समझौता – अनिता मंदिलवार “सपना” : Moral Stories in Hindi

 राधा, किस सोच में डूबी हो, कहते हुए सुधीर अंकल कब उसके केबिन में आ गये उसे पता ही नहीं चला ।

    जी अंकल, कहिए  । आप कब आए ?

     राधा, तुम इतनी उदास क्यों रहती हो । बताओ क्या बात है? कुछ दिनों से देख  रहा हूँ । किसी से बातचीत नहीं करती । अकेली ही कुछ सोचती रहती हो ।

     अंकल, आपको तो सब मालूम है पापा के जाने के बाद आप ही तो हैं जिनके हाथ मेरे सर पर है । आपने अपने दफ्तर में नौकरी दिला दिया जिससे मेरा मन लगा रहे और आर्थिक मदद भी हो जाए । मै तो कहीं गुम सी गयी थी । अपने आप को असहाय महसूस करती थी । आप फरिश्ता बनकर मेरे जीवन में आए ।

इस मतलबी दुनिया में जहा अकेली लड़की का फायदा हर कोई उठाना चाहता है । आपने आकर मेरा साथ दिया । आपने यह भी न सोचा दुनिया क्या कहेगी ।

    राधा, अपने काम पर ध्यान दो और यह सब कहते कहते सुधीर अंकल राधा के माथे पर हाथ फेरने लगे ।

   राधा ने सोचा कि अच्छा है पिता डी नहीं हैं तो अंकल का आशीर्वाद हमारे साथ है । ईश्वर ने इन्हें मेरे लिए भेज दिया है सहायता करने के लिए । वह इससे अधिक कुछ नहीं सोच पायी ।

    इसी तरह सहानुभूति के बहाने सुधीर अंकल आए दिन उसके आस पास मँडराने लगे । बहुत ज्यादा ही हो रहा था । पर राधा ये सब नहीं देख पा रही थी । क्योकि वह सुधीर अंकल को पापा के दोस्त होने के नाते बहुत अच्छा इंसान समझती थी । वह उसी दायरा में ही सोच पा रही थी । 

  अंकल आप मेरी फिक्र छोड़िए।  मैं अब बिल्कुल ठीक हूँ । अपना ध्यान रख सकती हूँ । आप अपना काम और घर परिवार पर ध्यान दीजिए । मेरे कारण आप का समय बहुत बर्बाद हो रहा है । और अब समीर भी वापस आ गया है जिससे मेरी शादी पापा करना चाहते थे ।

     अच्छा, लेकिन राधा समीर से ज्यादा मिलने की जरूरत नहीं है । पता नहीं कैसा इंसान है । तुम तो ज्यादा नहीं जानती न ।

   पर अंकल , पापा उसे अच्छे से जानते थे । उनके बचपन के दोस्त का बेटा है । मेरे लिए तो पापा ने बेहतर ही सोचा होगा । 

    हाँ, पर मुझे ज्यादा यकीन नहीं है । तुम अपने से दूर ही रखो । मेरा तो यही मानना है । 

    आप कैसे समीर के लिए गलत राय बना सकते हैं । आप मिले हैं क्या उससे कभी ?

    उस दिन देखा था जब तुम्हें आफिस छोड़ने आया था और कैसे तुम्हे देख रहा था । मुझे तो उसकी नजर अच्छी नहीं लगी ।

   अंकल आप चिंता न करिए । मैं कोई बच्ची नहीं हूँ । अपना भला बुरा सोच सकती हूँ । आप मुझे बच्ची समझते हैं इसलिए इतनी केयर करते हैं । समीर पर भरोसा है मुझे । उसने कभी मुझसे कोई गलत बात नहीं की है । 

   राधा, तू बहुत भोली है  इसलिए मुझे तेरी चिंता है ।

बड़े शहर में रहने वाला लड़का किस तरह का होगा ।आए दिन न्यूज में आता रहता है । आजकल के लड़के कैसे होते हैं । 

      देखते हैं अंकल । बाकी अभी तक सब ठीक लग रहा है ।

      सुधीर चाहकर भी समीर के लिए राधा के दिल में कड़वाहट नहीं ला पा रहा था । बहुत ही गलत गलत विचार राधा के सामने रखने पर भी राधा का मन टस से मस नहीं हुआ कि वह समीर को गलत समझे ।

     न जाने यह लड़की किस मिट्टी की बनी है । अपने बाप पर गयी है पूरा तरीके से । उसे भी कुछ मनवाना बहुत मुश्किल होता था । क्या करूँ ? समझ नहीं आ रहा है । समीर को दूर करना पड़ेगा राधा की जिंदगी से वरना मेरा काम गड़बड़ हो जाएगा । क्या करूँ ।

    अगले दिन रोती हुई राधा सुधीर के पास आती है ।

अंकल समीर फोन नहीं उठा रहा । पता नहीं क्या हुआ । बहुत देर से कोशिश कर रही हूँ ।

    देख  राधा मैने तो तुम्हें पहले ही आगाह किया था । 

भाग गया होगा । तुम्हारे साथ कुछ किया तो नहीं उसने?

     अंकल आप क्या कह रहे हैं ।

      तू इतना परेशान क्यूँ हो रही है फिर । देख तेरे पिता मेरे अच्छे दोस्त थे । कहते कहते सुधीर अंकल राधा के बहुत करीब पहुँच चुके थे और राधा ने उनकी ऊँगलियों की हरकत अपने पीठ पर महसूस की ।

   अंकल जी, ये क्या कर रहे हैं आप । आप तो मुझे बिटिया•••••

सुनो राधा, तुम्हारी प्रमोशन की सिफारिश करके आया हूँ ••

और इसके बदले जो आपको चाहिए वो मैं नही हूँ , मेरे पिता से अपनी दोस्ती का ख़्याल तो किया होता । ऐसे दोहरे चरित्र वाले इंसान से घिन है हमें  ।  मैं चरित्र के साथ कोई समझौता अब नही क्या कभी करूँगी, कहती हुई पर्स उठाकर चलती बनी  ।

 

अनिता मंदिलवार “सपना” 

व्याख्याता जीवविज्ञान 

अंबिकापुर सरगुजा छत्तीसगढ़

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