शादी का सफल मंत्रा – डॉ पारुल अग्रवाल

आज ऑफिस में लंच टाइम में जब सोनाक्षी और उसकी दोस्त श्रेया मिले तो सोनाक्षी को श्रेया कुछ अनमनी सी लगी, वैसे तो वो सुबह से ही नोटिस कर रही थी कि श्रेया कुछ परेशान सी है पर आज काम भी कुछ ज्यादा ही था इसलिए दोनों को ही बात करने का समय नहीं मिला था। श्रेया इतनी परेशान थी कि ठीक से कुछ खा भी नहीं रही थी। सोनाक्षी के कुछ पूछते ही वो फूट-फूट कर रोने लगी। सोनाक्षी ने उसको पहले तो रोने दिया जिससे उसका मन हल्का हो जाए फिर थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुई तब पता चला कि श्रेया और उसके पति का काफ़ी झगड़ा हुआ।

 दरअसल उसकी ससुराल वालों खासकर उसकी सासू मां को लगता है कि वो ठीक से कोई भी काम नहीं करती। वो उनके हिसाब से खाना नहीं बना पाती और यहां तक की उनके नाती-रिश्तेदारों से भी ठीक से बात नहीं करती। श्रेया का रोना देखकर सोनाक्षी को भी बहुत बुरा लगा। वैसे भी अभी श्रेया की शादी को मुश्किल से चार महीने ही हुए थे। शुरू के एक महीने तो वो बहुत खुश थी बल्कि अपनी सास और अन्य घरवालों की बहुत तारीफ़ भी करती थी। अब ऐसा क्या हो गया कि उन लोगों को श्रेया में इतनी कमी नज़र आ रही है,बस यही बात सोनाक्षी को परेशान कर रही थी। उसकी इन बातों पर श्रेया ने कहा शादी के पहले महीने में उसकी सासूमां उससे बहुत प्रेम से बात करती थी और उसको हर बात में ये कहती थी कि वो उनसे कुछ ना छुपाए और उनको बिल्कुल अपनी मां की तरह समझे। वैसे भी श्रेया की मां का निधन बहुत पहले हो गया था इसलिए उसको लगा कि शायद सास के रूप में उसको मां मिल गई हैं। पर धीरे-धीरे उसने नोटिस किया कि जो भी बात वो अपनी सास को बताती है वो उसमें चार बात खुद से लगाकर उसके पति निशांत को बता देती हैं। 

जिससे उन दोनों के बीच झगड़ा हो जाता है।




ऐसे ही श्रेया ने जब उनको ये बोला कि अभी उसको खाना ठीक से बनाना नहीं आता तब तो उन्होनें प्यार से बोल दिया कि कोई बात नहीं धीरे-धीरे सब आ जायेगा। पर अगले दिन ही अपनी खाना बनाने वाली रसोइया को हटा दिया। अब उसे नौकरी, खाना और बाकी काम भी करने पड़ते हैं। उसे काम करने पर भी दिक्कत नहीं थी पर कोई भी काम गलत होने पर या खाना ठीक से ना बनने पर उसको खूब सुनाया जाता है। अगर गलती से वो ये कह दे कि नौकरी के साथ उसके लिए अभी शुरू में सब बहुत मुश्किल हो रहा है तो उसको ये कहा जाता है कि फिर नौकरी छोड़ दो। हमारे घर में कौन सी ऐसी कमी है जो तुम्हारी नौकरी की भी जरूरत पड़े। कुल मिलाकर श्रेया बहुत अवसाद से गुज़र रही थी। उसके मन में नौकरी छोड़ने का भी ख्याल आ रहा था क्योंकि ऐसा कोई भी दिन नहीं जाता था जब घर में उसकी किसी बात पर झगड़ा ना होता हो। अब तो बात-बात पर उसको मायके जाने या उसके पापा को बुलाकर उसकी सभी कमियां बताने की धमकी भी दी जाने लगी थीं।

अभी तक सोनाक्षी,श्रेया की सभी बातें ध्यान से सुन रही थी। अब उसने समझाते हुए श्रेया को कहा कि शुरू-शुरू में सबकी शादी में इस तरह की बात आती हैं पर धीरे-धीरे सब ठीक हो जाता है। वैसे भी हमारे समाज में ये कहा जाता है कि शादी सिर्फ दो व्यक्तियों के बीच नहीं होती बल्कि दो परिवारों के बीच होती है। रही सास की बात तो उनको शायद ये लगता है कि उनका पाला-पोसा लड़का उनको आज एक पराई लड़की को सौंपना पड़ रहा है तो कहीं ना कहीं नारी स्वभावजनित ईर्ष्या आ ही जाती है। उसकी ये बात सुनकर श्रेया के चेहरे पर भी मुस्कराहट आ गई। फिर सोनाक्षी ने श्रेया को ये भी कहा देख मेरी शादी तेरे से छः वर्ष पूर्व हुई है,मैं अपने अनुभव के आधार पर तेरे को एक बात कहना चाहती हूं कि कितनी भी बड़ी समस्या क्यों ना आ जाए पर नौकरी छोड़ने की बात मन में कभी मत लाना। 

कई बार यही नौकरी बुरे वक्त में हमारा संबल बनती है। जब हमनें इतनी मेहनत और पढ़ाई की है तो छोटी-छोटी बातों को क्या दिल से लगाना। जब नौकरी के चार पैसे हमारे खाते में आते हैं तो वो हमारा आधार ही मजबूत करते हैं। आज नहीं तो कल ये बात तेरे ससुराल वालों को भी समझ आ जायेगी। अभी तो तेरे को बाकी बातें छोड़कर पति के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाना चाहिए। अगर तुम दोनों का ये रिश्ता मजबूत हो गया तो बाकी सब तो अपनेआप ही गौण हो जायेगा। अब श्रेया को सोनाक्षी की ऐसी बात सुनकर बहुत हल्का लग रहा था। अब उसने मन ही मन ये निश्चय कर लिया था कि वो नौकरी छोड़ने की बात तो मन में लाएगी ही नहीं साथ-साथ अपने और पति निशांत के रिश्तों को बेहतर बनाएगी। दो दिन के बाद श्रेया ने सोनाक्षी को बताया कि वो अपने पति के साथ सप्ताहांत पर दो दिन के लिए घूमने जा रही है। ये सुनकर सोनाक्षी बहुत खुश हुई। श्रेया ने सोनाक्षी को ये भी कहा कि सबकी ज़िंदगी में उसके जैसी एक दोस्त जरूर होनी चाहिए जो सफल शादी का मंत्रा इतनी आसानी से समझा सके। उसकी बात सुनकर सोनाक्षी खिलखिलाकर हंस पड़ी और बोली बस कर पगली अब रुलाएगी क्या?

दोस्तों कैसी लगी मेरी हल्की फुल्की कहानी जिसको हम सभी ने किसी ना किसी रूप में शादी के बाद झेला होता है। मेरे को लगता है कि हर लड़की को आत्मनिर्भर तो होना ही चाहिए साथ ही साथ उसके ससुराल वालों को ये भी समझना चाहिए कि एक लड़की अपने मायके में बीस पच्चीस और आजकल तो उससे भी ज्यादा समय बिताकर ससुराल की देहरी पार करती है। ऐसे में उसको थोड़ा समय तो सामंजस्य बिठाने में लगेगा। बाकी नोकझोंक और तकरार तो ज़िंदगी का अभिन्न अंग है जो चलता ही रहेगा।

#मासिक_अप्रैल 

डॉ पारुल अग्रवाल,

नोएडा

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