समझदार सास और बहू – पूनम अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

राम राम जिज्जी, आओ , बड़े समय के बाद आना हुआ । आप पहले से बता देतीं तो मैं बड़के बिटवा को स्टेशन आपको लेने भेज देती  , अपनी बड़ी बहन को आया देख कर रामकली बोली ।  अरे बहू सुषमा , तनिक एक गिलास पानी तो ला बेटा , देखियो तुम्हारी रामपुर वाली  बड़ी मौसी  आयी हैं ।  सासू मां की आवाज सुन सुषमा  चौके का काम छोड़ एक गिलास पानी ले आयी 

और आते ही मौसी जी राम राम कह उनके पैरों को छुआ  और सदा खुश रहो सबको खुश रखो और सदा सुहागन रहो के आशीर्वाद से अपनी झोली भर कर माथे से लगाया । तुरन्त ही उसने उनके लिए नाश्ता लगाया और सबने मिल कर नाश्ता किया । इस बीच बहू मौसी जी से बातें भी करती रही ।

कुछ समय बाद मांजी  अब आप मौसी जी से बातें करिए   मैं खाने की तैयारी कर लेती हूं कह कर सुषमा चली गयी । जब रोटी सेकने का समय आया तो रामकली ने बहू को बिठा कर , कि तुम और मौसी गरम गरम  रोटी खाओ , कह कर खुद रोटी सेंकी और प्यार से सबको खिलवाया । यह सब मौसी जी को अच्छा नहीं लगा कि बहू बैठ कर खाए और सास खाना बनाए ।

  और भी काम  को सास बहू को  मिल जुल कर करता देख मौसी जी ने मन ही मन अपनी बहन को सीख देने की सोची । खाने के बाद जब दोनों  आपस में बातें कर रहीं थीं तब मौसी जी अपने घर की बहुत सी बातें बताती रहीं कि हमारे घर ऐसे होता है , ऐसे होता है । हमारे घर बहू ऐसे साथ बैठ कर नाश्ता खाना नहीं खाती

। किसी के आगे माथे तक घूंघट करती है और यूं चपड़ चपड़ बोलने का तो उसे अधिकार ही नहीं । उनकी बहन रामकली का बहू के साथ व्यवहार तो उन्हें रास ही नहीं आया था इसलिए उन्होनें अकेले में रामकली को समझाना चाहा कि हर समय बहू के लाड की आवश्यकता नहीं । अभी नयी है , बाद में तुम्हारे ही सिर पर नाचेगी ।

रामकली  शान्ति से उनकी दी हुई सीख  सुनती रही बाद में प्यार और आदर से अपनी बड़ी बहन से बोलीं , जिज्जी , कह तो तुम आज कल के जमाने की बात रही हो , लेकिन मेरी सुषमा बहुत  फुतरी  है । मैं इसके विषय में कुछ नहीं सुनना चाहती , किसी से भी नहीं , चाहें वह मेरी बड़ी जिज्जी हों ।   मेरी एक बेटी ससुराल गयी और एक बहू के रूप में मेरे पास आ गयी । हिसाब बराबर। यह मेरी बहू है और मैंने इसे बहू रूप में ही अपनाया है । इसके नाज नखरे मैं न उठाउंगी तो कौन उठाएगा  ।

और फिर एक बड़ी बात , जैसी मैंने सुनी है कि आज कल कोई रोबोट होबे है जो अपने मालिक का सब कहा माने है  तो  जिज्जी हो सकता है कि आपको  #” बहू नहीं , चलता फिरता रोबोट चाहिए #” हो , पर जिज्जी मुझे तो बहू चाहिए , चलता फिरता रोबोट नहीं चाहिए । और ये मेरे घर की शान है  इससे घर जीवन्त रहता है ।

    बहू अपने कमरे से मां जी के पास यह पूछने आ रही थी कि किसी को कुछ चाहिए कि दोनों बहनों के बीच अपना नाम सुन कर  उसके   पांव वहीं ठिठक गये और उत्सुकता से बहू  खड़ी  होकर दोनों बहनों की बात सुनने लगी । सासू मां की बात सुन उसे बहुत गर्व हुआ और उसने जाकर सासू मां के चरण छू लिए और सासू मां ने उसे अपने कलेजे में भींच लिया । उनकी बड़ी बहन की भी आंखें खुल गयीं और उन्हें अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ । उन्होने  अपनी बहू के प्रति अपना व्यवहार  सुधारने का मन बना लिया ।

#आपको बहू नहीं चलता  फिरता रोबोट चाहिए

स्वरचित 

पूनम अग्रवाल

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