” उमा ,
देखो कौन आए हैं ====”
रमेश जी घर में प्रवेश करते ही अपनी पत्नि को आवाज देते हैं ।
उमा जी पति की आवाज सुनकर जैसे ही किचन से बाहर निकलती हैं , सामने पति और उनके परम मित्र भुवनेश्वर जी को साथ देखकर बहुत खुश हुईं । एक अर्से के बाद भुवनेश्वर जी उनके घर पर आए हैं ।
एक वक्त था जब दोनों मित्र एक ही ऑफिस में कार्यरत थे और सीनियर रहते हुए भी भुवनेश्वर जी बहुत आत्मियता पूर्ण व्यवहार रखते थे रमेश बाबू से दोनों में गहरी मित्रता थी क्योंकि एक तो दोनों एक ही शहर बनारस के बाशिंदा थे और संयोग से दोनों की नौकरी भी एक ही ऑफिस में हो गई थी ।
फलतः दोनों की अच्छी पारिवारिक मित्रता हो गई थी और अक्सर तीज-त्यौहार में दोनों परिवार इकट्ठे होते थे और बड़ों के साथ-साथ बच्चों की भी खूब मस्ती होती थी ।
दोनों का परिवार भी बहुत सिमित था । रमेश जी के परिवार में दोनों पति – पत्नि के अलावा उनकी बड़ी बेटी तनु और उसका छोटी भाई बिट्टू था और भुवनेश्वर जी के परिवार में पति – पत्नि के अलावा उनके दो बेटे अजय और अभय थे ।
यह भी संयोग की बात थी कि अजय और तनु लगभग हमउम्र थे और छोटे बच्चे अर्थात बिट्टू और अभय भी लगभग हमउम्र ही थे ।
यही कारण था कि दोनों परिवार जब भी इकट्ठा होता तो बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी खूब एन्जॉय करते थे ।
चार वर्षों तक एक साथ रहने के पश्चात दोनों का अलग अलग जगहों में ट्रांसफर हो गया और इस तरह दोनों परिवारों में थोड़ी दूरी हो गई और समय के साथ-साथ वह दूरी बढ़ती गई लेकिन मन से दोनों की दोस्ती बरकरार रही और फोन से एक – दूसरे का हाल- चाल लेते रहते थे ।
उसी संदर्भ में पता चला था कि भुवनेश्वर जी का बड़ा बेटा अमेरिका चला गया है एम. बी. ए. की पढ़ाई के लिए और छोटा बेटा भी आस्ट्रेलिया में जाकर पढ़ाई कर रहा है ।
इधर रमेश जी की सुपुत्री तनु भी बी.बी.ए.की डिग्री लेने के बाद किसी प्राइवेट सेक्टर में जाॅब कर रही थी और बिट्टू अभी बी.सी.ए. फाइनल इयर में था ।
तनु के विवाह के लिए उसके माता – पिता कई जगह बात कर रहे थे लेकिन कहीं अभी तक बात बनी नहीं थी । हर जगह पैसे की
कमी आड़े आ जाती और बात बनते – बनते रह जा रही थी ।
उमा जी बार-बार अपने पति को याद दिलाती कि क्यूं नहीं एक बार भुवनेश्वर जी के बड़े बेटे अजय के साथ तनु की शादी की बात चलाई जाए लेकिन हर बार रमेश जी का यही कहना रहता कि ,
.’ कहां हम और कहां वे लोग !
जमीन-आसमान का फर्क है दोनों परिवारों में ।
उसपर अब तो अजय अमेरिका से लौटा है और अब बंगलौर में अपना बिजनेस स्टार्ट कर चुका है , अपना बंगला , गाड़ी सब ले चुका है तो फिर उसके सामने तनु के साथ विवाह का प्रस्ताव =====!
य तो ‘ मखमल में टाट का पैबंद ‘ वाली बात होगी ।
इसीलिए रमेश जी कभी वहां नहीं गए बेटी का रिश्ता लेकर ।
” भाई साहब आप !
आइए न, कितने अर्से के बाद आपके दर्शन हुए हैं ====।
भाभीजी और बच्चे कैसे हैं =====?”
अचानक पति के साथ भुवनेश्वर जी को देखकर उमा बेहद खुश हो गई । आखिर पुरानी दोस्ती जो थी उस परिवार से ।
“सब बहुत अच्छे हैं ।
यहां कुछ काम से.आना हुआ तो सोचा आपलोग से मिलता चलूं ।”
फिर इधर-उधर नज़र दौड़ाते हुए
” और =====
आपलोग सब कैसे हैं ?
बच्चों का क्या हाल ?
बच्चे दिखाई नहीं दे रहे हैं ?
कहीं बाहर गए हैं क्या ?”
भुवनेश्वर जी सोफा पर बैठते हुए बोले ।
” हां तनु तो बंगलोर में है ।
एक प्राइवेट सेक्टर में उसकी जाॅब लगी है ।
और बिट्टू अंदर कमरे में पढ़ाई कर रहा है । फाइनल इयर है ना !”
कहते हुए उमा जी किचन की ओर जाने लगीं कुछ जलपान की.व्यवस्था करने को ।
” भाभीजी, आप यहां बैठिए ।
मुझे सब पता है आपलोग के बारे में । मैं यहां तनु बिटिया का हाथ अपने बेटे अजय के लिए मांगने आया हूं ।
भुवनेश्वर जी बगैर किसी भूमिका के अपने आने का कारण बताए ।
” क् क् क्या !
क्या हम सही सुन रहे हैं ====!”
दोनों पति – पत्नि चौंक से गए । उन्हें अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ।
” क्या इसके लिए अजय बाबू तैयार हैं ?
क्योंकि वे तो चार वर्ष अमेरिका में बिताकर आए हैं । वे भला हमारी तनु से विवाह करने को क्यूं राजी होंगे ?”
रमेश जी अपनी आशंका जाहिर करते हैं ।
” अरे , अजय ने ही तो मुझे यहां भेजा है ।
वह बचपन से तनु बिटिया को पसंद करता था ।
अब अपना बिजनेस स्टार्ट करने के बाद वह आपकी बिटिया से मिला लेकिन अपनी पहचान छुपाकर और उसे वह इतनी पसंद आ गई है , विशेष रूप से तनु का व्यवहार और उसकी बिजनेस वाली सूझ-बूझ उसे इतनी पसंद आ गई कि वह तय कर लिया है कि विवाह करेगा तो बस तनु से ही ।और इसीलिए उसी ने मुझे यहां भेजा है ताकि आपलोग को भी इस बात के लिए राजी कर सकूं।
भुवनेश्वर जी की बातें सुनकर पति पत्नी दोनों बेहद खुश हुए ।
इस तरह शुभ मूहुर्त देखकर अजय और तनु.खुशी – खुशी परिणय सूत्र में बंध गए और
उनका शुभ विवाह सम्पन्न हो गया ।
सचमुच, सच्ची दोस्ती और अच्छी रिश्तेदारी संयोग से ही मिलती है ।
______
______
लेखिका :—-
प्रतिभा सिन्हा ।