सही अर्थ – शालिनी गुप्ता

” पापा, मुझे अपनी बोर्ड की परीक्षा के बाद आगे पढ़ने के लिए विदेश जाना है”, नकुल अपने पापा शिव नारायण से बोला।

” पर बेटा, अपने देश में कितने अच्छे व प्रतिष्ठित संस्थान है जहां से तुम आगे की पढ़ाई अच्छे से कर सकते हो”, शिवनारायण अपने बेटे को समझाते हुए बोले।

” मुझे कुछ नहीं पता पापा, मेरे सारे फ्रेंड्स हायर एजुकेशन के लिए विदेश जा रहे हैं तो मैं भी विदेश ही जाऊंगा”, इतना कहकर नकुल तेजी से बाहर निकल गया।

” सुन ली आपने अपने बेटे की बात, कम से कम अब तो इस बारे में सोचो वरना नकुल का भविष्य खराब हो जाएगा”, पास बैठी उनकी पत्नी यशोदा उनसे बोली।

अपनी पत्नी और बेटे की बात सुनकर शिवनारायण सोच में पड़ गए। अब नकुल को विदेश भेजने के लिए ढेर सारे पैसों की जरूरत पड़ेगी और वह तो सिर्फ एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। अब ऐसे में इतने पैसों का इंतजाम करना भला कैसे मुमकिन हो पाएगा”?

यही सब सोचते सोचते वह अपने स्कूल के लिए निकल गए। रास्ते में उन्हें अपने कलीग रमेश जी मिल गए।

” और दोस्त क्या चल रहा है? आज तुम कुछ परेशान से लग रहे हो”, रमेश उनसे पूछने लगे।

फिर परेशान शिवनारायण ने अपने मन की सारी उलझन रमेश जी को बता दी। उनकी सारी बातें सुनने के बाद रमेश जी हंसते हुए बोले,” आखिर ऊंट पहाड़ के नीचे आ ही गया। अरे, जब जरूरत हो तब घी निकालने के लिए उंगली टेढ़ी करनी ही पड़ती है वरना बात नहीं बनती। अगर तुम अपनी परेशानियों का हल ढूंढना चाहते हो तो यह इमानदारी का रास्ता छोड़ो और वह सब करो जो तुम्हारे हित में है”।



” मतलब”, शिवनारायण असमंजस में थे।

” मतलब साफ है यार, बस तुम्हें अतिरिक्त आमदनी के लिए इतना करना है कि तुम अपने स्टूडेंट से सिर्फ इतना कहोगे कि जो भी अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर पाना चाहते हैं , उन सभी को तुम से ट्यूशन लेनी पड़ेगी और तुम अपनी क्लास में पढ़ाने तो जरूर जाओगे लेकिन इस तरह जिससे तुम्हारे स्टूडेंट्स को कुछ भी समझ ना आए” , रमेश जी इतना कहकर अपनी क्लास की तरफ बढ़ गए।

बस फिर क्या था? इधर शिवनारायण के हाथ में ऊपर की कमाई करने का बेजोड़ फार्मूला हाथ लगा तो उधर उनके घर में पैसों की जबरदस्त बरसात होने लगी। इसलिए ही तो उनकी पत्नी ने अपने घर का काम करने के लिए फुल टाइम मेड रख ली और उनके बेटे नकुल ने फॉरेन यूनिवर्सिटी में जाने के लिए आवेदन पत्र भरने शुरू कर दिए। यही नहीं शिवनारायण अपनी फैमिली के साथ मसूरी और शिमला भी घूम आए।

सभी कुछ बहुत बढ़िया चल रहा था लेकिन आज अपनी क्लास की तरफ जाते वक्त शिवनारायण ने अपने उन दो स्टूडेंट की बात सुन ली जो उन्हीं के बारे में बात कर रहे थे।

” यार, अगर इसी तरह से चलता रहा तो मेरे लिए इस बार की परीक्षा पास करना मुश्किल हो जाएगा” एक दूसरे से कह रहा था।

” लेकिन दोस्त मेरे लिए तो यह और भी परेशानी की बात है क्योंकि अगर मुझे परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिले तो मुझे स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी और अगर ऐसा हुआ तो मुझे मजबूरन अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी क्योंकि मेरे पिताजी ने मुझे इसी शर्त पर आगे पढ़ने की अनुमति दी थी। अब तेरी तरह मेरे लिए भी ट्यूशन की फीस का इंतजाम करना बेहद मुश्किल है “,यह सब सुनकर शिवनारायण खून के आंसू रो पड़े। वे सोचने लगे कि एक विद्यार्थी के आगे बढ़ने में उसके गुरु का सबसे बड़ा हाथ होता है और अगर वही गुरु अपने पद से भटक जाए तो ऐसे में उस विद्यार्थी का पतन तो निश्चित ही है। अगर उनके होते हुए उनके दो ब्राइट स्टूडेंट को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़े, भला इससे ज्यादा उनके लिए शर्म की बात और क्या हो सकती है? बस फिर उन्होंने खुद को बदलने का फैसला कर लिया और अपने घर में ली जाने वाली सारी ट्यूशंस बंद करके उन्होंने स्कूल में अपने सारे स्टूडेंट को सही ढंग से पढ़ाना शुरू कर दिया। अब वे खुश थे क्योंकि उन्होंने गुरु शब्द का सही अर्थ जो जान लिया था।

शालिनी गुप्ता

 

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