सचमुच शुभ – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 आज पायल के घर में सब बहुत खुश थे।उसकी बेटी प्रिया,पति अजय और बेटा नितिन। 18 वर्षीय प्रिया तो खुशी से चहक रही थी।भैया,भाभी कितनी सुंदर और प्यारी है ना, अपने भाई नितिन से कह रही थी। 

      नितिन ने मुस्कुराते हुए कहा-” ओ हेलो! सिस्टर 

 अभी सिर्फ हम नंदिनी को देखकर आए हैं और तुम भाभी भाभी कहे जा रही हो। ” 

     पायल-” हां बेटा,वैसे तो इच्छा यही है कि नंदिनी ही हमारे घर बहू बनकर आए, अब तक जो भी लड़कियां देखी हैं उनमें सबसे ज्यादा प्यारी और संस्कारी नंदिनी ही लगी।” 

    अजय-” हां तुम ठीक कह रही हो, कई बड़े अमीर परिवारों ने तो अपनी लड़कियों की झूठी तारीफ करके और दहेज के लालच में हमें उलझाने की कोशिश की पर इन लोगों ने ऐसा कुछ नहीं किया जो था सामने था। कल ही नितिन की बुआ को उनके पड़ोस पड़ोस में सब कुछ पता लगाने के लिए कहता हूं। ” 

     नितिन की बुआ की कोई जान पहचान वाली औरत नंदिनी के पड़ोस में रहती थी। उसने बताया कि यह लोग मध्यम वर्गीय लोग हैं और बहुत संस्कारी और मिलनसार हैं। नंदिनी की छोटी बहन नेहा कॉलेज के फर्स्ट ईयर में है और वह भी अपनी बहन नंदिनी की तरह बहुत हिम्मत वाली और स्पष्टवादी है। 

      एक बार नंदिनी की मां बहुत बीमार थी, इतनी बीमार कि उनका बचना मुश्किल हो गया था तब नंदिनी 12वीं कक्षा में थी। तब उसने अपनी मां को और पूरे घर को, साथ साथ अपनी पढ़ाई को बिना घबराए संभाल लिया और अपनी मां की पूरी-पूरी सेवा की और उन्हें ठीक कर दिया। 

जब जागो तभी सबेरा  – कमलेश राणा

     एक बार एक लड़के ने उसे छेड़ा तो उसने उसे चप्पल से पीट पीट कर माफी मंगवाई। अन्याय भी उसे बिल्कुल सहन नहीं होता है। 

       बुआ से सारी जानकारी पाकर पायल और उसके परिवार ने नंदिनी के घर जाकर रिश्ता पक्का कर दिया था। उनको बस एक सुघड और संस्कारी बहू चाहिए थी बाकी उन्हें किसी चीज की कोई कमी नहीं थी। नितिन भी बहुत अच्छा कमाता था। 

      पहले उन लोगों ने रोके की रस्म पूरी की और फिर सगाई का कार्यक्रम हुआ। सगाई में दोनों परिवारों ने खूब डांस किया। नेहा और प्रिया सहेलियां बन गई थी और दोनों बहुत खुश थी। दोनों ने साथ-साथ, मैंने पायल है छनकाई, और फिर वाह वाह राम जी गाने पर मस्त डांस किया।  

    नंदिनी के माता-पिता अपनी तरफ से सारे इंतजाम बहुत बढ़िया कर रहे थे जितना उनके लिए संभव था। अब हल्दी और मेहंदी का कार्यक्रम किया गया। नंदिनी के पिता ने कम लोगों को ही बुलाया था। सबने नंदिनी को हल्दी लगाई और बहुत चुहलबाजी की। उसके बाद रात में सपना मेहंदी लगवाई खूब गीत गाए और डांस किया। रात के 2:00 रहे थे और सब थक चुके थे और फिर सबको शादी में भी तो नाचना था। 

    सुबह 10:00 पंडित जी आ गए उन्होंने पूजा और सारे रीति रिवाज संपन्न करवाए। अचानक ही नंदिनी के माता-पिता की आंखें भर आई और उनको देखकर नंदिनी भी सुबकने लगी। दोनों सोच रहे थे कि आज अपनी लाडो ससुराल चली जाएगी। 

      दोनों बहने भी गले मिलकर रोने लगी। तब पंडित जी ने भावुक वातावरण को हंसी में बदलते हुए कहा, ” लगता है लड़की की मां ने लड़की को खाना बनाना नहीं सिखाया है और इसी चिंता में रो रही है चलो चलो अब रोना बंद करो, अब कुछ नहीं हो सकता,अब बिटिया यूट्यूब से रेसिपी देखकर खाना बना लेगी। ” 

      सभी लोग हंसने लगे।सब कुछ अच्छी तरह संपन्न हुआ और अब शाम को विवाह मुहूर्त था। सारी महिलाएं ब्यूटी पार्लर से तैयार होकर आ गई थी। नंदिनी बहुत सुंदर लग रही थी। 

    तभी आवाज आई,बारात आ गई,बारात आ गई। सभी बारात देखने चले गए। बारात आने  पुरुषों ने फूल माला डालकर आपस में मिलनी की फिर पंडित जी ने कुछ रस्मो रिवाज करवाएं और बाराती अंदर की तरफ आने लगे। 

अनदेखा सपना – स्मिता टोके “पारिजात” 

     नितिन ने अपने एक दोस्त की शादी में देखा था की सालियां अपने जीजा जी को दरवाजे पर रोक कर नेग मांग रही थी। पता नहीं क्यों यह नितिन को अच्छा नहीं लग रहा था और उसे लगा कि यहां पर भी यही होगा, पर ऐसा कुछ नहीं था,लड़की वाले उन्हें आदर पूर्वक अंदर लेकर आ गए, उसे यह देखकर बहुत अच्छा लगा। बाकी रीति रिवाज से उसे कोई शिकायत नहीं थी सिर्फ एक यहीं रीत उसे अच्छी नहीं लगती थी। 

