सासु माँ को सिर्फ “माँ” बना कर तो देखो

जतिन और नेहा  दोनों एक ही कंपनी में साथ-साथ बैंगलोर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे.  दोनों ने लव मैरिज किया था. जतिन कितनी बार अपनी बीवी नेहा से अपने मां बाप को अपने साथ रखने के लिए बोला था, लेकिन नेहा यह कह कर टाल देती थी अभी रुक जाओ कुछ दिनों बाद बुला लेना.  जतिन को बहुत मन होता था अपने मम्मी-पापा के साथ रहने के लिए क्योंकि वह बचपन से ही हॉस्टल में पढ़ाई किया था और उसके बाद इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद सीधे नौकरी लग गई अपने मां बाप के साथ रहने के लिए उसको ज्यादा समय नहीं मिला था लेकिन वह नेहा की बातों से मन मसोसकर रह जाता था. 

1 दिन जतिन ऑफिस में काम कर रहा था तभी उसके गांव से फोन आया और किसी ने बताया कि तुम्हारे पापा का देहांत हो चुका है तुम्हारे  भैया को भी खबर कर दिया गया है. जितना जल्दी हो सके गांव आ जाओ हम लोग इंतजार करेंगे तुम दोनों भाई का, जब आज आओगे तभी तुम्हारे पिताजी का दाह संस्कार किया जाएगा.

 अपने पिताजी के मृत्यु का खबर सुन जतिन फफक कर रोने लगा.  ऑफिस के बालकनी में जाकर खूब रोया. आज आपने आप पर उसे पश्चाताप हो रहा था कब से वह अपने पापा को अपने साथ रखने को सोच रहा था लेकिन वह रख नहीं पाया और पापा भी इस दुनिया से चले गए कितना अभागा  है. उसके पिता ने उसे आज अपनी मेहनत के बलबूते यहां तक पहुंचाया, उस पिता को अपने साथ भी नहीं रख सका.



  जतिन उसी समय नेहा को यह बात बताया और ऑफिस में अर्जेंट छुट्टी के लिए अप्लाई कर दिया क्योंकि उसे आज शाम को ही फ्लाइट से लखनऊ के लिए निकलना होगा क्योंकि लखनऊ से एक घंटा दूर उसका गांव था. 

 शाम के फ्लाइट से जतिन अपने परिवार के साथ गांव पहुंच चुका था जतिन के बड़े भाई लखनऊ में ही रहते थे तो वह पहले से ही आ चुके थे. 

पिता का  तेरहवी करने के बाद अब सबके मन में एक ही सवाल था किअब  पिताजी तो रहे नहीं मां किसके साथ रहेगी, दोनों भाई आपस में यही डिस्कस कर रहे थे. 

 फिर दोनों में यही फैसला हुआ 6-6 महीने दोनों मां को अपने पास रखेंगे.  दोनों भाई अपने मां के पास गए और मां से बोले मां अब पिताजी तो रहे नहीं, अब तुम यहां अकेले रह कर क्या करोगी तुम बताओ किसके साथ रहना पसंद करोगी.  

जतिन की मां ने कहा देखो बेटा मैं अभी कहीं नहीं जाने वाली, मैं अभी तो बूढी हूं नहीं  और क्या अभी से यह घर में ताला बंद हो जाएगा और तुम्हें तो पता है कि मुझे शहर में मन नहीं लगता है तुम दोनों लोग जाओ मैं यहां अकेले रह लुंगी और बाकी  तुम्हारे चाचा लोग तो है ही और गांव के लोग भी हैं अगर मुझे कोई दिक्कत होगा तो मैं जरूर तुम लोगों के पास रहने आ जाऊंगी. 

वैसे जतिन का तो मन था कि माँ उसके साथ रहे लेकिन नेहा के डर की वजह से वह खुलकर कह नहीं सकता था.  फिर क्या था दोनों भाई वापस अपने शहर वाले घर में लौट गए,



सब अपनी अपनी जिंदगी में मशगूल हो गए. 

संडे का दिन था जतिन और नेहा अपने बच्चों के साथ कहीं घूमने जाने का प्लान बना रहे थे तभी जतिन के फोन पर उसके चाचा का फोन आया और उन्होंने बताया कि बेटा तुम्हारा   घर बारिश की वजह से बिल्कुल ही ढह गया है. अभी तो भौजी हमारे साथ ही हैं लेकिन अब उस घर में रहने लायक नहीं है मैंने तुम्हारे बड़े भाई भाई को भी फोन कर दिया है अब तुम दोनों देख लो कि भौजी को कौन अपने साथ रखेगा. 

