रोहित एक होशियार इंजीनियर लड़का था | मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी खासी नौकरी छोड़कर उसने खुद का स्टार्टअप शुरु किया | एक ऐप जो गांवो में किसानों को सीधे ग्राहकों से जोड़ता था | दोस्तों ने कहा – पागल हो गया है क्या ? लेकिन रोहित को अपने ऊपर भरोसा था |
शुरुआत के दिनों में तो कुछ निवेशक मिले | मीडिया में तारीफ भी होने लगी | रोहित ने छोटा सा आफिस भी खोला | तीन लड़को की टीम बनाई | दिन रात मेहनत करने लगे |
अचानक एक निवेशक पीछे हट गया | उसके जाते ही बाकी भी चले गये | अगले महीने ऐप के सर्वर को हैक कर दिया और रोहित को पुलिस के चक्कर लगाने पड़े |
जैसे जैसे वो संभल ही रहा था , अचानक पापा को दिल का दौरा पड़ा और जमा पूंजी सब खर्च हो गई | एक दिन ऐसा आया कि आफिस का किराया भी नहीं निकल रहा था तो खाली कर दिया | खुद ही कह रहा था मेरी तो तकदीर फूटी है | ये क ई चूनौतियों को दर्शाती है |
चाहे कितनी भी प्लानिंग कर ले, जब किस्मत साथ छोड़ दे और इ़सान खुद को टूटता हुआ महसूस करता है तो कहता है कि मेरी तो तकदीर फूटी है |
सुदर्शन सचदेवा