बहुत पुरानी बात है, शिवपुर का राजा हर सुबह अपने प्रजा का हालचाल जानने के लिए अपने मंत्रियों और सैनिकों के साथ निकलता था. 1 दिन देखा सड़क के किनारे एक आदमी सब्जी बेच रहा था सब्जी वाले से राजा ने पूछा भाई सब कुछ ठीक है ना, तुम्हें हमारे राज्य में कोई दिक्कत तो नहीं है कोई दुख तो नहीं है. हां महाराज मुझे कोई दिक्कत नहीं है. राजा ने उत्सुकता पूर्वक उस सब्जिवाले से पूछा भाई तुम एक दिन में कितने कमा लेते हो.
सब्जी वाले ने जवाब दिया महाराज मैं 1 दिन में चार आने कमा लेता हूं.
राजा ने फिर पूछा क्या तुम्हारा खर्चा चार आने में चल जाता है. जी महाराज सब्जी वाले ने जवाब दिया.
‘एक मेरे लिए, एक आभार के लिए, एक मैं लौटाता हूं और एक उधार पर लगाता हूं।’
राजा सब्जी वाले का जवाब सुनकर चकरा गया वह समझ नहीं पा रहा था सब्जी वाले क्या कहना चाह रहा है.
राजा ने सब्जी वाले से कहा तुम साफ-साफ शब्दों में कहो. सब्जी वाले ने कहा महाराज जो मैं 4 आना कमाता हूं, उसमें से मैं एक आना अपने ऊपर खर्च करता हूं और एक आना अपनी पत्नी को देता हूं घर के खर्चे चलाने के लिए और एक आना जो मेरे बड़े बुजुर्ग मेरे ऊपर खर्च किए हैं मुझे बड़ा करने में उनका ऋण चुकाने में खर्च करता हूं और एक आने मैं उधार देता हूं यानी अपने बच्चों में खर्च करता हूं ताकि मैं जब बुढ़ा हो जाऊं तो वह मुझे यह पैसे वापस कर सकें. राजा सब्जी वाले का जवाब सुनकर बहुत प्रसन्न हुए.
तुमने कितनी अच्छी पहेली बुझाया भाई लेकिन इसका उत्तर तुम राज ही रखना जब तक कि तुम मेरा सौ बार चेहरा ना देख सको. सब्जी वाला बोला ठीक है महाराज आपकी जैसी इच्छा. आप जब कहेंगे तभी मैं इसका उत्तर किसी को बताऊंगा.
यहां से लौटने के बाद राजा अपने दरबार में अपने दरबारियों से यह पहेली बुझाया.
‘एक मेरे लिए, एक आभार के लिए, एक मैं लौटाता हूं और एक उधार पर लगाता हूं।’
सारे दरबारियों ने सोचा लेकिन कोई भी इसका उपयुक्त जवाब नहीं दे पाया तब जाकर राजा ने कहां की जो मुझे इसका जवाब बता देगा. उसे मैं एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दान में दूंगा.
राजा का एक मंत्री ने कहा महाराज मुझे सिर्फ 24 घंटे का समय दिया जाए मैं इस पहेली को सुलझा दूंगा.
मंत्री ने बहुत सारे लोगों से इस पहेली को उत्तर पूछा, लेकिन कोई भी इसको समझा नहीं पाया.
मंत्री जी को लग रहा था कि वह इस पहेली का हल नहीं सुलझा पाएंगे वह परेशान होकर चले जा रहे थे, तभी सब्जीवाला उनको देखकर प्रणाम किया और बोला मंत्री जी आप उदास क्यों लग रहे हैं. मंत्री जी ने पूछा क्या कहे भाई बड़ा मुश्किल में हूं राजा ने एक पहेली बुझाया है और उन्होंने बोला है अगर इसका उत्तर 24 घंटे के अंदर नहीं दिया तो वह मुझे मंत्री पद से हटा देंगे.
सब्जी वाले ने कहा मंत्री जी क्या आप एक बार मुझे वह पहेली सुनाएंगे क्या पता मैं आपकी मदद कर पाऊं मंत्री जी ने कहा, “भाई तू क्या मेरी मदद कर पाओगे.”
सब्जी वाले को जिद करने पर मंत्री जी ने उसे पहेली सुना दी. सब्जी वाले ने कहा मंत्री जी मैं इसका सही उत्तर बता सकता हूं लेकिन इसके बदले मैं आपसे 100 स्वर्ण मुद्राएं लूंगा. मंत्री जी ने सोचा कि मुझे तो इसके बदले एक हजार स्वर्ण मुद्राएं मिलेगा अगर इसको सौ मुद्राएं दे भी दूंगा तो मेरे पास 900 स्वर्ण मुद्राएं फिर भी बच जाएंगी उसने हां कह दिया.
सब्जी वाले ने कहा ठीक है मुझे 100 स्वर्ण मुद्राएं दिया जाए. सब्जी वाले ने सिक्के के ऊपर राजा के जो चित्र बना हुआ था. उसको सौ बार बारी-बारी से देखा. इसके बाद मंत्री जी को उत्तर बता दिया और बोला आप जाईये राजा को इसका उत्तर बता दीजिए. यही इसका सही उत्तर है.
मंत्री जी उसी दिन दरबार में जाकर इसका उत्तर राजा को बता दिया राजा समझ गए. सब्जी वालों ने जरूर धोखा दिया है मैंने उसको वादा दिया था. वह जब तक मेरा सौ बार चेहरा नहीं देख लेगा वह किसी को भी इसका उत्तर नहीं बताएगा लग रहा है लालच में आकर उसने उत्तर दे दिया है.
राजा उसी समय सब्जी वाले के पास गए और कहा तुम्हें सजा मिलेगी तुमने मेरा चेहरा बिना सौ बार देखे ही इसका उत्तर बताया है.
सब्जी वाले ने कहा महाराज मैंने कोई गलती नहीं की है. हमारी तो बात यही हुई थी जब तक मैं 100 बार आपका चेहरा ना देख लूं मैं किसी को यह राज नहीं बताऊंगा मैंने तो अलग-अलग सिक्के में आपका चेहरा देख लिया है तभी यह राज बताया है मैं कहीं से भी गलत नहीं हूं अगर फिर भी आपको लगता है तो आप मुझे सजा दे सकते हैं.
राजा ने सब्जी वाले के बुद्धिमता को देखकर 1000 स्वर्ण मुद्राएं उसे भी दान दिया और अपने दरबार में नौकरी पर रख लिया. राजा जब कोई परेशानी में होते थे या किसी समस्या का हल उन्हें समझ नहीं आता था तब सब्जी वाले से इसका हल पूछते थे और सब्जी वाला उसका बिल्कुल ही सही और सटीक उत्तर बताता था.