने हमारा टाइटल भी अपने नाम के आगे लगा लिया था इस वजह से सब को यही लगता था कि रोशनी हमारी ही बेटी है रोशनी की शादी रंजन से तय  हो गई। शादी वाले दिन ही रंजन के मां बाप को पता चला कि रोशनी हमारी बेटी नहीं है बल्कि हमारी नौकरानी की बेटी है, हमने तो उसे बेटी जैसा पाला पोसा है।

रंजन की मां ने आकर हमसे कहा बहन जी आपने हमसे धोखा किया है, हमें पता होता कि रोशनी आप की नहीं आपकी नौकरानी की बेटी है तो हम कभी भी आपके घर रिश्ता नहीं  करते क्योंकि हमारा भी समाज मे इज्जत है नाम है हम क्या अपने बेटे की शादी एक नौकरानी की बेटी से करेंगे।

मुझे जब यह बात पता चला तो मैंने सोचा यह तो बहुत ही गड़बड़ हो गई अगर रोशनी की शादी टूट जाएगी तो! मैंने रंजन की मां को लाख समझाया भले ही रोशनी हमारी बेटी नहीं है हमने जन्म नहीं दिया है लेकिन हमने  इसे अपनी बेटी से भी बढ़कर पाला है उतना प्यार दिया जितना एक माँ अपनी बेटी को देती है।

रंजन की मां ने कहा तो क्या हो गया आखिर आपकी बेटी तो नहीं है। जब यह बात रंजन को पता चला तो वह अपनी माँ  पर बहुत गुस्सा हुआ। क्योंकि वह पहले से जानता था कि रोशनी हमारी बेटी नहीं है 

बल्कि उसने खुलेआम मंडप में ही घोषणा करके बताया कि मैं गर्व करता हूं रोशनी पर और रोशनी की आंटी मां पर, इन्होंने एक नौकरानी की बेटी को अपनी बेटी से भी बढ़कर पाला, अगर हमारे समाज में आंटी मां जैसे लोग हो जाए तो हमारा समाज कब का बदल जाएगा, यह जो आपस में अमीरी गरीबी का भेद है कब का खत्म हो जाएगा मैं गर्व करता हूं कि मैं एक ऐसी लड़की से शादी कर रहा हूं जिसकी एक नहीं दो-दो मां है। सारे मेहमानों ने इस बात पर तालियां बजाई और रोशनी की शादी हो गई। सुबह विदाई का समय आ गया था रोशनी की मां आकर मुझसे बोली मैडम जी चलिए आपकी बेटी का विदाई का समय आ गया है।

रोशनी जब विदा हो रही थी तो पता नहीं क्यूँ ऐसा लग रहा था कि मैं सिर्फ एक शरीर रह गई थी किसी ने मेरी आत्मा को निकाल लिया है।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!