“रियल पैराडाइज ” – अनुज सारस्वत

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“स्तुति जल्दी आओ तुम यहां तुम्हारे मम्मी पापा का एक्सीडेंट हो गया है “फोन पर स्तुति की पड़ोसन ने बताया स्तुति बोर्डिंग स्कूल में कक्षा 11 की छात्र थी,आनन-फानन में वहां से निकली और अपने पैतृक शहर पहुंची।घर पहुंच कर देखा तो उसके मम्मी पापा दम तोड़ चुके थे ,पूरे घर में मातम का माहौल था उसके पापा शहर के नामी सेठ थे उनकी तीन बेटियां थी स्तुति सबसे छोटी थी बाकी दोनों बहनों की शादी हो गई थी।

10वां 13वीं संस्कार के बाद दोनों बहनों का व्यवहार बदल चुका था स्तुति के प्रति धीरे-धीरे उसे वह कहने लगी थी संपत्ति के लिए दरअसल उसके पापा तीनों बच्चों के लिए बराबर संपत्ति छोड़ गए थे।लेकिन वह स्तुति की भी संपत्ति हड़पना चाहती थी और उस पर हमेशा साइन करने का दबाव डालती थी, उससे दो-तीन साल तक नौकरानी जैसा व्यवहार किया और उसकी पढ़ाई भी छुड़वा दी। ऊपर से जीजा लोग भी उसको रात को आकर छेड़ने का प्रयास करते।उसके पास आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं था 1 दिन  घर से भागकर नदी पर पहुंची डूबने के लिए मैं कदम बढ़ाने ही वाली थी किसकी कानों में आवाज पड़ी।

“इस संसार में जो होता है वैसे भी सब ईश्वर की मर्जी से होता है ,मनुष्य परेशान तब होता है जब वह अपनी इच्छाओं को ईश्वर की इच्छा के विपरित चलता है और अंततः दुखी होता है, फिर  विनाश काले विपरीत बुद्धि ,अगर सुखी रहना है तो फूल की तरह हल्के हो जाओ सब कुछ उस परमात्मा पर छोड़ दो। फिर  उससे शक्ति का संचार होगा शरीर में मन में और परिस्थितियों को तुम बदल भी सकते हो।”

यह सब सुनकर उसके कदम रुक गए फिर उसने देखा।एक पेड़ के नीचे 30-35 वर्षीय शहरी महिला और करीब 30-40 लोग वहां बैठे थे जो सब महिलाएं थी।

एक तरीके से पिकनिक पर आए हुए लोग उसे लगे उसमें अमीर से लेकर गरीब तक सब महिलाएं थी स्तुति को लगा कोई चुंबक उसे खींच रही है फिर वह वहां बैठ गई ।

फिर उस महिला ने सबसे पूछना शुरू किया सबने अपनी सारी परेशानियां बतायीं और कैसे सब खत्म हुई यह ज्ञान सुनकर,उस महिला ने स्तुति से पूछा स्तुति ने  सब बताया,महिला मुस्कुराई और स्तुति को पास बुलाकर सर पर हाथ फेरा और कहा सभी ईश्वर इच्छा है, विश्वास रखो स्तुति घर चली गई।,वहां  फिर वही शुरू हो गए,परंतु इस बार वह सुनकर दुखी नहीं हुई, बल्कि उसने कहा आपको जो चाहिए ले लो ,मुझे आवश्यकता नहीं है।फिर उसने उसी महिला को अपने घर बुलाया जो उसको नदी किनारे मिली थी ,फिर उसने बताया।



“मैं सब संपत्तिअपनी दीदियों को दे रही हूं ,मुझे आप अपने साथ ले चलिए।”

यह सुनकर महिला मुस्कुराई और बोली तुमने

“यह  संपत्ति को छोड़कर भगवान की असीम संपत्ति को चुना है वही असली माता पिता है ,अपने आप राह दिखाएगा सत्य की ,जिससे तुम्हारा लक्ष्य तुम्हें अपने आप मिल जाएगा “

बहने दोनों मुंह देखते रह गई स्तुति ने सारी संपत्ति बहनों को देकर कहा

” दीदी इसी संपत्ति की वजह से रिश्ते में दरार आई है, प्रकृति की गवाह है यह हनन की हुई संपत्ति कभी सुख नहीं देती बल्कि मनुष्यता को पशुता की ओर ले ही जाती है।जिससे वह आदमी जीते जी नरक भोगता है।”