जतिन ने जैसे ही फोन काटा नेहा ने बोला किसका फोन था जतिन ने बताया कि गांव वाला घर बरसात ढह में चुका है मां अभी चाचा के घर रह रही है अब तो मां को अपने साथ रखना ही होगा. 

 नेहा ने कहा रखना ही होगा का क्या मतलब है बड़े भैया वही पास लखनऊ में ही रहते हैं मां जी वही रह लेंगी  पहले ही तय हुआ ही था कि 6 महीना आपके पास और 6 महीना उनके साथ रहेंगी. बड़े बड़े भैया अपने पास रख लेंगे उसके बाद हम अपने पास 6 महीना रख लेंगे. 

 जतिन ने कहा रुको मैं बड़े भैया से बात करता हूं.  जतिन ने अपने बड़े भाई को फोन लगाया और गांव वाले घटना के बारे में बताया जतिन के बड़े भैया ने कहा आज जतिन मुझे पता चला है चाचा ने फोन किया था मैं भी तुम्हें फोन करने वाला था देखो ऐसा है अभी तुम 6 महीने मां को अपने पास रख लो क्योंकि बच्चों के इस साल बोर्ड के एग्जाम होने वाले हैं और हमारे घर में तुम्हें तो पता ही है दो ही कमरे हैं एक घर में तो बच्चे ही रहते हैं जब तक मैं आगे एक छोटा सा कमरा बनवा दूंगा तब तक मां को तुम अपने पास ही रख लो.  तुम्हारे बच्चे तो अभी छोटे हैं और वह तुम्हारे साथ ही सोते हैं. 



जतिन ने जैसे ही फोन रखा नेहा ने कहा, “क्या कहा भैया ने”  जतिन अपने फोन पर हुई सारी बात नेहा को बता दी नेहा ने कहा यह क्यों नहीं कहते कि उनको रखने का मन नहीं है मां जी उनके बच्चों के साथ रह जाएंगी तो क्या डिस्टर्ब हो जाएगा रखने का नहीं मन है तो हजार बहाने हैं उनको यह भी तो समझना चाहिए कि वह तो पास नहीं रहते हैं हमें मां जी को जाकर लाना पड़ेगा जब तक तो वह मां जी को अपने पास रखते. 

 जतिन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वह क्या करें ना करें वह अपने फैमिली के साथ घूमने तो चलाया लेकिन उसका मन घूमने में नहीं लग रहा था वह बार-बार यही सोच रहा था कि हमें अपने बेटे होने पर शर्म होनी चाहिए मां हमारी, दर-दर की ठोकरे खा रही है किसी दूसरे के यहां हैं और उस मां के दो बेटे होते हुए भी अपने पास नहीं रख सकते हैं ऐसा बेटा होने का क्या फायदा.  

लेकिन वह सिर्फ मन में सोच ही सकता था नेहा के आगे जतिन की एक भी नहीं चलती थी.  जतिन को इतनी हिम्मत नहीं थी नेहा से अपनी मां को अपने साथ रखने के लिए कह सके. 

लेकिन इस बार जतिन को ना जाने कहां से हिम्मत आया और उसने कहा नेहा मैं कल ही चला जाता हूं गांव और मां को लेकर आता हूं गांव वाले क्या सोचेंगे कि दो दो बेटे इतने अच्छे नौकरी करते हैं फिर भी उनकी मां ऐसे दर-दर भटक रही है. 



 नेहा ने कहा देखो जतिन तुम्हें तो पता ही है कि अगले सप्ताह मेरे मम्मी पापा आने वाले हैं, अब अगर मम्मी-पापा यहां आ जाएंगे तो बोलो कहां रहेंगे जब मेरे मम्मी-पापा यहां से चले जाएंगे तब तुम अपने मम्मी को यहां बुला लेना तब तक भैया को कर दो वह अपने पास रख ले या गांव में चाचा जी के पास ही कुछ दिन रहने दे. 

  जतिन की नेहा के आगे एक भी नहीं चलती थी.  वह अपने आप को बिल्कुल लाचार और बेबस महसूस कर रहा था. 

शाम को जतिन के ससुर का फोन आया कि जतिन बेटे तुम्हारे सासु मां  सीढ़ियों से फिसल कर गिर गई हैं और उनको काफी चोट आ गया है इसलिए हम लोग अब फिर कभी आएंगे.  जतिन ने सोचा चलो या अच्छा ही हुआ अब मां को अपने पास बुला सकते हैं. 

जतिन ने जैसे ही नेहा को यह सब बताया नेहा ने सबसे पहले तो अपनी मां के पास फोन करके हालचाल पूछा और जतिन को बोला अभी तुम रुको मैं बताती हूं. 

