तकदीर फूटना – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

आयुष एक होशियार इंजीनियर लड़का था | मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी खासी नौकरी छोड़कर खुद का स्टार्टअप शुरु किया | एक ऐप जो गांवो में किसानों को सीधे ग्राहकों को जोड़ता था | दोस्तों ने कहा- अरे यार ! तु पागल हो गया है कि इतना अच्छा पैकेज छोड़कर किस काम पर लग गया | लेकिन आयुष को अपने ऊपर भरोसा था |

शुरुआत के दिनों में कुछ निवेशक भी मिल गये | मीडिया में तारीफ भी होने लगी  उसने एक आफिस भी खोला | तीन लड़कों की टीम भी बनाई | दिन रात मेहनत करने लगे | मेहनत रंग लाने लगी |

अचानक एक निवेशक पीछे हट गया , धीरे धीरे बाकी भी हट गये | अगले महीने  ऐप के सर्वर  हैक हो गया | सारा डेटा भी चला गया और आयुष को पुलिस के चक्कर लगाने पड़े |

जैसे तैसे वो संभला ही था कि अचानक उसके पापा को दिल का दौरा पड़ गया | ईलाज में सारी जमा पूजीं भी चली गई  | आफिस का किराया न देने के कारण खाली कर दिया | 

एक समय ऐसा था कि उसे फ्यूचर बिज़नेस लीडर कहते थे | अब खुद ही कह रहा है मेरी तकदीर फूटी है | यह क ई चुनौतियों को दर्शाती है |

जहां सब कुछ होते हुए भी किस्मत साथ न दे तो उसको कहते हैं ” तकदीर फूटना ” आयुष के साथ भी ऐसा ही हुआ | वो खुद को टूटता हुआ महसूस करता है | 

सुदर्शन सचदेवा

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