रुठी हुई लक्ष्मी वापस आ रही है…. भाविनी केतन उपाध्याय  

रिया अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी और आज वो अपने किए पर पछता रही है.… अब उसे आदित्य के बगैर जीना जैसे जन बिन मछली ऐसा प्रतीत होता था तो उसने बिना वक्त गंवाए और बिना किसी की बात में आकर बिना सोचे समझे उसने अपनी ग़लती सुधारने के लिए आदित्य को फोन लगाया।

“आदि, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हो गई और मैं अपनी मां की बातों में आकर तुम्हे और अपने प्यारे घर को छोड़ आई । मुझे माफ़ कर दो आदि..!! मुझे वापस अपने घर और तुम्हारे दिल में रहना है ” रोते हुए रिया ने कहा।

” एक ही शर्त पर मैं तुम्हें माफ़ करुंगा और अपने घर वापस ले जाऊंगा। तुम्हें मेरी शर्त मंजूर है तो हम आगे बात कर सकते हैं” आदित्य ने ज़रा कठोरता से कहा।

” मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है,बस तुम मुझे यहां से ले जाओ , मुझे यहां एक पल भी अब नही रहना है ” फिर से रोते हुए रिया ने कहा।

 

” सुन लो पहले मेरी शर्त कि तुम्हारे माता-पिता कभी हमारे घर और हमारी गृहस्थी के बीच में नही आएंगे और मेरी मां और बहन मेरे साथ ही रहेंगे। उनके साथ तुम्हारा व्यवहार पहले जैसा बिल्कुल नही होना चाहिए और मेरे फर्ज और कर्तव्य के बीच कभी तुम आडे नही आओगी तो मैं तुम्हें माफ़ कर वापस लेने आऊंगा ” आदित्य ने कहा।



” हॉं, मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है और मैं अभी से अपने माता-पिता के साथ रिश्ता तोड रही हूॅं,बस जल्द से जल्द तुम लेने आ जाओ मुझे ..!!” रिया ने कहा।

” हॉं, मैं लेने आ रहा हूं तुम्हें पर अपने माता-पिता से रिश्ता तोड़ने कि तुम्हें कोई जरूरत नही है … जैसे तुम्हें अपनी ग़लती समझ में आ गई है एक दिन उन्हें भी अपनी ग़लती समझ में आ जाएगी ” कहते हुए आदित्य ने फोन रख दिया।

दरअसल बात यह है कि रिया अपने माता-पिता की इकलौती  संतान है… जो साधन संपन्न परिवार से है… रिया को अपने पैसे और रुप का इतना घमंड था कि वो दूसरे को अपने आगे पैरों की जूती समझती थी। रिया की शादी उसके माता-पिता ने आदित्य से इसलिए कर दी कि वो ग़रीब मां का एकलौता कमाई करने वाला बेटा है, जिसके सिर पर अपनी मां और बहन की जिम्मेदारी है।बहन अभी बारहवीं कक्षा में ही है। रिया के माता-पिता को लगा था कि आदित्य अपनी गरीबी और जिम्मेदारियों के कारण आसानी से घरजमाई बन जाएगा और उन्हें अपनी बेटी को कहीं भी भेजना नही पड़ेगा।

पर यहां तो पूरी बाज़ी उल्टी हो गई थी… आदित्य अपने आत्मसम्मान और खुद को दूसरे के हवाले करना नही चाहता था… वो दूसरों की उंगलियों पर नाचना पसंद नहीं करता है इसलिए वो जैसे रहता है अपनी मां और बहन के साथ ऐसे ही रिया को भी रखा। रिया अपने घमंड में चूर हर दिन हर पल आदित्य की मां और बहन का अपमान करते रहती। ना उसका कोई आने का ठिकाना ना जाने का…!! सूरज तपते उठती बारह बजे और ऐसे ही निकल जाती घर से। आदित्य को प्यार करने लगी थी तो उसके सामने ठीक से रहती थी।



 

 

एक दिन की बात है, आदित्य की मां ने प्यार से सिर्फ इतना कहा कि,” बेटी, अच्छे घर की औरतें ऐसे पूरा पूरा दिन घर से बाहर नहीं रहतीं और अब तुम्हारी शादी को दो महीने होने को आए थोड़ी अपनी गृहस्थी पर ध्यान दो ।”

इस बात रिया के घमंड को चोट पहुंचा गई और उसने बात का बतंगड़ बना कर अपने माता-पिता को बुला लिया। उसके माता-पिता ने आदित्य की मां को खूब खरी खोटी सुनाई। बेचारी आदित्य की मां ऐसे ही फंस गए और वो लोग रिया को अपने घर लेकर चले गए । आदित्य की मां ने अपने बेटे से सच्ची बात बताकर कहा कि,” तुम अपनी घर की लक्ष्मी को लेकर आ जाओ।”

” मां, उसने मुझसे बात करना भी जरूरी नही समझा। उसके लिए पहले उसका घमंड और माता-पिता पहले हैं बाद में मैं ..!! इसलिए अब जब तक उसका घमंड उतर ना जाए और खुद ना कहें कि मुझे यहां नही आप के साथ रहना है तब तक उसे वहां रहने दो। हम ग़लत नही है तो वो खुद ब खुद वापस आएगी ” कहते हुए आदित्य अपने कमरे में चला गया। मां को तो ढांढस बंधा दी पर अपने दिल का क्या ? वो अपनी शादी का एल्बम देखते हुए सोने की कोशिश करता रहा।

वो दिन था और आज का दिन है, पूरे देढ़ साल बाद आज रिया को आदित्य की याद आई है, पर आदित्य गई गुजरी बातों को भूलने में ही अच्छा है वो मानने वाला है तो वो रिया को माफ़ कर वापस लेने को तैयार हो रहा है। मां भी बेटे के मुरझाए हुए चेहरे पर मुस्कराहट देखकर समझ जाती है कि उसकी रुठी हुई लक्ष्मी वापस आ रही है तो उसके स्वागत करने की तैयारी में जुट जाती है।

स्वरचित और मौलिक रचना ©®

धन्यवाद,

आप की सखी भाविनी केतन उपाध्याय   

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