 अगले दिन नौकरानी ने अगले सप्ताह से छुट्टी पर जाने के लिए कहा उसने बोला कि वह गांव जा रही है  1 महीने बाद ही अब वापस आएगी. नेहा को यह सुनकर तोते ही उड़ गए 1 महीने कैसे घर को संभालेगी ऊपर से नौकरी भी जाना होता है और पूरे दिन बच्चों को कौन देखभाल करेगा. नौकरानी पूरे दिन घर में रहती थी जब तक यह लोग और शाम को वापस घर नहीं आ जाते थे. 

 नेहा को जब कुछ रास्ता नहीं दिखाई दिया तो उसने जतिन से कहा ऐसा करते हैं जतिन मां को हम लोग यहीं बुला लेते हैं क्योंकि नौकरानी भी 1 महीने के लिए छुट्टी में जाने वाली है और फिर बच्चों को देखभाल करने के लिए भी घर में कोई नहीं है मां रहेंगी तो कम से कम बच्चों पर देखभाल तो करेंगी. 



 जतिन ने कहा  तुम्हारा क्या मतलब है कि माँ  यहां नौकरानी की तरह रहेगी. 

 नेहा ने कहा कैसी बात करते हो जतिन मैंने यह तो नहीं कहा कि माँ नौकरानी की तरह रहेगी,  कम से कम बच्चों की देखभाल तो कर ही सकती हैं एक साथ ही नाश्ता और लंच बना कर ऑफिस चली जाऊंगी माँ जी दोपहर में खाना खिला देंगी और शाम को मैं जब मै ऑफिस से आऊंगी तो खाना बनाई दिया करूंगी इसमें नौकरानी वाली क्या बात है. 

 अगर माँ जी घर पर रहेंगी तो मैं भी आराम से नौकरी जा सकूंगी नहीं तो बच्चों को घर में ताला बंद करके जाना पड़ेगा और उसकी टेंशन अलग से लगी रहेगी. 

जतिन ने अपने चाचा के लड़के को फोन कर कर कहा कि तुम्हारा मैं ट्रेन में टिकट रिजर्वेशन करवा देता हूं मां को तुम बेंगलुरु पहुंच  जाओ और फिर मैं इधर से जाने का भी टिकट बना दूंगा. जतिन के चाचा के लड़के ने जतिन की मां को बंगलोर पहुंचा दिया था. 

जतिन की मां भी बच्चों के साथ धीरे धीरे घुल मिल गई. कौन दादी नहीं चाहती है कि वह अपने पोते पोतियो के साथ खेले और वो तो बहुत पहले चाहती थी अपने बेटो रहे लेकिन जतिन की पापा की वजह से कहीं जा नहीं पाती थी. 

 जतिन अपने मां को अम्मा कहता था इसलिए जतिन के बच्चे भी जतिन की मां को अम्मा कहने लगे. 

धीरे धीरे जतिन की माँ ने पुरे घर अच्छी तरह से संभाल लिया था.  अगले महीने जब नौकरानी आई तो जतिन की मां ने कहा. बहु नौकरानी की क्या जरूरत है इतना घर में काम तो होता नहीं है एक नौकरानी चाहिए. पहले जब मैं नहीं थी तो चलो बच्चों के देखभाल के लिए नौकरानी जरूरी थी लेकिन अब तो मैं आ गई हूं. 



 नेहा ने कहा नहीं माँ जी कोई बात नहीं अब पूरे दिन नहीं रहेगी सुबह शाम घर का काम तो कम से कम कर दिया करेगी. मैं भी ऑफिस से आ कर थक जाती हूं.  नेहा की सास ने कहा हां यह ठीक रहेगा सुबह-शाम सिर्फ आ जाएगी. 

जब से नेहा की सास यहां पर आई हैं तब से नेहा को बेफिक्र होकर अपनी नौकरी करने लगी. उसे अब अपने बच्चों को भी चिंता नहीं होती थी पहले तो सोचे थे  कि 6 महीने बाद भैया के घर भेज दिया जाएगा. लेकिन कब 1 साल बीत गया इन्हें पता ही नहीं चला और जतिन का भैया का भी जतिन के पास फोन आता था कि जब चाहो तो मां को मेरे पास भेज सकते हो तो जतिन बोला भैया अभी रहने दो माँ यहां पर सही तो है और यहां उसका मन भी लग रहा है. अब आपके पास रहे या मेरे पास बात एक ही है.