इतना कहकर वह उस महिला के साथ चली गई और केवल नाम मात्र के लिए अपने पास एक फ्लैट रखा, वह महिला उसे एक हॉस्टल जैसे घर में ले गई जिसमें 300 से ज्यादा लड़कियां और महिलाएं थी ,वहां पर सब प्रेम पूर्वक इस दीदी को प्रणाम कर रहे थे स्तुति को प्यार दे रहे थे।

इतना प्यार देखकर वह स्तब्ध रह गई वह बोली थी

“यह कौन सी जगह है “

उस महिला ने कहा

“यह पैराडाइस है”

जाओ तुम्हे यह आकृति तुम्हारा रूम दिखा देगी,स्तुति के मन मे सवाल उठ रहे थे फिर उसने आकृति से पूछा।

“यहां कुछ काम गलत तो नहीं है ना”

आकृति मुस्कुराई उसने बताना शुरू किया।

“यह जो दीदी है इन्होंने अधिकतर महिलाओं के उत्थान और ज्ञान देने का बीड़ा उठाया है ,क्योंकि महिलाएं अगर ज्ञानी है तो वह परिवार को भी उन्नति के मार्ग पर चला सकती हैं।और ऐसा दीपक बन सकते हैं जिससे संपूर्ण नगर शहर  प्रकाशित हो सकता है ,हम सब लोग अधिकतर घर, परिवार ,समाज के सताए हुए थे दीदी ने हमें सहारा दिया और आज हम सब रानियों की तरह जीवन यापन कर रहे हैं ज्ञान चक्षु खुल चुके हैं, नौकरियां करते हैं ,अपना व्यापार भी कर रहे हैं ,गृह उद्योग भी जो भी प्रॉफिट होता है, सैलरी आती है उससे गरीब असहाय परिवारों की मदद करते हैं और प्रताड़ित की हुई महिलाओं की सहायता करते हैं जो रहना चाहता है यहां रह सकता है।



परंतु उसको यहां रहने के लिए एक नियम है कि उसे दूसरों की सेवा 1 हफ्ते में एक बार जरूर करनी होती।हमारे पास हर प्रकार के महिला है आईटी इंजीनियर कोई एयर होस्टेस कोई प्रोफेसर और आपका जब तक मन हो आप रह सकते हो ,घर जाकर भी यहां की बातों का अनुसरण करके अब तक लाखों घर बर्बाद होने से बच गए हैं, क्योंकि ज्ञान केवल सुनने से पक्का नहीं होता जब तक अमल नहीं किया जाए।

और यह दीदी इनका अपना कुछ नहीं है इनके भाइयों ने इन्हें और उनकी मां को 15 साल पहले घर से निकाल कर धोखे से सारी संपत्ति हड़प ली थी। फिर इन्हें भी एक दिव्य महिला मिली थी जो कि इनकी गुरु है लगभग 10 सालों के प्रयास से आज लगभग लाखों लड़कियों की और महिलाओं की जिंदगी सवारी है उन्हें जीने की कला सिखाई जो अमीर से उन्हें धन को संचित करने की वजह से असहाय लोगों की मदद करना सिखाया, गरीब असहाय को सहारा दिया स्तुति के अंदर गजब की शक्ति का संचार हुआ वहां रहकर अपनी पूरी स्टडी की और कुछ समय बाद अपने शहर लौट गई। वहां उसने अपने फ्लैट में रह कर गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और जितना ज्ञान सीख कर आई थी उसी को आगे बढ़ाया। और कुछ समय बाद पूरे शहर की प्रिय बन गए लोग अपना दुख दर्द भूल जाते उससे बात करके हमेशा एक ही बात कहती

” सारी समस्याओं की जड़ इच्छा,संतोषी जीवन सदा सुखी,माया किसी की सगी नही,और हमेशा निष्काम ही रहने का ज्ञान दिया,ईश्वर से कुछ मत मांगो,भरपूर दिया है उसने ,सूरज,आकाश,हवा सब फ्री”

इस देवी ने अपने लिए एक पैसा भी नहीं रखा। लोग अपने आप उन्हें कुछ बनाकर खिला देते वह खा लेते कभी-कभी तो 12-12 घंटे निष्काम भाव से सब की समस्याओं को सुनते 80 परसेंट लोग तो केवल पॉजिटिव तरंगों से ही सारी समस्याएं खत्म हो जाती। तो लोग और रियल पैराडाइज का अनुभव करते।

स्तुति की दीदियों के हाल बुरे हो चुके थे उनके पतियों ने उनसे सारी संपत्ति लेकर ठोकर मार दी ,उन्हे उनकी करनी का फल मिल चुका था,स्तुति ने उनको भी सहारा दिया और समाज सेवा में आगे बढ़ाया।

-अनुज सारस्वत की कलम से

(स्वरचित एवं मौलिक

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