    उसके बाद वरमाला हुई और अब फेरों की तैयारी थी। दूल्हा दुल्हन फेरों के लिए बैठ चुके थे। तभी किसी लड़की ने नंदिनी के कान में कुछ फुसफुसाया। नंदिनी एकदम उठकर खड़ी हो गई और वहां पहुंच गई जहां कोने में उसके पापा खड़े थे और उनके साथ ही नितिन के पापा भी खड़े थे। पीछे पीछे नितिन भी आ गया। 

   नंदिनी के पापा ने कहा-” बेटा नंदिनी, तू यहां क्यों आ गई, जा फेरों के लिए बैठ,मैं अभी आता हूं। ” 

    नंदिनी -” पापा, पहले बताइए की बात क्या है? ” 

 पापा-” बात कुछ नहीं है तू जा ” 

 नंदिनी-” मुझे किसी ने बताया कि नितिन के पापा आपसे कुछ डिमांड कर रहे हैं। ” 

    नितिन के पापा-” हां नंदिनी, मैंने तुम्हारे पापा से 5 लाख की बात की है। ” 

    नंदिनी यह सुनकर हैरान रह गई। उसने कहा-” पर आपने तो कहा था हमारी कोई मांग नहीं है अब अचानक? ” 

    नंदिनी के पिता -” नंदिनी तू कुछ मत बोल,जा यहां से,मैं सब संभाल लूंगा। ” 

    नंदिनी ने नितिन के पापा से बिल्कुल धीमी आवाज में कहा -” प्लीज अंकल आप मेरे साथ चलिए मुझे आपसे बात करनी है। ” 

    दोनों अंदर चले जाते हैं। नंदिनी बहुत ही विनम्रता से बात कर रही थी और एक-एक शब्द को सोच समझ कर बोल रही थी।नितिन के पिताजी यह बात नोटिस कर रहे थे और पीछे-पीछे नितिन की मन पायल भी आ गई थी। 

   नंदिनी-” अंकल जी और आंटी जी, पहले तो मैं आपसे क्षमा चाहती हूं कि मैं आपके मम्मी पापा ना कह कर अंकल जी और आंटी जी कह रही हूं। मैं ऐसा इसीलिए कह रही हूं क्योंकि 5 लाख मेरे पापा आपको नहीं दे सकेंगे। उन्हें अभी नेहा को पढाना लिखाना है और अपने भविष्य के लिए भी कुछ बचाना है। जो कुछ उनके पास था,उन्होंने सब कुछ मेरी शादी में लगा दिया,

बाबूजी – पूजा मनोज अग्रवाल

अब उनके पास एक घर के अलावा कुछ नहीं है और मैं जानती हूं कि आपका डिमांड अधूरी रहेगी तो यह रिश्ता जुड़ेगा नहीं,तो इसीलिए मैंने आपको पहले से ही अंकल जी और आंटी जी कहा अब आप जैसा चाहे चाहे तो आप बारात वापस ले जा सकते हैं और दहेज मांगने  के आरोप में मैं पुलिस को भी बुला सकती हूं लेकिन मैं आप लोगों का सम्मान करती हूं आपका अपमान मैं देख नहीं सकती।। ”  

    तभी नंदिनी के पापा अंदर आए और नितिन के पापा ने उन्हें गले से लगा लिया। यह देखकर नंदिनी हैरान रह गई, नितिन के पापा ने कहा-” जैसे मैंने सुना था बिल्कुल वैसी ही है आपकी बेटी, संस्कारी और हिम्मतवाली, बहुत अच्छी शिक्षा दी है आपने अपनी बेटियों को, मुझे विश्वास है कि यह हर परिस्थिति में सब कुछ आसानी से संभाल लेगी, इसे चुनकर बहू बनाना हमारी समझदारी है। ” 

    पायल, ” देखा ना आपने,,कितनी समझदार है मेरी बहू, नंदिनी तू घबरा मत,यह सब इन दोनों का मिला जुला नाटक था, तेरा निर्णय देखने के लिए, हमें कुछ भी नहीं चाहिए। यहां तक की नितिन भी हैरान था उसे भी कुछ पता नहीं था। 

    हंसी खुशी विवाह संपन्न हुआ। नेहा ने नितिन का जूता चुरा लिया था। नितिन ने उसे सोने का छल्ला और ₹1100 दिए। नेहा ने खुशी-खुशी ले लिए। तब नितिन ने कहा-” मेरी साली साहिबा तो बहुत सीधी है, लड़कियां तो हजारों रुपए लेने के लिए जिद पर अड़ जाती है। ” 

    नेहा ने कहा -” जीजू, मां ने समझाया था कि यह एक रीत होती है और सारे रीति रिवाज हंसी खुशी से मनाने चाहिए,,इसमें किसी को परेशान नहीं करना चाहिए। मुझे मां की बात सही लगी और इसीलिए मैं कोई जिद नहीं  की, वैसे आप मुझे कोई गिफ्ट देंगे तो मैं मना नहीं करूंगी। ” 

    सब लोग जोर-जोर से हंसने लगे। सभी बहुत खुश थे। अच्छे संस्कारों ने विवाह को ” सचमुच शुभ” विवाह “बना दिया था और विवाह के बाद शुभ जीवन का प्रारंभ हो चुका था। 

  अप्रकाशित स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली

#शुभ विवाह

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