 अब तो सुबह-सुबह जतिन की माँ ही दोनों बच्चों को उठाती, तैयार करती और स्कूल बस तक भी छोड़ने जाती.  बिल्कुल एक सीरियस गार्जियन की तरह नौकरानी से भी घर का सारा काम करवाती थी. रसोई का तो वह खास करके ध्यान रखने लगी थी और दोपहर में बच्चों के स्कूल आने के पहले ही रोज नए नए अच्छे स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन तैयार कर देती थी. 

 अब तो नेहा भी हैरान हो गई थी उसके बच्चे दिनभर चिप्स और बर्गर पिज्जा के अलावा कुछ खाते ही नहीं थे लेकिन जब से उसकी सास आई है वह घर के बनाए हुए खाने भी खुशी-खुशी खाने लगे थे. 

 जतिन के बच्चे अपने दादी मां से जुड़ गए  थे उनको तो अब टीवी देखने में भी मन नहीं लगता था वह तो अपने दादी मां से राजा और रानी की कहानियां सुना करते थे. अब अपने टाइम से ही खाना पीना भी कर लेते थे और होमवर्क भी टाइम से निपटा कर अपने दादी मां के साथ ही सो जाते थे. 



 दादी मां अपने प्रेरक कहानियों द्वारा बच्चों के मानसिक विकास कर रही थी और उनमें अपने संस्कार भी भर रही थी.  जो बच्चे दिनभर टीवी देखने और मोबाइल में गेम खेलने में बिजी रहते थे अब अपने दादी मां के साथ शाम को पार्क भी जाने लगे थे.  दादी मां और बच्चे क्रिकेट भी खेलते थे और दादी मां भी एक अच्छे क्रिकेट प्लेयर की तरह बच्चों के साथ खेलती थी. 

नेहा अपने बच्चों के इस तरह के परिवर्तन से बहुत ही हर्षित थी. क्योंकि नेहा और जतिन को इतना भी समय नहीं होता था कि वह अपने बच्चों के साथ बैठकर कुछ समय बिता पाते. 

 पहली बार नेहा ने यह एहसास हुआ, घर में किसी बड़े बुजुर्ग की उपस्थिति कितना जरूरी होता है.  दादी का प्यार उनके बच्चों पर कितना सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है उनके बच्चे तो शुरू से ही इस सुख से वंचित रहे हैं क्योंकि जन्म भी बेंगलुरु में ही हुआ है और कभी-कभार ही गांव में जाने का मौका मिल रहा था गर्मी की छुट्टियों में भी अपने दादी के घर जाने के बजाय कहीं घूमने चले जाते थे. 

आज जतिन और नेहा का शादी का सालगिरह था सब ने यही सोचा था कि शाम को ऑफिस से आने के बाद सब घर वाले मिलकर किसी रेस्टोरेंट में जाकर पार्टी करेंगे.  लेकिन शाम को जब नेहा और जतिन घर में प्रवेश किए तो देखा कि घर को बच्चों और दादी ने मिलकर गुब्बारों और झालरों से सजा दिया था.



  नेहा की सास ने  जतिन और नेहा की मनपसंद खाना और केक बनाया हुआ था सरप्राइज मैरिज एनिवर्सरी के लिए बच्चों  के उत्साह और जतिन के मां का प्यार देखकर नेहा की आंखों में आंसू आ गए थे. 

जतिन और नेहा सबसे पहले जाकर अपने मां के पैर छुए और जतिन और नेहा के बच्चे अपने मां के गले आकर लग गए.  बच्चों ने सिर्फ इतना ही कहा मम्मी-पापा आपको यह हमारी और दादी का सरप्राइज़ कैसा लगा. 

 बहुत अच्छा, इतना अच्छा, इतना अच्छा, कोई रेस्टोरेंट में भी जाते तो को इतना खुशी नहीं मिलती जितना खुशी तुम लोगों के इस सरप्राइज से मिला है. 

 नेहा की आंखों में आज पहली बार अपने सासु मां के लिए मां जैसा प्यार छलक रहा था.  वह तो अपने सासू मां से लिपट कर ऐसे रो रही थी ऐसे रो रही थी जैसे कल ही उसको छोड़ कर चली जाएगी.

 नेहा के सासु माँ  ने अपने साड़ी का पल्लू नेहा को पकड़ाते हुए कहा, चलो चुप हो जाओ, और चलो चल कर केक काटते हैं.  

नेहा ने जतिन से उसी समय कहा मम्मी कहीं नहीं जाएगी मम्मी पूरी जिंदगी हमारे साथ ही रहेंगी अगर इनका मन किया तो भैया के पास जाएं लेकिन हम इनको कभी नहीं भेजेंगे.

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